मानसिक स्वास्थ्य

विकिसूक्ति से
  • समदोषः समाग्निश्च समधातु मलःक्रियाः।
प्रसन्नात्मेन्द्रियमनः स्वस्थइतिअभिधीयते॥ -- सुश्रुत संहिता सूत्रस्थान १५/१०
जिसके दोष (वात, कफ, पित्त) सम हैं, जिसकी अग्नि सम है (न धिक, न कम), धातु सम हैं, मलक्रिया ठीक है, जिसकी आत्मा, इन्द्रियाँ और मन प्रसन्न हैं, वह स्वस्थ कहा जाता है।
  • योगः चित्तवृत्तिनिरोधः -- पतञ्जलि योगसूत्रः 1.2
चित्त की वृत्तियों पर नियंत्रण पाना ही योग है।
  • ध्यानहेयास्तद्वृत्तयः -- योगसूत्र
(चित्त की उन वृत्तियों को) ध्यान के द्वारा नियंत्रित किया जा सकता है।
  • लये सम्बोधयेत् चित्तम् विक्षिप्तं समायेत् ।
पुनः सकाशयं विजानीयात् समाप्राप्तं न कालयेत् ।
उनींदे या निद्रालु मन को जगाएं; उत्तेजित यादृच्छिक मन को शान्त करें; गहरी जड़ें जमा चुके तनावों को पहचानें; संतुलन और स्थिरता आने पर उन सभी को छोड़ दें, इसे लंबे समय तक बनाए रखें ।
  • ध्यायतो विषयान्पुंसाः संगस्तेषूपजायते।
संगात् संजायते कामः कामात् क्रोधोऽभिजायते॥
क्रोधाद्भवति सम्मोहः सम्मोहात्स्मृतिविभ्रमः ।
स्मृतिभ्रंशाद्बुद्धिनाशो बुद्धिनाशात्प्रणश्यति ॥ -- भगवद्गीता ६३-६३
विषयों का चिन्तन करने वाले मनुष्य की उन विषयों में आसक्ति पैदा हो जाती है। आसक्ति से कामना पैदा होती है। कामना से क्रोध पैदा होता है। क्रोध होने पर सम्मोह (मूढ़भाव) हो जाता है। सम्मोह से स्मृति भ्रष्ट हो जाती है। स्मृति भ्रष्ट होने पर बुद्धि का नाश हो जाता है। बुद्धि का नाश होने पर मनुष्य का पतन हो जाता है।
  • समः शत्रौ च मित्रे च तथा मानापमानयोः।
शीतोष्णसुखदुःखेषु समः सङ्गविवर्जितः॥ -- भगवद्गीता 12.18
जो पुरुष शत्रु और मित्र में तथा मान और अपमान में सम है जो शीतउष्ण व सुखदुखादिक द्वन्द्वों में सम है और आसक्ति रहित है, (वह भक्तिमान् मनुष्य मुझे प्रिय है। )।
  • रजस्तमश्च मानसौ दोषौ । तयोर्विकाराः कामक्रोधलोभमोहेर्ष्यामानमदशोकचित्तो(न्तो)द्वेगभयहर्षादयः । -- चरकसंहिता, विमानस्थानम्
रज और तम ये दो मानस दोष हैं । इनकी विकृति से होने वाले विकार (रोग) काम, क्रोध, लोभ, मोह, ईर्ष्या, मान, मद, शोक, चिन्ता, उद्वेग, भय, हर्ष, विषाद, अभ्यसूया, दैन्य, मात्सयर और दम्भ हैं ।
  • धीधैर्यात्मादिविज्ञानं मनोदोषौषधं परम् । -- वाग्भटसंहिता, सूत्रस्थान २६
बुद्धि, धैर्य और आत्मादिविज्ञान - ये तीनों मनोविकारों के परम औषधि हैं। (आत्मविज्ञान -- यह जानना कि मै कौन हूँ, कौन मेरा है, मेरा बल क्या है, यह देश कैसा है और कौन मेरे हितैषी हैं, आदि।)
  • धी धृति स्मृति विभ्रष्टः कर्मयत् कुरुत्ऽशुभम्।
प्रज्ञापराधं तं विद्यातं सर्वदोष प्रकोपणम्॥ -- चरकसंहिता, शरीरस्थान १/१०२
धी (बुद्धि), धृति (धैर्य) और स्मृति (स्मरण शक्ति) के भ्रष्ट हो जाने पर मनुष्य जब अशुभ कर्म करता है तब सभी शारीरिक और मानसिक दोष प्रकुपित हो जाते हैं। इन अशुभ कर्मों को 'प्रज्ञापराध' कहा जाता है। जो प्रज्ञापराध करेगा उसके शरीर और स्वास्थ्य की हानि होगी और वह रोगग्रस्त हो ही जाएगा।
  • लोभशोकभयक्रोधमानवेगान् विधारयेत्।
नैर्लज्ज्येर्ष्यातिरागाणामभिध्याश्च बुद्धिमान् ॥ -- चरक संहिता
बुद्धिमान व्यक्ति को मन से सम्बन्धित रोगों (मनोरोग) से बचने के लिए लोभ, शोक, भय, क्रोध, अहंकार, निर्लज्जता, ईर्ष्या, अत्यधिक प्रेम तथा लालच आदि से दूर रहना चाहिए ।
  • शोको नाशयते धैर्य, शोको नाशयते श्रॄतम्।
शोको नाशयते सर्वं, नास्ति शोकसमो रिपुः॥
शोक, धैर्य का नाश करता है। शोक स्मृति को नष्ट कर देता है। शोक सबका नाश करता है अतः शोक के समान दूसरा कोई शत्रु नहीं है॥
  • मोह सकल ब्याधिन को मूला । तिन तें पुनि उपजें बहु सूला ।।
बिनु संतोस न काम नसाहीं। काम अक्षत सुख सपनेहुं नाहीं।। -- तुलसीदास
  • भयानक सत्य यह है कि मानवों के प्रति साधारण सी घृणा और आक्रामकता किसी भी मानसिक रोग से कहीं अधिक खतरनाक है। -- डॉ रिचर्ड ए फ्रीडमैन, "Why Mass Murderers May Not Be Very Different From You or Me", New York Times, (8 August 2019)
  • साढे चार करोड़ से अधिक अमेरिकी वयस्य मानसिक रोगों से ग्रस्त हैं। -- Elaine K. Howley, What Mental Health Statistics Can Tell Us, U.S. News & World Report, (26 June 2019)
  • मानसिक स्वास्थ्य, पागल लोगों के लिये नहीं है। यह मूलतः आपका मनोवैज्ञानिक और भावात्मक रूप से स्वस्थ होना है। -- Oluwaseun Osowobi, Things every teenager should understand about mental health, (27 July 2020)
  • पिछले 20 वर्षों में विकसित देशों में मानसिक रोगों से निपटने के लिए मनःप्रेरक औषधियों के पर्चे, विशेष रूप से अवसादरोधी दवाएँ, बढ़ गए हैं। -- Mark Rice-Oxley, "Austerity and inequality fuelling mental illness, says top UN envoy", The Guardian, (24 June 2019)
  • पिछले 30 वर्षों में अवसाद और चिन्ता जैसी स्थितियों का प्रसार 40% से अधिक बढ़ गया है। -- Mark Rice-Oxley, "Austerity and inequality fuelling mental illness, says top UN envoy", The Guardian, (24 June 2019)

सन्दर्भ[सम्पादन]

इन्हें भी देखें[सम्पादन]