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कहीं आपका मतलब विचार तो नहीं था?
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  • वाली, ग्लानि न उत्पन्न करने वाली, विपरीत पड़ने पर भी स्वल्प विकार उत्पन्न करने वाली या विकार न करने वाली, देशकाल आदि की विवेचना करके रोगी को समय पर दी गई...
    ५ KB (३५८ शब्द) - २२:०५, १ सितम्बर २०२३
  • १८/४४-४७) किसी विकार का नाम बताने में अकुशल को लज्जा का अनुभव नहीं करना चाहिये क्योंकि सभी विकारों का नाम नाम नहीं दिया जा सकता। विकार असंख्य हैं क्योंकि...
    १२ KB (७१९ शब्द) - २३:१०, १ फ़रवरी २०२३
  • हैं। विकारो धातुवैषम्यं साम्यं प्रकृतिरुच्यते। सुखसंज्ञकमारोग्यं विकारो दुःखमेव च ॥ -- चरकसंहिता रसरक्तादि धातुओं का वैषम्य (abnormal) होना ही विकार (रोग)...
    ६ KB (४४० शब्द) - १६:२६, ३० जुलाई २०२३
  • इत्यादि) उसकी रचना या बनावट (रासायनिक, जैविक, गुण इत्यादि) उसके विकार (सूक्ष्म और सकल विकार और अप्राकृतिक प्रभाव और अशुद्ध दोष, यदि कोई है तो) आचार्य शुश्रुत...
    ७ KB (५१७ शब्द) - १२:११, ६ अप्रैल २०२३
  • वाली, ग्लानि न उत्पन्न करने वाली, विपरीत पड़ने पर भी स्वल्प विकार उत्पन्न करने वाली या विकार न करने वाली, देशकाल आदि की विवेचना करके रोगी को समय पर दी गई...
    ६० KB (३,७६६ शब्द) - २३:००, १ सितम्बर २०२३
  • की जन्मदाता ही औरत है। ‌‌‌ दुनिया को जीतने के लिए सबसे पहले अपने मन के विकारों को खत्म करना जरूरी होता है। अपने समय का कुछ हिस्सा प्रभु के चरणों के अंदर...
    ६ KB (४५१ शब्द) - १२:५७, १४ मई २०२२
  • चरकसंहिता, विमानस्थानम् रज और तम ये दो मानस दोष हैं । इनकी विकृति से होने वाले विकार (रोग) काम, क्रोध, लोभ, मोह, ईर्ष्या, मान, मद, शोक, चिन्ता, उद्वेग, भय, हर्ष...
    १० KB (६७६ शब्द) - १८:००, २२ जुलाई २०२३
  • ३१५९-६० वर्णोऽभ्यङ्गः कफग्रस्तकृतसंशुद्धयजीर्णिभिः॥९॥ प्रतिश्याय आदि कफज विकारों से पीड़ित रोगी, जिन्होंने शरीरशुद्धि के लिए वमन-विरेचन आदि किया हो तथा...
    ८ KB (५१० शब्द) - २०:२४, १२ दिसम्बर २०२२
  • गुरु नहीं है और चित्त अपने कहने में चले तो उसके जैसा कोई चेला नहीं है। मन विकारों से बचे तो उसके जैसा कोई मित्र नहीं है। इसलिये गोरख अकेला फिरता है। तीरथ...
    १४ KB (९११ शब्द) - १९:३६, १५ अक्टूबर २०२३
  • है। कभी के दिन बड़े कभी की रात। वास्तविक धीर पुरूष वे ही हैं जिनका चित्त विकार उत्पन्न करने वाली परिस्थितिओं में भी अस्थिर नहीं होता। विद्वानों की संगति...
    १९ KB (१,४२६ शब्द) - १२:३०, २१ अक्टूबर २०२३
  • जिस प्रकार सोने को तपाने से उसके मल निकल जाते है उसी प्रकार इन्द्रियों के विकार प्राणायाम से जलकर नष्ट हो जाते हैं। -- अमृतनादोपनिषद चले वाते चलं चित्तं...
    १४ KB (८१७ शब्द) - २२:४०, १४ जून २०२३
  • रहता। गायत्री जिसके हृदय में बास करती है उसका मन ईश्वर की ओर जाता है। विषय विकारों की व्यर्थता उसे भली प्रकार अनुभव होने लगती है। कई महात्मा गायत्री का जप...
    १९ KB (१,४५५ शब्द) - ११:४३, ९ अप्रैल २०२४
  • विक्रियन्ते येषां न चेतांसि ते एव धीराः । वास्तव में वे ही पुरूष धीर हैं जिनका मन विकार उत्पन्न करने वाली परिस्थिति में भी विकृत नहीं होता। -- कालिदास धीरज धरम...
    २७ KB (१,९४० शब्द) - १८:१३, २२ जुलाई २०२३
  • उर्जा का संचार होता हैं और विचार सकारात्मक होते हैं. कई प्रकार के मानसिक विकार दूर हो जाते हैं। -- अज्ञात मैं हमेशा तस्वीरें लेता हूं और कैमरे के साथ यात्रा...
    २३ KB (१,५८५ शब्द) - ०९:३६, १० जुलाई २०२३
  • सामान्य से अधिक स्निगध (तैलीय) है, जो आवश्यकता से अधिक खाते हैं, जो जो वात विकारों से ग्रस्त हैं, उन्हें शिशिर ऋतु (जाड़े में) में लङ्घन (उपवास) करना अच्छा...
    ७ KB (३८४ शब्द) - २१:१९, २ फ़रवरी २०२३
  • मदात्यय, ग्लानि, मूर्च्छा, थकावट, भ्रम, तृषा, उष्मा, दाह, पित्तविकार तथा रक्त विकार को नष्ट करता है। सौवर्णे राजते ताम्रे कांस्ये मणिमये ऽपिवा। पुष्पावातसं...
    २५ KB (१,६६२ शब्द) - १०:१५, १ मार्च २०२४
  • छोटी-छोटी बातों के प्रति संवेदनशीलता और महानतम के प्रति असंवेदनशीलता एक विचित्र विकार के लक्षण हैं। छोटी चीजें हमें सुकून देती हैं क्योंकि छोटी चीजें हमें परेशान...
    ३८ KB (३,१७१ शब्द) - १२:५४, ६ नवम्बर २०२२
  • अथवा ज्ञानी है? क्या वह नित्य है अथवा अनित्य बताया गया है? प्रकृति कौन है? विकार कौन से हैं? और पुरुष का लिङ क्या है (जिससे वह अनुमान द्वारा जाना जाता है)...
    ३२ KB (२,०९७ शब्द) - २१:४१, १९ अगस्त २०२३
  • बनो, जल्दबाज़ नही। दया रखो, लेकिन कमजोरी नही। नकारात्मक विचार, दिमागी विकारों के कारण हैं। निष्काम कर्म का अर्थ कर्म का अभाव नही, बल्कि कर्तव्य के अहंकार...
    १० KB (७७० शब्द) - १९:३२, ८ फ़रवरी २०२४
  • तमाशा है। अंतःकरण की वृत्तियों के चित्र का नाम कविता है। नाना प्रकार के विकारों के योग से उत्पन्न हुए मनोभाव जब मन में नहीं समाते तब वे आप ही आप मुख के...
    ५६ KB (४,२०६ शब्द) - २०:१६, ५ दिसम्बर २०२२
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