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  • गर्मी, भय, भावुकता, समपन्नता अथवा विपन्नता बाधा नहीं डालता है, उसे ही पंडित कहा गया है। तत्वज्ञः सर्वभूतानां योगज्ञः सर्वकर्मणाम् । उपायज्ञो मनुष्याणां...
    १३ KB (८४६ शब्द) - ०८:२६, ८ मार्च २०२३
  • जागा।" पंडित चार प्रकार के होते हैं- १) वह अनपढ़ पंडित जो शनिवार को तेल एकत्र कर लोगों को लूटता है और खुद मौज करता है। ये लोग मूर्खों के समाने पंडित हैं...
    ५० KB (३,८१३ शब्द) - २१:३२, २६ अप्रैल २०२४
  • जगन्नाथ शास्त्री, पंडित काकाराम, पंडित मायादत्त, पंडित हीरानंद चौबे, काशीनाथ शास्त्री, पंडित भवदेव, पंडित सुखलाल ऐसे धुरंधर पंडित और भी जिनका नाम इस...
    ९६ KB (७,४६३ शब्द) - ००:२२, १७ मार्च २०१४
  • नाथ नेह अरू नाते । पिय बिनु तियहि तरनिहु ते ताते । तनु धनु धामु धरनि पुर राजू । पति विहीन सबु सोक समाजू । पति बिना लोगों का स्नेह और नाते रिश्ते सभी स्त्री...
    १०१ KB (८,०५५ शब्द) - ०८:४२, ३० जून २०२४
  • से कल्पना कर-करके बहुत-से पंथ प्रकट कर दिए॥ मारग सोइ जा कहुँ जोइ भावा। पंडित सोइ जो गाल बजावा॥ मिथ्यारंभ दंभ रत जोई। ता कहुँ संत कहइ सब कोई॥ -- रामचरितमानस...
    १३ KB (९३४ शब्द) - १३:५९, ६ नवम्बर २०२२
  • का अतिक्रमण करती, पूरबी कहावतों और मुहावरों की बौछार भी छोड़ती चलती है। पंडित बालकृष्ण भट्ट की भाषा अधिकतर वैसी ही होती थी जैसी खरी खरी सुनाने में काम...
    ५६ KB (४,१५४ शब्द) - १७:०८, ५ दिसम्बर २०२२
  • दुखी न दीना। नहिं कोउ अबुध न लच्छन हीना॥ सब गुनग्य पंडित सब ग्यानी। सब कृतग्य नहिं कपट सयानी॥ राम राज नभगेस सुनु सचराचर जग माहिं। काल कर्म सुभाव गुन कृत...
    १५ KB (९९८ शब्द) - ११:१०, २४ अप्रैल २०२४
  • बुद्धिमान या पंडित कहलाता है। जिस व्यक्ति के कर्त्तव्य, सलाह और पहले से लिए गए निर्णय को दूसरे लोग केवल काम संपन्न होने पर ही जान पाते हैं, वही पंडित कहलाता...
    ९३ KB (५,५७६ शब्द) - २३:०७, २४ अक्टूबर २०२३
  • नहीं निकले तो एक दिन जाति का यह रोग संपूर्ण मानवता को निगल जाएगा। बेद पढ़ई पंडित बन्यो, गांठ पन्ही तउ चमार। रैदास मानुष इक हइ, नाम धरै हइ चार॥ -- रविदास...
    १२ KB (८८० शब्द) - १०:५९, १ अप्रैल २०२४
  • बुद्धिस्तैलबिन्दुरिवाम्भसि ॥ -- सुभाषित मञ्जरी जो मनुष्य विभिन्न देशों में घूमता है और जो पंडितो के संग रहता है उनकी की सेवा करता है, उस मनुष्य की बुद्धि वैसे ही विस्तारित...
    ५ KB (३७२ शब्द) - १७:२७, २४ अक्टूबर २०२२
  • कार्य है, जो तृप्ति प्रदाता है और व्यक्ति और समाज की शक्ति बढ़ाता है। - पंडित सुधाकर पांडेय अब हिंदी ही माँ भारती हो गई है- वह सबकी आराध्य है, सबकी संपत्ति...
    १०५ KB (७,०२६ शब्द) - २०:२८, २४ सितम्बर २०२३
  • करि महुआ , पीवै पीवनहारा ॥ -- कबीरदास पंडित मुल्ला जो कह दिया । झाड़ि चले हम कुछ नहीं लिया ॥ -- कबीरदास पंडित वाद वदन्ते झूठा । -- कबीरदास पठत-पठत किते...
    ८७ KB (६,२०८ शब्द) - १८:३३, ५ दिसम्बर २०२२
  • एकमात्र आधार माना; लेकिन हमने इस देश में सभी जीवों की मूलभूत एकात्म देखा है। पंडित दीनदयाल उपाध्याय के अनमोल विचार विकिमीडिया कॉमन्स पर संबंधित मीडिया: श्रेणी:दीनदयाल...
    १८ KB (१,३९८ शब्द) - १८:३१, ५ नवम्बर २०२२
  • जहाँ कपूर कपास। ऐसे देस कुदेस में कबहुँ न कीजै बास ॥ कोकिला बायस एक सम, पंडित मूरख एक। इन्द्रायन दाड़िम विषय, जहाँ न नेकु विवेकु ॥ बसिए ऐसे देस नहिं,...
    ४६ KB (३,६४३ शब्द) - ०८:४५, १९ अक्टूबर २०२२
  • सार राज़ एक बार में नहीं बतातीं। -- स्टीफेन किंग अच्छी पुस्तकें जीवंत देव प्रतिमाएं हैं। उनकी आराधना से तत्काल प्रकाश और उल्लास मिलता है। – पंडित श्रीराम...
    ३६ KB (२,७०७ शब्द) - ०८:०६, ६ अप्रैल २०२३
  • चाहिए। जहाँ सब लोग नेता बनने के इच्छुक हों, जहाँ सब सम्मान चाहते हों और पंडित बनते हों, जहाँ सभी महत्वाकांक्षी हों, वह समुदाय पतित और नष्ट हुए बिना नहीं...
    ७७ KB (५,२०३ शब्द) - २२:५६, ११ अगस्त २०२३
  • । भावविहीनो धर्मो नूनं हस्यन्ते त्रीण्यपि ॥ तर्कविहीन वैद्य, लक्षणविहीन पंडित, और भावरहित धर्म – ये अवश्य ही जगत में हंसी के पात्र बनते हैं । अस्थिरं...
    ३३ KB (२,१८२ शब्द) - १३:४४, २१ अगस्त २०२४
  • सर्वे गुणाः काञ्चनमाश्रयन्ति ॥ जिसके पास धन है वही उच्च कुल का है, वही पंडित है, वही शास्त्रों का ज्ञाता है, वही दूसरों का आकलन करते की क्षमता रखता है...
    १५ KB (९३८ शब्द) - ०८:२३, १२ जुलाई २०२३
  • दृष्टि से नहीं देखा। कबीर अपने युग के सबसे बड़े क्रांतदर्शी थे। कबीर जब पंडित या शेख पर आक्रमण करने को उद्यत होते है तो उतने सावधान नहीं होते जितने अवधूत...
    ५३ KB (३,७७५ शब्द) - ०८:३१, ३० जुलाई २०२३
  • पीछे की तरफ खींचने की कोशिश की। एक से एक प्रतिगामी पंडित और परिब्राजकों को उसने प्रदान किया। -- पंडितों की नगरी काशी के बारे में भारतीय दर्शन सांयस या कला...
    ४६ KB (३,४३१ शब्द) - ०८:१३, १९ अगस्त २०२३
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