संसार में जल से ही समस्त प्राणियों को जीवन मिलता है। जल का दान करने से प्राणियों की तृप्ति होती है। जल में अनेक दिव्य गुण हैं। ये गुण परलोक में भी लाभ प्रदान करते हैं।
जल को अग्नि का स्वरूप माना गया है। जल, पृथ्वी की योनि है। जल अमृत की उत्पत्ति का स्थान है। इसीलिए महापुरुषों का कहना है कि, जल सभी प्राणियों का आधार है।
जल में रहने वाला जल के भीतर है जिसे जल नहीं जानता। जल जिसका शरीर है और जो भीतर रहकर जल का नियमन करता है वह तुम्हारा आत्मा अंतर्यामी अमृत है
शुद्धा नः आपस्तन्वे क्षरन्तु यो नः सेदुरप्रिये तं निदहम ।
पवित्रेण पृथिविमोत् पुनामि॥ -- अथर्ववेद 12/1/30
अथर्ववेद में मातृभूमि से प्रार्थना की गयी है कि, हे मातृभूमि ! आप हमारी शुद्धता के लिए स्वच्छ जल प्रवाहित करें । हमारे शरीर से उतरा हुआ जल हमारा अनिष्ट करने के इच्छुकों के पास चला जाय । हे भूमे ! पवित्र शक्ति से हम स्वयं को पावन बनाते है।
आपो देवीरूप ह्वये यत्र गावः पिबन्ति नः।
सिन्धुभ्यः कर्त्व हविः॥ -- अथर्ववेद 1/4/3
उस देवीरूप जल की हम अभ्यर्थना करते है, जो अन्तरिक्ष के लिए हवि प्रदान करता है तथा जहां हमारी इन्द्रियाँ तृप्त होती है।
षोडशकलाः सौम्य पुरुषः पञ्चदशाहानिमाशीः काममपः ।
पिबापोमयः प्राणो न पिबतो विच्छेत्स्यत॥ -- छान्दोग्योपनिषद 6/7/1
मनुष्य सोलह कलाओं से युक्त है, वह पन्द्रह दिन तक बिना भोजन किये हुए केवल जलपान करके भी जीवित रह सकता है, क्योंकि, प्राण जलमय है, इसलिए जल पीते रहने से जीवन का नाश नहीं होगा।
सूर्य आठ मास तक अपनी किरणों से रसस्वरूप जल को ग्रहण करके, उसे चार महीनों में बरसा देता है, उससे अन्न की उत्पति है और अन्न ही से सम्पूर्ण जगत का पोषण होता है।
यन्तु मेघैः समुत्सृष्टं वारि तत्प्राणिनां द्विज।
पुष्णात्यौषधयः सर्वा जीवनायामृतं हि तत्॥ -- विष्णुपुराण 1/ 9/19
जो जल मेघों द्वारा बरसाया जाता है, वह प्राणियों के लिए अमृत स्वरूप है और वह जल मनुष्यों के लिए औषधियों का पोषण करता है।
भूमि के अनुसार जल की विशेषता भी अलग अलग होती है - सफेद मिट्टी वाली भूमि पर गिरने से जल कषाय वर्ण, पाण्डु वर्ण की भूमि पर गिरने से जल क्षार, उसर भूमि पर गिरने पर जल लवण, पर्वत पर गिरकर बहने वाला जल कटु, और काले मिट्टी पर गिरने वाला जल मधुर होता है इस प्रकार भूमिगत जल के 6 गुण होते हैं।
आकाश से मेघजन्य सभी जल एक ही प्रकार का गिरता है। गिरते हुए आकाश का जल देशकाल के अनुसार गुण या दोष की अपेक्षा करता है।
दिवाकरकिरणैर्युष्टं निशायामिन्दुरश्मिभिः।
अरूज्ञमनभिष्यन्दि तत्तुल्यं गगनाम्बुना।
जो जल दिन में सूर्य की किरणों से और रात्रि में चंद्रमा की किरणों से संस्कृत होता है तथा जो रोग्य और अभिष्यन्दी नहीं है, वह जल गुण की दृष्टि से अच्छा माना गया है।
अच्छे पात्र में ग्रहण किया हुआ, अंतरिक्ष का जल त्रिदोष नाशक, बल कारक, रसायन और बुद्धिवर्धक होता है ।इसके सिवा जैसे पात्र में उसका ग्रहण किया हुआ हो, उसके अनुसार भी जल के गुण होते हैं।
अहितकर जल, चिकना, क्रिमियुक्त, सडे पत्ते, शैवाल, कीचड़ से दूषित, विवर्ण विकृत, विकृत रस युक्त, सान्द्र, गाढ़ा, जो कपडे में न छन सके और जो जल दुग्ध युक्त होता है वह हितकर नहीं होता है।
उस जल को नहीं पीये, जो कीचड़, शिवार, तृण तथा पत्तों के सहयोग से मलिन हो तथा उनसे व्याप्त हो और जिस पर सूर्य चंद्रमा की किरणों का तथा शुद्ध वायु का स्पर्श न हो और तुरन्त या प्रथम बार वर्षा हो, जो भारी हो, जिस पर झाग आ रही हो और जो विषाक्त युक्त हो उस जल को नही पीना चाहिए । जो उष्ण तथा अत्यंत शीतल होने से दांतो को लगता हो उसे भी नही पीना चाहिए ।
बिना साफ किए हुए, जो दूषित जल को पीता है । वह शोथ [सूजन], पाण्डुरोग, त्वचा, व्याधि, अजीर्ण, श्वास, जुकाम, शूल, गूल्म, उदर और अन्य विभिन्न प्रकार के विषम रोगों को प्राप्त हो जाता है।
सदा अन्नदान करते रहना और प्रतिदिन जल दान में प्रवृत्त रहते थे उन्होंने असंख्य पोखरण बगीचों और बावड़ियो का निर्माण करवाया था।
रहिमन पानी राखिये, बिनु पानी सब सून।
पानी गए न ऊबरै, मोती, मानुष, चून॥ -- रहीम
यहाँ रहीम ने पानी को तीन अर्थों में प्रयुक्त किया है। पानी का पहला अर्थ मनुष्य के संदर्भ में 'विनम्रता' से है। मनुष्य में हमेशा विनम्रता (पानी) होना चाहिए। पानी का दूसरा अर्थ आभा, तेज या चमक से है जिसके बिना मोती का कोई मूल्य नहीं। तीसरा अर्थ जल से है जिसे आटे (चून) से जोड़कर दर्शाया गया है। रहीम का कहना है कि जिस तरह आटे के बिना संसार का अस्तित्व नहीं हो सकता, मोती का मूल्य उसकी आभा के बिना नहीं हो सकता है उसी तरह विनम्रता के बिना व्यक्ति का कोई मूल्य नहीं हो सकता। मनुष्य को अपने व्यवहार में हमेशा विनम्रता रखनी चाहिए।
यदि इस ग्रह पर जादू है, तो यह पानी में निहित है। -- लोरेन ईसेली
पानी सभी प्रकृति की प्रेरक शक्ति है। -- लियोनार्डो दा विंसी
पानी की तुलना में कुछ भी नरम या अधिक लचीला नहीं है, फिर भी कुछ भी इसका विरोध नहीं कर सकता है। -- लाओ त्सू
हम भूल जाते हैं कि जल चक्र और जीवन चक्र एक हैं। -- Jacques Yves Cousteau
पानी की एक बूंद में सभी महासागरों के सभी रहस्य पाए जाते हैं। -- काहिल जिब्रान
किसी भी चीज़ का इलाज खारा पानी है: पसीना, आँसू या समुद्र। -- इसाक दिनेसेन
हजारों प्यार के बिना रहते हैं, पानी के बिना नहीं। -- डब्ल्यू एच. ऑडेन
पानी की एक बूंद, अगर यह अपना इतिहास लिख सकता है, तो ब्रह्मांड को हमें समझाएगा। -- लुसी लारकॉम
हम में जीवन एक नदी में पानी की तरह है। -- हेनरी डेविड थोरयू
न पानी , न जीवन, न नीला , न हरा । -- सिल्विया अर्ल
एक शांत पानी आत्मा की तरह है। -- Lailah Gifty Akita
जब कुआँ सूख जाता है, तब उन्हें पानी का महत्व मालूम होता है। -- बेंजामिन फ्रैंकलिन
आप पानी में गिरने से नहीं डूबते। आप केवल डूबते हैं अगर आप वहां रहते हैं। -- जिग जिगलर
पानी पानी में शामिल होना चाहता है। युवा वर्ग युवाओं से जुड़ना चाहता है। -- हरमन हेस
पानी की तरह रहो। प्रवाह, दुर्घटना, उड़ना ! -- एम.डी. जियाउल हक
मानव का स्वभाव पानी की तरह होना चाहिए. जैसे पानी अपने पात्र का आकार लेता है.
स्वस्थ जीवनशैली के लिए पानी पीना आवश्यक है। -- स्टीफन करी
अनुपयोग से लोहे में जंग लग जाता है; पानी ठहराव से अपनी शुद्धता खो देता है यहां तक कि निष्क्रियता भी मन की शक्ति को नष्ट कर देती है। -- लियोनार्डो दा विंसी