शिक्षा
दिखावट
- सा विद्या या विमुक्तये
- विद्या वह है जो (व्यक्ति को) विमुक्त करती है।
- नास्ति विद्यासमं चक्षुर्नास्ति सत्यसमं तपः। -- महाभारत , 12/339/6
- विद्या के समान आँख नहीं है, सत्य के समान तप नहीं है।
- माता शत्रुः पिता वैरी येन बालो न पाठितः ।
- न शोभते सभामध्ये हंसमध्ये बको यथा ॥
- जो माता-पिता अपने बच्चो को पढ़ाते नहीं है ऐसे माँ-बाप बच्चो के शत्रु के समान है। विद्वानों की सभा में अनपढ़ व्यक्ति कभी सम्मान नहीं पा सकता। वह वहां हंसो के बीच एक बगुले की तरह होता है।
- जिससे मनुष्य विद्या आदि शुभगुणों की प्राप्ति और अविद्यादि दोषों को छोड़ के सदा आनन्दित हो सकें, वह शिक्षा कहाती है। -- दयानन्द सरस्वती, "शिक्षा किसको कहते हैं ?" के उत्तर में
- जिससे पदार्थ का स्वरूप यथावत् जानकर उससे उपकार लेके अपने और दूसरों के लिए सब सुखों को सिद्ध कर सकें वह 'विद्या' और जिससे पदार्थों के स्वरूप को अन्यथा जानकर अपना और पराया अनुपकार करे वह 'अविद्या' कहाती है। -- दयानन्द सरस्वती, "विद्या और अविद्या किसको कहते हैं ?" के उत्तर में
- मैने जो कुछ भी सीखा है, किताबों से सीखा है। -- अब्राहम लिंकन
- जिम्मेदारी शिक्षित करती है। -- वेन्डेल फिलिप्स
- एक सभ्य घर जैसा कोई स्कूल नहीं है और एक भद्र अभिभावक जैसा कोई शिक्षक नहीं है। -- महात्मा गाँधी
- केवल एक चीज जो मुझे सीखने में हस्तक्षेप करती है वो है मेरी शिक्षा। -- अल्बर्ट आइन्स्टीन
- अगर आप एक पुरुष को शिक्षित करते हैं तो आप सिर्फ एक पुरुष को शिक्षित करते हैं; लेकिन अगर आप एक स्त्री को शिक्षित करते हैं तो आप एक पूरी पीढ़ी को शिक्षित करते हैं। -- ब्रिघम यंग
- अगर लोग छोटी छोटी नादानियाँ नहीं करते तो कुछ भी बड़ा बुद्धिमत्तापूर्ण काम नहीं होता। -- लुडविग वित्त्गेंस्तें
- अनदेखी करना अज्ञानता के समान नहीं है, आपको इस पर काम करना होता है। -- मार्गरेट ऐटवुड
- अमेरिका इतना शिक्षित होता जा रहा है कि अज्ञानता एक नयी बात होगी. मैं कुछ गिने चुने लोगो में रहना चाहूँगा। -- विल रोजर्स
- असल ज़िन्दगी में, मैं यकीन दिलाता हूँ, अलजेब्रा जैसा कुछ भी नहीं है। -- फ्रैन लेबोविज़
- आंकड़े जानकारी नहीं हैं, जानकारी ज्ञान नहीं हैं, ज्ञान समझ नहीं है, समझ बुद्धिमानी नहीं है। -- क्लिफोर्ड स्टोल
- आधुनिक शिक्षक का कार्य जंगलों की कटौती करना नहीं, बल्कि रेगिस्तान की सिंचाई करना है। -- सी एस लुईस
- आप एक आदमी को शिक्षित करते हैं; आप एक आदमी को शिक्षित करते हैं। आप एक औरत को शिक्षित करते हैं; आप एक पूरी पीढ़ी को शिक्षित करते हैं। -- ब्रिघम यंग
- आप कभी भी ओवरड्रेस्ड या ओवरएजुकेटेड नहीं हो सकते। -- ऑस्कर वाइल्ड
- आप हमेशा एक छात्र हैं, कभी मास्टर नहीं हैं आपको आगे चलते रहना होगा। -- कोनार्ड हाल
- एक आदमी जो कभी स्कूल नहीं गया, वह माल गाड़ी से चोरी कर सकता है; लेकिन अगर उसके पास विश्वविद्यालय की शिक्षा है, तो वह पूरी रेल चोरी कर सकता है। -- Theodore Roosevelt
- एक आधुनिक शिक्षक का काम जंगलों को काटना नहीं बल्कि रेगिस्तान को सींचना है। -- सी.एस.लेविस
- एक उदार समाज के मूल में उदार शिक्षा होती है ,और एक उदार शिक्षा के मूल में शिक्षण का कार्य होता है। -- ए. बार्टलेट जियामेट्टी
- एक बार प्रबुद्ध हुआ मन फिर से अंधकारमय नहीं हो सकता। -- थॉमस पेन
- एक शिक्षक दरवाजा खोल सकता है, लेकिन उस दरवाजे के अन्दर प्रवेश आपको खुद ही करना है। -- चीनी कहावत
- एक शिक्षित व्यक्ति वो है जिसने जान लिया है कि सूचना लगभग हमेशा ही अधूरी , अक्सर गलत ,भटकाने वाली, -- रस्सेल बेकर
- ऐसे जियो जैसे कि तुम्हे कल मर जाना हो। ऐसे सीखो जैसे कि तुम्हे हेमशा के लिए जीना हो। -- महात्मा गाँधी
- औपचारिक शिक्षा आपको जीवन यापन करने योग्य बनती है; स्व:शिक्षा आपको सफल बनती है। -- जिम रोहन
- किसी सेना की अपेक्षा शिक्षा स्वतंत्रता के लिए एक बेहतर सुरक्षा है। -- एडवर्ड एवरेट
- केवल एक पीढ़ी के पाठक एक पीढ़ी के लेखकों को जन्म देंगे। -- स्टीवन स्पीलबर्ग
- कोई भी,जिसने सीखना छोड़ दिया चाहे उसकी उम्र बीस साल हो या अस्सी साल,वो बूढा है। कोई भी जिसने ज्ञान प्राप्त करना जारी रखा हुआ है वो युवा है। -- हेनरी फोर्ड
- जब कोई विषय पूरी तरह से अप्रचलित हो जाता है तो हम उसे आवश्यक पाठ्यक्रम बना देते हैं। -- पीटर ड्रकर
- जब तक आप रुकते नहीं ये मायने नहीं रखता कि आप कितना धीमे जा रहे हैं। -- कन्फ्यूशियस
- जितना अधिक मैं जीता हूँ, उतना अधिक मैं सीखता हूँ। जितना अधिक यो कि आप कल मर जायेंगे, ज्ञान ऐसे प्राप्त करो कि आप अमर हैं। -- मोहनदास करमचंद गांधी
- जीवन में बस वही वास्तविक असफलता है जिससे आपने सीख नहीं ली। -- अन्थोनी जे. डी’ एंजिलो
- जो आपने सीखा है उसे भूल जाने के बाद जो रह जाता है वो शिक्षा है। -- बी. ऍफ़. स्किन्नर
- जो कुछ भी हमने स्कूल में सीखा है, वो सब भूल जाने के बाद भी जो हमें याद रहता है, वो ही हमारी शिक्षा है। -- अल्बर्ट आइंस्टीन
- जो कोई भी सीखना छोड़ देता है, चाहे बीस पे या अस्सी पे बूढ़ा है। जो कोई भी सीखता रहता है जवान रहता है। -- हेनरी फोर्ड
- ज्ञान वो सबसे शक्तिशाली हथियार है जिससे आप पूरी दुनिया बदल सकते है। -- नेल्सन मंडेला
- ज्ञान ही शक्ति है। जानकारी स्वतंत्रता है। प्रत्येक परिवार और समाज में शिक्षा, प्रगति का आधार है। -- कोफी अन्नान
- दिमाग भरा जाने वाला पात्र नहीं है, बल्कि जलाई जाने वाली आग है। -- प्लूटार्क
- दुनिया एक किताब है और वे जो घूमते नहीं केवल एक पन्ना पढ़ते हैं। -- अगस्टीन ऑफ़ हिप्पो
- निर्देश कक्षा के बहार समाप्त हो जाते हैं लेकिन शिक्षा जीवन के साथ समाप्त होती है। -- फ्रेदेरिच्क व.रोबेर्त्सों
- परिवर्तन सभी प्रकार की शिक्षाओं का अंतिम परिणाम है। -- लेओबुस्कैग्लिया
- परिवर्तन ही सच्ची विद्या का अंतिम परिणाम है। -- लियो बुस्काग्लिया
- पहले भगवान ने बेवकूफ लोग बनाये, वो अभ्यास के लिए था। फिर उन्होंने स्कूल बोर्ड्स बनाये। -- मार्क ट्वैन
- प्रथम स्थान पर, भगवान ने बेवकूफों को बनाया। वह अभ्यास के लिए था। उसके पश्चात उन्होंने स्कूल बोर्ड बनाया। -- बेस्ट शिक्षा पर विचार
- फॉर्मल ऐजुकेशन आपको जीविका दे देगी; सेल्फ-ऐजुकेशन आपको अमीर बना देगी। -- जिम रौन
- बच्चे ये याद नहीं रखते कि आपने उन्हें क्या पढ़ाने की कोशिश की थी। वे ये याद रखते हैं कि आप क्या हैं। -- जिम हेंसन
- बच्चों को ये सिखाया जाना चाहिए कि कैसे सोचें, ना कि क्या सोचें -- मार्गरेट मीड
- बच्चों को शिक्षित किया जाना चाहिए , पर उन्हें खुद को शिक्षित करने के लिए भी छोड़ दिया जाना चाहिए। -- एर्न्स्ट डीम्नेट
- बच्चों को सिखाईये कि कैसे सोचा जाये, न कि क्या सोचा जाये। -- मार्गरेट मीड
- बिना अपना आपा और आत्म विश्वास खोये, कुछ भी सुन सकने की योग्यता ही शिक्षा है। -- रोबर्ट फ्रॉस्ट
- बिना इच्छा के पढ़ाई यादाश्त खराब कर देती है, और वो जो कुछ भी लेती है उसमे से कुछ नहीं रखती। -- लियोनार्डो डा विन्ची
- बिना दिल को शिक्षित किये दिमाग को शिक्षित करना कोई शिक्षा नहीं है। -- अरस्तु
- बिना शिक्षा के कामन सेन्स होना, शिक्षा प्राप्त करके भी कामन सेन्स ना होने से हज़ार गुना बेहतर है। -- रोबर्ट ग्रीन इन्गेर्सोल
- बिना शिक्षा प्राप्त किये कोई व्यक्ति अपनी परम ऊँचाइयों को नहीं छू सकता। -- होरेस मैन
- बुद्धि और चरित्र – यही सच्ची शिक्षा का लक्ष्य है। -- मार्टिन लूथर किंग जूनियर
- भले ही शिक्षा का जड़ बहुत कड़वा होता है, परन्तु इसका फल बहुत मीठा व स्वादिष्ट होता है। -- अरस्तु
- भविष्य में वो अनपढ़ नहीं होगा जो पढ़ ना पाए। अनपढ़ वो होगा जो ये नहीं जानेगा की सीखा कैसे जाता है । -- अल्विन टोफ्फ्लर
- मुझमें कोई विशिष्ट प्रतिभा नहीं है। मुझे केवल जुनून की हद तक उत्सुकता है। -- अल्बर्ट आइंस्टीन
- मुझे बताओ और मैं भूल जाऊंगा,मुझे दिखाओ और शायद मैं याद रखूँगा,मुझे शामिल करो और मैं समझूंगा। -- चीनी कहावत
- मूल्यों के बिना शिक्षा, उतना ही उपयोगी है जितना कि ऐसा है, मनुष्य को और अधिक चालाक शैतान बनाने की बजाय। बिना मूल्यों के शिक्षा उतनी ही उपयोगी है, जैसे कि वो एक इंसान को और चालाक शैतान बना रही हो। -- सी.एस लुईस
- मैं पढ़ाने वाला नहीं बल्कि जगाने वाला हूँ। -- रॉबर्ट फ्रॉस्ट
- मैं स्कूल जाता हूँ, लेकिन मैं जो जानना चाहता हूँ वो कभी नहीं सीखता। -- बिल वाटरसन
- मैंने कभी भी अपनी स्कूलिंग को अपनी शिक्षा के मार्ग में नहीं आने दिया है। -- मार्क ट्वेन
- यदि आपको लगता है शिक्षा महंगी है तो अज्ञानता को ट्राई कर लीजिये। -- रॉबर्ट और्बेन
- यह एक शिक्षित दिमाग का लक्षण है, जो एक विचार को स्वीकार किए बिना भी उससे मनोरंजन करने में सक्षम है। -- अरस्तु
- युवा पीढ़ी को इस काबिल बनाना कि वो जीवन भर अपने आप को प्रशिक्षित करते रहें, ये शिक्षा का असली उद्देश्य है। -- रोबर्ट मेनार्ड हुत्चिंस
- वो जो स्कूल के दरवाजे खोलता है, जेल के दरवाजे बंद करता है। -- विक्टर ह्यूगो
- वो व्यक्ति जो एक विद्यालय खोलता है, एक कारावास बंद करता है। -- विक्टर ह्यूगो
- व्यावहारिक विवेक का होना शिक्षित होने से हजार गुना बेहतर है। -- रोबर्ट जी.इन्गेर्सोल्ल
- शादी इंतज़ार कर सकती है, शिक्षा नहीं। -- खालिद हुसैनी
- शिक्षा अचानक से प्राप्त नहीं की जा सकती, इसे उत्साह और परिश्रम के द्वारा प्राप्त किया जाना चाहिए। -- अबीगैल एडम्स
- शिक्षा अपने क्रोध या अपने आत्म विश्वास को खोये बिना लगभग कुछ भी सुनने की क्षमता है। -- राबर्ट फ्रोस्ट
- शिक्षा एक सराहनीय चीज है, पर समय समय पर ये बात याद कर लेनी चाहिए की ऐसा कुछ भी जो जानने योग्य है उसे सिखाया नहीं जा सकता। -- ऑस्कार वाइल्ड
- शिक्षा एक सराहनीय वस्तु है, परन्तु अच्छा है समय-समय पर याद रखें कि जो कुछ भी जानने योग्य है वह सिखाया जाये। -- ऑस्कर वाइल्ड
- शिक्षा का अर्थ है वो जानना ,जो आपको पता भी नहीं था कि वो आपको पता नहीं था। -- डेनियल जे. बूर्स्तिन
- शिक्षा का उच्चतम परिणाम सहनशीलता है। -- हेलेन केलर
- शिक्षा का उद्देश्य है युवाओं को खुद को जीवन भर शिक्षित करने के लिए तैयार करना। -- राबर्ट एम्. हचिंस
- शिक्षा का कार्य गहराई से और गंभीर रूप से सोचना सिखाना है। बुद्धिमत्ता के साथ चरित्र – यही सच्ची शिक्षा का लक्ष्य है। -- मार्टिन लूथर किंग जूनियर।
- शिक्षा का मकसद है एक खाली दिमाग को खुले दिमाग में परिवर्तित करना। -- मैल्कम फ़ोर्ब्स
- शिक्षा का ये मतलब नहीं है कि आपने कितना कुछ याद किया हुआ है, या ये कि आप कितना जानते हैं। इसका मतलब है आप जो जानते हैं और जो नहीं जानते हैं उसमे अंतर कर पाना। -- अनाटोले फ्रांस
- शिक्षा का लक्ष्य ज्ञान की प्रगति और सच्चाई का प्रसार है। -- जॉन एफ कैनेडी
- शिक्षा का सही उद्देश्य तथ्यों का नहीं, बल्कि मूल्यों का ज्ञान होना चाहिए। -- विलियम एस ब्यूर शिक्षा पर अनमोल वचन
- शिक्षा की जड़ कडवी है, पर उसके फल मीठे हैं। -- अरस्तु
- शिक्षा के बिना, हम पर शिक्षित लोगों को गंभीरता से लेने का एक भयानक और घातक खतरा रहता है। -- जी के चेस्टरटन
- शिक्षा ज़िन्दगी की तैयारी नहीं है; शिक्षा खुद ज़िन्दगी है। -- जॉन डेवे
- शिक्षा जीवन की तैयारी नहीं है; शिक्षा ही जीवन है। -- जॉन देवे
- शिक्षा ने ऐसी बहुत बड़ी आबादी पैदा की है जो पढ़ तो सकती है पर ये नहीं पहचान सकती की क्या पढने लायक है। -- जी. एम् . ट्रेवेल्यन
- शिक्षा प्राप्त करना कुछ-कुछ फैलने वाली सेक्स डिजीज जैसा था। ये आपको कई कामों के लिए अनुप्य्युक्त बना देता है और फिर आपके अन्दर इसे आगे फैलाने की तीव्र इच्छा होती है। -- टेरी प्रैचेट
- शिक्षा बाल्टी भरना नहीं है, ये तो आग जलाना है। -- विल्लियम बटलर यीट्स
- शिक्षा भविष्य के लिए पासपोर्ट है जो आज इसके लिए तैयारी करते हैं। -- माल्कॉम एक्स
- शिक्षा भीतर से आती है; आप इसे विचार करके, संघर्ष करके और प्रयास करके प्राप्त कर सकते हैं। -- नेपोलियन हिल
- शिक्षा राष्ट्रों की सस्ती रक्षा का माध्यम है। -- एडम्ण्ड बुर्क
- शिक्षा वह नींव है जिस पर हम अपने भविष्य का निर्माण करते हैं। -- क्रिस्टीनग्रेगोइर
- शिक्षा शिक्षा है। हमें सब कुछ सीखना चाहिए और फिर चुनाव करना चाहिए कि हमें कौन से मार्ग पर चलना है। शिक्षा ना ईस्टर्न है ना ही वेस्टर्न, ये ह्यूमन है। -- मलाला युसुफजई
- शिक्षा सज्जनता को शुरू करती है, लेकिन पढ़ाई, अच्छी कंपनी और दिखावा उसे खत्म कर देता है । -- जॉन लोक
- शिक्षा सबसे शक्तिशाली हथियार है जिसे आप दुनिया को बदलने के लिए उपयोग कर सकते हैं। -- नेल्सन मंडेला
- शिक्षा समृद्धि और प्रतिकूल परिस्थितियों में एक आभूषण है। -- अरस्तु
- सिद्धांतों के बिना शिक्षा, एक मनुष्य को चालाक दैत्य बनाने जैसा है। -- सी. एस. लेविस
- सीखने के लिए एक जूनून पैदा कीजिये. यदि आप कर लेंगे तो आपका विकास कभी नहीं रुकेगा। -- अन्थोनी जे. डी’एंजेलो
- सीखने में आप सिखायेंगे, और सिखाने में आप सीखेंगे। -- फिल कॉलिन्स
- स्कूल का सबसे सीधा लड़का भी अब उस सत्य को जानता है जिसके लिए आर्कमडीज ने अपना जीवन बलिदान कर दिया होता। -- एर्न्स्ट रेनैन
- स्पून फीडिंग आखिरकार कुछ नहीं सिखाता बस स्पून का शेप सिखा देता है। -- इ एम् फोरस्टर
- हमने स्कूल में जो सीखा है वह सब भूलने के बाद जो याद रहता है, वही शिक्षा है। ज्ञान का निवेश सर्वोत्तम भुगतान करता है। -- बेंजामिन फ्रैंकलिन
- हमारे पुस्तकालयों की जो भी लागत हो, उसकी कीमत एक अज्ञानी राष्ट्र की तुलना में कम है। -- वाल्टर क्रोंकाईट
- शिक्षा जीवन में सफलता की कुंजी है, और शिक्षक अपने छात्रों के जीवन पर स्थायी प्रभाव डालते हैं जिससे वह अपने जीवन में सफल होते हैं। -- सोलोमन ऑर्टिज़
- शिक्षा हमारे समाज की आत्मा है जो कि एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को दी जाती है। -- जी.के.चेस्तेरसों
- शिक्षा हमें अंधेरे से प्रकाश की ओर ले जाती है। -- एलान ब्लूम
- शिक्षित व्यक्ति को आसानी से शाषित किया जा सकता है। -- फ्रेडरिक दी ग्रेट
- सच है, अल्प ज्ञान खतरनाक है,पर फिर भी ये पूर्ण रूप से अज्ञानी होने से बेहतर है। -- अबीगेल वैन बरेन
- सच्ची शिक्षा के दो लक्ष्य हैं; एक बुद्धिमत्ता, दूसरा चरित्र। -- मार्टिन लुथर किंग
- शिक्षा स्वतंत्रता के स्वर्ण द्वार खोलने के कुंजी है। -- जार्ज वाशिंगटन करवर
- हर देश के बच्चों को दो प्रमुख विचार सिखाए जाने चाहिए। वे हैं : व्यक्ति का मूल्य, और यह तथ्य कि मानवता एक है। ~ एलिस बेली[१]
- शिक्षा की समस्याएं हमारे युग की गहनतम समस्याओं का प्रतिबिम्ब मात्र हैं। उन्हें संगठन, प्रशासन या अधिक धन व्यय से नहीं सुलझाया जा सकता, यद्यपि इन चीजों के महत्त्व से इनकार नहीं किया जा सकता। वास्तव में हम एक रोग से ग्रस्त हैं जो तत्वमीमांसीय है और उसका इलाज भी इसलिए तत्वमीमांसीय ही हो सकता है। जो शिक्षा हमारे प्रमुख विश्वासों को स्पष्ट न कर सके, वह केवल प्रशिक्षण या व्यसन मात्र है। जब तक हमारे विश्वास गड्ड-मड्डु रहेंगे और वर्तमान तत्वमीमांसा-विरोधी वातावरण बना रहेगा, अव्यवस्था बदतर होती जाएगी। -- ई० एफ० शुमाकर
- विद्या किसे कहते हैं? इसकी परिभाषा करते हुए शास्त्रकारों ने सूत्र रूप में कह दिया है कि- 'सा विद्या या विमुक्तये' अर्थात् विद्या वह है कि जो मुक्ति प्रदान करे। जिसके द्वारा हम रोग, शोक, द्वेष, पाप, दीनता, दासता, गरीबी, बेकारी, अभाव, अज्ञान, दुर्गुण, कुसंस्कार आदि की दासता से मुक्ति प्राप्त कर सकें वह विद्या है। ऐसी विद्या को प्राप्त करने वाले विद्वान कहे जाते हैं।
प्राचीन समय में आज के जितने स्कूल कालेज न थे। पढ़ने वाले छात्रों को एक गधे के बोझ की बराबर पुस्तकें लादकर यों स्कूल न जाना पड़ता था। दिन-रात आवश्यक बातें रटाने की पद्धति की आज की शिक्षा प्रणाली का कहीं दर्शन भी न था। तो भी लोग विद्वान होते थे। उपयोगी शिक्षा और विद्या का इतना अधिक प्रचलन था कि हर ग्राम और नगर स्वतः एक कालेज था। वहाँ के निवासी अपने घर वालों, कुटुम्बियों और नगर निवासियों से ही बहुमूल्य ज्ञान प्राप्त कर लेते थे। तोता रटंत की अपेक्षा जीवन की उपयोगी और आवश्यक शिक्षा क्रियात्मक रीति से प्राप्त की जाती थी। प्रत्यक्ष प्रमाण और अनुभव द्वारा वे तथ्य शिक्षार्थियों को भली प्रकार हृदयंगम हो जाते थे।
मेघनाद, कुम्भकरण, अंगद, हनुमान, जामवंत से योद्धा, अर्जुन, भीम, भीष्म, द्रौण जैसे महारथी बी. ए. पास थे या मेट्रिक्युलेट थे इसका कुछ पता नहीं चलता। दर्शन, विज्ञान, चिकित्सा, खगोल, भूगर्भ, प्राणिशास्त्र, रसायन, शिल्प, वास्तु, अर्थ, नीति, धर्म, अध्यात्म आदि विषयों के विशेषज्ञ घर-घर में होते थे। इन विषयों की वे क्रियात्मक जीवन में अनुभव पूर्ण शिक्षा प्राप्त करते थे और अपने विषय के सुयोग्य ज्ञाता बन जाते थे। पुरुष के समान स्त्रियाँ भी अपनी विद्वत्ता में शिक्षा में आगे बढ़ी चढ़ी थीं। स्त्रियों के कालेज कहीं थे इसका पता इतिहास के पन्ने नहीं देते पर इतना जरूर बताते हैं कि आज की 'कालेज गर्ल्स' की अपेक्षा उस समय की ललनाएं हर दृष्टि से अधिक सुशिक्षित होती थीं।
कबीर, रैदास, दादू आदि संत शिक्षा की दृष्टि से पिछड़े हुए कहे जा सकते हैं। वे साहित्य और व्याकरण के उतने विद्वान न थे तो भी आज के एल. टी. प्रोफेसरों की अपेक्षा उनकी विद्या वास्तविक थी। अकबर पढ़े-लिखे न थे, पंजाब केशरी महाराणा रणजीतसिंह की शिक्षा नहीं के बराबर थी, छत्रपति शिवाजी शिक्षित न थे पर जो कुछ उनने सीखा था वह आज के फटे हाल ग्रेजुएटों की अपेक्षा बहुत उपयोगी एवं वास्तविक था।
हम क्या पढ़ें ? एवं बच्चों को क्या पढ़ावें ? इस प्रश्न का सीधा सा उत्तर शास्त्रकार इस प्रकार देते हैं कि जिस ज्ञान के आधार पर दुखदायी बन्धनों से छुटकारा प्राप्त किया जा सके वही विद्या है, उसे ही पढ़ो। रोग, शोक, द्वेष, पाप, दीनता, दासता, गरीबी, बेकारी, अभाव, अज्ञान, दुर्गुण, कुसंस्कार आदि के शारीरिक, मानसिक एवं सामाजिक बन्धनों से मुक्ति प्राप्त करने की योग्यता - शक्ति जिस उपाय द्वारा मिले वहीं विद्या है उसे ही सीखना और सिखाना उचित है।
आज की शिक्षा उपरोक्त कसौटी पर कसे जाने के उपरान्त बिल्कुल निकम्मी सिद्ध होती है। जीवन का एक तिहाई भाग स्कूल कालेजों के कैद खाने में व्यतीत करने के बाद हमारे बालक जब बाहर आते हैं तो वे उपरोक्त बंधनों से छूटना तो दूर उलटे जब स्कूल में प्रवेश हुए थे उसकी अपेक्षा भी अधिक जकड़े हुए निकलते हैं। शील, स्वास्थ्य, संयम, विवेक, विनय, श्रद्धा, उत्साह, वीरत्व, सेवा, सहयोग आदि विद्या द्वारा प्राप्त होने वाले स्वाभाविक फल जब उनमें दृष्टिगोचर नहीं होते तो फिर किस प्रकार कहा जा सकता है कि उन्होंने विद्या प्राप्त की है या वे विद्वान हो गये हैं।
अन्धानुकरण करके अपने बालकों के इस निरर्थक एवं हानिकर शिक्षा का भार लादकर उनके स्वास्थ्य और जीवन विकास से रोकना उचित नहीं । इतनी खर्चीली, इतनी श्रम साध्य शिक्षा जब विद्या से प्राप्त होने वाले सुफल की उपस्थित नहीं करती वरन् उलटे परिणाम उत्पन्न करती है तो उसे अविद्या या कुशिक्षा ही कह सकते हैं। इस कुशिक्षा में बालकों के जीवन कि विकासोन्मुखी प्रमुख भाग बर्बाद कर दिये जाने पर भविष्य में वे कोई महत्वपूर्ण कार्य कर सकेंगे इसकी संभावना बहुत कम रह जाती है। किशोरावस्था का पुष्प, तोता रटन्त में रात-रात भर जागकर जब मसल डाला जाय तो फिर उस पर उत्तम फल लगने की क्या आशा की जा सकती है?
उच्च शिक्षा के नाम पर प्रचलित वर्तमान अनुपयोगी शिक्षा से हमारा कुछ भी भला नहीं हो सकता। अब हमें ऐसी शिक्षा का निर्माण करना होगा जो क्लर्क बाबू ढालने की फैक्टरी न रह कर शिक्षार्थी के जीवन विकास में सर्वतोमुखी सहायता प्रदान करे। उस शिक्षा में अनावश्यक पुस्तकों का गर्दभ भार न रह कर अनुभवी क्रिया कुशल आचार्यों द्वारा जीवनोपयोगी व्यवहारिक शिक्षा देने की व्यवस्था होगी। वही शिक्षा हमारे बालकों को सफल योद्धा, व्यापारी, नेता, सेवक, शिल्पी वैज्ञानिक आदि बना सकेगी। उस धार्मिक आधार पर खड़े हुए शिक्षण से ही मनुष्यों के बीच सच्चे प्रेम और सद्भाव की स्थापना होगी और सुख शान्तिमय लोक परलोक का निर्माण होगा।
आइए, हम लोग ऐसी शिक्षा प्रणाली का निर्माण करें, उसके निर्माण की आज के अन्धकार युग में सर्वोपयोगी आवश्यकता है।-- श्रीरम शर्मा आचार्य, मई १९४६ में अखण्ड ज्योति में 'सा विद्या या विमुक्तये' शीर्षक से लेख में
प्राचीन एवं अंग्रेजों के शासन के पहले की भारतीय शिक्षा
[सम्पादन]- सा विद्या या विमुक्तये।
- विद्या वह है जो (व्यक्ति को) मुक्ति प्रदान करे।
- सत्यं वद धर्मं चर स्वाध्यायात् मा प्रमद।
- सत्य बोलना, धर्म का आचरण करना, स्वाध्याय से प्रमाद मत करना।
- ब्राह्मण शिक्षकों ने जिस शिक्षा प्रणाली का विकास किया, वह न केवल साम्राज्यों के पतन और समाज के परिवर्तनों से अप्रभावित रही, वरन् उसने हजारों वर्षों तक उच्च शिक्षा की ज्योति को प्रज्ज्वलित रखा। -- डॉ० एफ० ई० केई (FE. Keay)
- ऐसा कोई देश नहीं है जहाँ ज्ञान के प्रति प्रेम इतने प्राचीन समय में प्रारम्भ हुआ हो, या जिसने इतना स्थायी ओर शक्तिशली प्रभाव उत्पन्न किया हो, जितना भारत में। -- एफ डब्ल्यु थॉमस
- विद्यारम्भ संस्कार, उपनयन संस्कार के अनेक वर्षों बाद उस समय आरम्भ हुआ, जब वैदिक संस्कृत, जनसाधारण की बोलचाल की भाषा नहीं रह गई थी। -- डॉ० ए० एस० अल्तेकर
- यह संस्कार पाँच वर्ष की आयु में होता था और साधारणतः सब जातियों के बालकों के लिए था। -- डॉ० वेद मित्र, विद्यारम्भ संस्कार के सम्बन्ध में
- ‘प्रेसीडेंसी के सभी गावों में पाठशालाएं हैं’। -- थॉमस मुनरो की मद्रास प्रेसीडेन्सी में शिक्षा की स्थिति पर रिपोर्ट (१८२२-२६)
- (मद्रास) प्रेसीडेंसी में 12,498 पाठशालाएं हैं, जिन में 1,88,650 विद्यार्थी पढ़ते हैं। -- थॉमस मुनरो की मद्रास प्रेसीडेन्सी में शिक्षा की स्थिति पर रिपोर्ट (१८२२-२६)
- पूरे प्रेसीडेन्सी में मुश्किल से कोई छोटा या बड़ा गाँव होगा जिसमें कम से कम एक विद्यालय न हो। -- जी एल प्रेण्डरगास्ट की बॉम्बे प्रेसीडेन्सी में शिक्षा की स्थिति के बारे में रपट, मार्च १८२४
- बंगाल और बिहार में एक लाख के लगभग स्कूल्स हैं। इन दोनों प्रान्तों की जनसंख्या चार करोड़ के बराबर है। अर्थात प्रति 400 व्यक्तियों पर एक शाला है। -- विलियम एडम्स की बंगाल प्रेसीडेन्सी में शिक्षा की स्थिति पर पहली रपट, 1835 से 1838 तक
- भारत में बड़ी अच्छी विकेंद्रित शिक्षा व्यवस्था है। लगभग प्रत्येक गांव की अपनी पाठशाला हैं, जो गांव वाले चलाते हैं। इन पाठशालाओं को जमीनें आवंटित हैं, जिनकी आमदनी से पाठशाला का खर्चा निकलता है। ... ‘इन में से अनेक स्कूलों का स्तर तो हमारे ऑक्सफोर्ड और कैंब्रिज विश्वविद्यालय के बराबर का है। शिक्षकों को अच्छा वेतन दिया जाता हैं।' -- ब्रिटिश आई सी एस अधिकारी जी. डब्लू. लेटनर "History of Indigenous Education in Punjab : Since Annexation and in 1882" में पंजाब में शिक्ष की स्थिति के बारे में सन १८८२ में
- इस होशियारपुर जिले में साक्षरता की दर 84% है। -- जी. डब्लू. लेटनर, उत्तरी पंजाब के होशियारपुर जिले के बृहद सर्वेक्षण के आधार पर, १८७०-७५
- मालाबार के साहित्य का आधार एक जैसा है और इसमें सभी हिंदू राष्ट्रों (भारत क सभी भागों) की तरह ही शिक्षा-सामग्री शामिल है। शिक्षा हर परिवार में एक प्रारंभिक और महत्वपूर्ण क्रियाकलाप है। उनकी कई महिलाओं को पढ़ना-लिखना सिखाया जाता है। बच्चों को हिंसा के बिना और विशेष रूप से सरल प्रक्रिया द्वारा शिक्षा दी जाती है। .... शिष्य एक-दूसरे के मॉनिटर हैं और अक्षरों/ अंकों को रेत पर उंगली से लिखा जाता है। -- ईस्ट इंडिया कंपनी के अधिकारी, अलेक्जेंडर वॉकर (1764 – 1831) अपनी पुस्तक के पृष्ठ संख्या 263 पर
- ...ब्रिटिश प्रशासक, जब भारत आये, तो चीज़ों को ज्यों का त्यों अपने कब्जे में लेने के बजाय, उन्हें जड़ से उखाड़ना शुरू कर दिया। उन्होंने जड़ से मिट्टी हटायी और जड़ को देखने लगे, और जड़ को वैसे ही (बिना मिट्टी के) छोड़ दिया। और वह सुन्दर वृक्ष नष्ट हो गया। -- महात्मा गांधी, 20 अक्टूबर, 1931 को चैथम हाउस, लंदन में
- हालाँकि, तेरहवीं सदी से लेकर उन्नीसवीं सदी के आरम्भ तक की अवधि के दौरान इतिहास या शिक्षा की स्थिति पर बहुत कम लिखा गया है। -- डॉ धर्मपाल, 'द ब्युटीफुल ट्री' की प्रस्तावना में
- इस बात पर ज़ोर देना ज़रूरी है कि स्वदेशी शिक्षा पाठशालाओं, मदरसों और गुरुकुलों के माध्यम से दी जाती थी। इन पारंपरिक संस्थानों का कर्यकलाप 'शिक्षा' कहलाता था और इसे सारे लोग वित्तीय सहयोग देकर जीवित रखते थे। यहाँ तक कि उन लोगों से भी सहयोग मिलता था जो स्वयं अशिक्षित थे। इस शिक्षा में प्रज्ञा, शील और समाधि के विचार शामिल थे। वास्तव में ये संस्थाएँ उस कूप के समान थीं जो समाज की जड़ों को सींचने का कार्य करतीं थीं। इसलिए ये संस्थाएँ आजकल के 'स्कूल' की अपेक्षा बहुत बड़ी भूमिका निभातीं थीं। -- 'द ब्युटीफुल ट्री' में
- प्राचीन "गुरुकुल" प्रणाली को अधिक समालोचनात्मक नजरिए से देखने की जरूरत है और पहला कदम इन गुरुकुलों के इतिहास के रिकार्डों से यह ढूँढना होगा कि उनके क्रियाकलाप क्या-क्या थे। इसके बिना हम प्राचीन गौरव के बारे में ये निरर्थक बातचीत करते रहेंगे और वर्तमान स्कूल प्रणाली को ऐसी दिशा में धकेलते रहेंगे जिसके बारे में कोई नहीं जानता कि वह कैसी होगी। -- डॉ धर्मपाल, 'द ब्युटीफुल ट्री' में
आधुनिक और वर्तमान भारतीय शिक्षा
[सम्पादन]- हमें वर्तमान में व्यक्तियों का एक ऐसा वर्ग बनाने की पूरी कोशिश करनी चाहिए जो रक्त और रंग में भारतीय हो, लेकिन रुचि, विचार, नैतिकता और बुद्धि में अंग्रेजी हो। -- लॉर्ड मैकाले, भारतीय शिक्षा पर विवरण पत्र, १८३५
- इस देश में 175 साल के ब्रिटिश शासन के बाद भी 90 प्रतिशत से अधिक भारतीय अशिक्षित हैं। यह एक असहनीय स्थिति है जो त्वरित कार्रवाई की मांग करती है। -- श्यामा प्रसाद मुखर्जी, भारत की स्वतन्त्रता के बाद