गुरु नानक देव
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गुरु नानक देव जिन्हें गुरु नानक और नानक शाह (१४६९-१५३९) के नाम से भी जाना जाता है, सिख धर्म के प्रवर्तक हैं, और सिखों के पहले गुरु हैं।
सूक्तियाँ
[सम्पादन]- मन की अशुद्धता है लालच, और जीभ की अशुद्धता है झूठ। आँखों की अशुद्धता है किसी अन्य पुरुष की पत्नी की सुन्दरता और उसके धन को ताड़ना। कानों की अशुद्धता है दूसरों के बारे में कुवचन सुनना। हे नानक, यह मर्त्य जीवात्मा, मृत्यु की नगरी में जाने के लिए विवश है। सारी अशुद्धता संशय और द्विपेक्षता से मोह के कारण होती है। जन्म और मृत्यु ईश्वर की इच्छा पर निर्भर हैं; उन्हीं की इच्छा से हम आते और जाते हैं।[१]
- करुणा को रुई, सन्तोष को धागा, नम्रता को गाँठ और सत्यता को मरोड़ बनाओ। यह आत्मा का पवित्र धागा है, तब आगे बढ़ो और इसे मुझपर डाल दो।[२]
- परमेश्वर एक है। ओंकार स्वरूप है। उसी का नाम सत्य है। वही कर्ता पुरुष है, वह निर्भय है, निर्वैर है, समय से परे है, अयोनि है, स्वयंभू है, गुरु के प्रसाद से प्राप्त होता है। ।[३]
- ईश्वर को तर्क-वितर्क द्वारा नहीं जान सकता फिर चाहे कोई युगों तक ही तर्क्-वितर्क क्यों न करता रहे।।[४]
- उसकी चमक से सबकुछ प्रकाशमान हैं।
- निचे बैठने वाला इन्सान कभी गिरता नहीं।
- प्रभु के लिए खुशियों के गीत गाओ, प्रभु के नाम की सेवा करो, और उसके सेवकों के सेवक बन जाओ।
- भगवान एक है, लेकिन उसके कई रूप हैं. वो सभी का निर्माणकर्ता है और वो खुद मनुष्य का रूप लेता है।
- दुनिया में किसी भी व्यक्ति को भ्रम में नहीं रहना चाहिए. बिना गुरु के कोई भी दुसरे किनारे तक नहीं जा सकता है।
- धन-समृद्धि से युक्त बड़े बड़े राज्यों के राजा-महाराजों की तुलना भी उस चींटी से नहीं की जा सकती है जिसमे में ईश्वर का प्रेम भरा हो।
- ईश्वर एक है लेकिन उसके कई रूप हैं. वो सभी का निर्माणकर्ता है और वो खुद मनुष्य का रूप लेता है।
- परमात्मा एक है और उसके लिए सब एक समान है।
- औरत का सम्मान करना चाहिए क्योंकि इस संसार की जन्मदाता ही औरत है।
- दुनिया को जीतने के लिए सबसे पहले अपने मन के विकारों को खत्म करना जरूरी होता है।
- अपने समय का कुछ हिस्सा प्रभु के चरणों के अंदर सम्र्पित कर देना चाहिए ।
- मैं जन्मा नहीं हूं मेरे लिए कोई भी कैसे मर सकता है या कैसे जन्म ले सकता है।
- संसार को जलादें और अपनी राख को घीस कर उसे स्याही बनाएं अपने दिल को कलम बनाएं और वह लिखें जिसका कोई अंत नहीं हो जिसकी कोई सीमा भी नहीं हो ।
सन्दर्भ
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