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  • रचित अर्थशास्त्र नामक ग्रन्थ राजनीति, अर्थनीति, कृषि, समाजनीति आदि का महान ग्रंन्थ हैअर्थशास्त्र मौर्यकालीन भारतीय समाज का दर्पण माना जाता है। व्यक्ति...
    १२ KB (९०२ शब्द) - १२:३९, १४ अप्रैल २०२४
  • जरूरत है जैसे एक पौधे में पानी की जरूरत की जरूरत होती है। अन्यथा दोनों मुरझा जायेंगे और मर जायेंगे। इतिहास बताता है कि जहाँ नैतिकता और अर्थशास्त्र के बीच...
    ४३ KB (३,२६२ शब्द) - १४:२२, १९ अगस्त २०२३
  • स्कॉटलैण्ड में जन्मे एक अर्थशास्त्री और दार्शनिक थे। बहुत से लोग उन्हें आधुनिक 'अर्थशास्त्र का जनक' मानते हैं। सारा पैसा विश्वास का विषय है। निश्चित ही कोई भी...
    ७ KB (५३३ शब्द) - २२:५२, ८ नवम्बर २०२२
  • करके उसका अपराध क्षमा दो। -- महाभारत अपराधानुरूपो दण्डः। -- चाणक्य (अर्थशास्त्र में) अपराध के अनुरूप ही दंड देना चाहिये। कपट वचन अपराध तैं, निपट अधिक...
    ३ KB (१८० शब्द) - ०७:४२, १५ अप्रैल २०२३
  • उन्होंने अर्थशास्त्र का अध्ययन किया। उन्होंने जो पुस्तक बड़ी मेहनत से लिखी और जो आकार में उनकी और पुस्तकों से बड़ी है, वह ‘सम्पत्तिशास्त्र’ है। ..... अर्थशास्त्र...
    ५६ KB (४,२०६ शब्द) - २०:१६, ५ दिसम्बर २०२२
  • १.६ उन बुद्धिमान विष्णुगुप्त (चाणक्य) को नमस्कार करता हूँ जिन्होंने अर्थशास्त्र के महान समुद्र से नीति-शास्त्र रूपी अमृत निकाला। प्रागेव विग्रहो न विधिः...
    १६ KB (१,१२४ शब्द) - १३:४३, १९ अप्रैल २०२४
  • से ही तीक्ष्ण आपकी बुद्धि और लोगों की अपेक्षा अधिक विशिष्ट है तथापि (आपकी बुद्धि) अर्थशास्त्र (राजनीति) में आत्मसंस्कार न पाकर (शिक्षा न पाने के कारण) न...
    २० KB (१,४८१ शब्द) - ०९:५५, ८ जुलाई २०२३
  • बाहर के हैं। ये नीति, धर्म, व्यवहार, अर्थशास्त्र आदि के शब्द हैं। शुद्ध काव्य-क्षेत्र में न कोई बात भली कही जाती है न बुरी, न शुभ, न अशुभ, न उपयोगी, न अनुपयोगी।...
    १५ KB (१,०६० शब्द) - ०७:२९, ३ जून २०२३
  • में एक धनी परिवार में हुआ था। उनकी शिक्षा दिल्ली में हुई जहां उन्होंने अर्थशास्त्र का अध्ययन किया। शिक्षा के पश्चात कई वर्ष वह वामपंथ विचारधारा के प्रभाव...
    १३ KB (९६९ शब्द) - १३:४५, २४ अक्टूबर २०२३
  • -- कौटिलीय अर्थशास्त्र, प्रथम अधिकरण (विनयाधिकारिक), प्रकरण १५ प्रजा के सुख में राजा का सुख निहित है; प्रजा का हित ही राजा का वास्तविक हित है। वैयक्तिक...
    २७ KB (१,७७५ शब्द) - २२:०४, ८ अक्टूबर २०२३
  • रहते हैं जिनके पास धन रहता है । इसके विपरीत जो धन से क्षीण होते हैं वे युवावस्था में भी बुढ़ा जाते हैं। कर्म धर्म स्वर्ण अर्थशास्त्र धन (महाभारत संदर्भ)...
    ४५ KB (३,४०६ शब्द) - १७:५०, ३० जुलाई २०२३
  • चाहिए।’ अर्थशास्त्र के संदर्भ में वे कहते हैं, ‘मुझे केवल उन चीजों का उपयोग करना चाहिए, जो मेरे निकटतम पड़ोसियों द्वारा उत्पादित की जाती है और उनको स्वीकार्य...
    २१ KB (१,५९६ शब्द) - ०९:३६, १७ अप्रैल २०२४
  • प्राचीन भारतीय आर्थिक विचार एक विशाल और जटिल विषय है जिसमें दर्शन, धर्म, नीति, साहित्य, राजनीति और अर्थशास्त्र जैसे विभिन्न क्षेत्र शामिल हैं। वास्तव में भारतीय...
    १८ KB (१,३२३ शब्द) - १८:१४, ३० जुलाई २०२३
  • होता है। -- सोमदेव कोई ऐसी वस्तु नहीं, है जो अभ्यास करने पर भी दुष्कर हो। -- बोधिचर्यावतार सच्चा अर्थशास्त्र तो न्याय बुद्धि पर आधारित अर्थशास्त्र है। --...
    ८० KB (६,०२५ शब्द) - १७:२३, ३० जुलाई २०२२