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  • गुरु नानक देव जिन्हें गुरु नानक और नानक शाह (१४६९-१५३९) के नाम से भी जाना जाता है, सिख धर्म के प्रवर्तक हैं, और सिखों के पहले गुरु हैं। मन की अशुद्धता...
    ६ KB (४५१ शब्द) - १२:५७, १४ मई २०२२
  • एन आर्टिफिस फॉर एग्रेसन (1994)" में मैं जैन धर्म या बौद्ध धर्म को हिंदू धर्म से अलग नहीं मानता। हिंदू धर्म न केवल सम्पूर्ण मानव जीवन की एकता में बल्कि...
    ८ KB (५९७ शब्द) - १६:२९, २० अगस्त २०२३
  • निश्चित रूप से इस तरह का धर्म नहीं है। यदि धर्म जीवन की बीमारियों से मुक्ति की एक प्रणाली है , तो तब बौद्ध धर्म धर्मों का धर्म है। -- कार्ल मार्क्स मैं...
    ५१ KB (३,८६६ शब्द) - २०:००, २० अगस्त २०२३
  • लेकर इन्दु (हिन्द महासागर) तक फैली देवताओं द्वारा बनाई गई भूमि को हिन्दुस्थान कहा जाता है। तुमि विद्या तुमि धर्म तुमि हरि तुमि कर्म। त्वं हि प्राणाः...
    २४ KB (१,७६६ शब्द) - ०६:०३, ७ अप्रैल २०२४
  • कृष्ण हिन्दू धर्म की अनेक परंपराओं में पूजे जाने वाले एक देवता है। कई वैष्णव समूह उन्हें भगवान विष्णु के अवतार के रूप में जानते हैं जबकि वैष्णव सम्प्रदाय...
    २८ KB (२,२१८ शब्द) - १२:२०, २४ अक्टूबर २०२३
  • का अभाव, कोमलता, चपलता का अभाव, तेज, क्षमा, धृति, शौच, अद्रोह और निरभिमान दैवी सम्पत्ति हैं, अर्थात मोक्ष का कारण हैं। -- गीता, अध्याय १६, श्लोक १-३...
    ४ KB (२११ शब्द) - १९:१८, १५ अक्टूबर २०२३
  • पाश्चात्य शिक्षा से प्रभावित हो तरूण बंगाली ईसाई धर्म की ओर आकर्षित हो रहे थे उस समय राजा राम मोहन राय हिन्दू धर्म के रक्षक के रूप में सामने आये। एक ओर उन्होंने...
    ४ KB (२८४ शब्द) - ०९:१४, ७ फ़रवरी २०२३
  • स्वामी विवेकानन्द (श्रेणी भारतीय धर्म गुरु)
    प्रवर्तक पतंजलि कहते हैं, " जब मनुष्य समस्त अलौकेक दैवी शक्तियों के लोभ का त्याग करता है, तभी उसे धर्म मेघ नामक समाधि प्राप्त होती है। वह प्रमात्मा का दर्शन...
    ९९ KB (७,८२३ शब्द) - १९:२२, ५ अगस्त २०२३
  • श्रीराम शर्मा (श्रेणी भारतीय धर्म गुरु)
    चाहिए। मानव-जीवन का आदर्श, कर्तव्य, धर्म और सदाचार का इस संकल्प मंत्र में भावनापूर्वक समावेश हुआ है। इसका पाठ करना किसी धर्म ग्रन्थ के पाठ से कम प्रेरणा और...
    ११८ KB (८,७७१ शब्द) - १६:३३, १६ जनवरी २०२४
  • बोलना चाहिये। यही सनातन धर्म है। सत्येन रक्ष्यते धर्मो विद्याऽभ्यासेन रक्ष्यते । मृज्यया रक्ष्यते रुपं कुलं वृत्तेन रक्ष्यते ॥ धर्म का रक्षण सत्य से, विद्या...
    २९ KB (२,२२३ शब्द) - ११:५१, ५ अगस्त २०२३
  • वाक्य श्रोता के हृदय में प्रवेश नहीं करता है। जहां कृष्ण हैं वहां धर्म है, और जहां धर्म है वहां जय है। जहां लुटेरो के चंगुल मे फंस जाने पर झूठी शपथ खाने...
    ७७ KB (५,२०३ शब्द) - २२:५६, ११ अगस्त २०२३
  • परम्परा छोड़ जाने की ललक उफनती रहे, यही है-प्रज्ञापुत्र शब्द का अर्थ। 34) दैवी शक्तियों के अवतरण के लिए पहली शर्त है- साधक की पात्रता, पवित्रता और प्रामाणिकता।...
    २६ KB (२,०५१ शब्द) - १०:४५, १२ जून २०२१
  • प्रीयन्ते सर्वदेवताः॥ पिता ही धर्म है, पिता ही स्वर्ग है और पिता ही सबसे श्रेष्ठ तपस्या है। पिता के प्रसन्न हो जाने पर सारे देवता प्रसन्न हो जाते हैं। जनिता...
    ८ KB (५४७ शब्द) - ०९:११, २९ दिसम्बर २०२२
  • जाना ॥ जाति पाँति कुल धर्म बड़ाई। धन बल परिजन गुन चतुराई॥ भगति हीन नर सोहइ कैसा। बिनु जल बारिद देखिअ जैसा॥ जाति, पाँति, कुल, धर्म, बड़ाई, धन, बल, कुटुम्ब...
    १०० KB (७,९९९ शब्द) - ०९:५२, १८ जून २०२३
  • हुडियाँ भुनाते दिखाई देते। धर्म पर उद्धरण इतिहास, समाज और राष्ट्र को पुष्ट करनेवाला हमारा दैनिक व्यवहार ही हमारा धर्म है। धर्म की यह परिभाषा स्पष्ट करती...
    १७ KB (१,२३६ शब्द) - १८:२९, २७ फ़रवरी २०१७
  • सरसि को आजु॥ (रामचरित मानस २/२२२) सामान्य धर्म के दस अंग माने गये हैं। ’रामचरित मानस‘ में तुलसीदास जी ने धर्म के इन सभी अंगों को भली-भाँति प्रतिपादित किया...
    ५७ KB (४,१०६ शब्द) - ०६:५७, २३ फ़रवरी २०२३
  • करता है। -- (ट्रुथ इज गॉड, १९५५ पृष्ठ २४) प्रत्येक भौतिक आपदा के पीछे एक दैवी उद्देश्य विद्यमान होता है। -- (ट्रुथ इज गॉड, १९५५ पृष्ठ २४) सत्याग्रह और...
    ८२ KB (६,२८८ शब्द) - २०:४६, २३ सितम्बर २०२३
  • दयानन्द सरस्वती (श्रेणी भारतीय धर्म गुरु)
    आलस्य को छोड़कर सदा उद्योगी, सुखदुःखादि का सहन, धर्म का नित्य सेवन करने वाला, जिसको कोई पदार्थ धर्म से छुड़ा कर अधर्म की ओर न खींच सके वह पण्डित कहाता...
    २५ KB (१,८३२ शब्द) - १६:२२, १३ अप्रैल २०२४
  • योग्य'। सतानत चिन्तन में प्रायः चार पुरुषार्थ माने गये हैं - धर्म, अर्थ, काम एवं मोक्ष। धर्म का अर्थ है- जीवन का नियामक तत्त्व, अर्थ का तात्पर्य है - जीवन...
    १६ KB (९८८ शब्द) - २२:०८, १३ अगस्त २०२३
  • चाहिए, क्योंकि वही देव, पितर के लिए दिये गये पदार्थों के लिए योग्य अधिकारी और पात्र है। जहाँ लाखों मूर्खों के खिलाने से जितना धर्म होता है वहाँ एक ही...
    १६ KB (१,०४१ शब्द) - २१:५७, २१ मार्च २०२४
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