काव्य
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- काव्यशास्त्रविनोदेन कालो गच्छति धीमताम् ।
- व्यसनेन च मूर्खाणां निद्रया कलहेन वा ॥
- बुद्धिमान लोग अपनी समय साहित्य एवं दर्शन का अध्ययन करने में व्यतीत करते हैं जबकि मूर्ख लोग अपनी समय बुरी आदतों जैसे निद्रा, कलह एवं व्यसन में व्यतीत करते हैं।
- कविता शब्द नहीं, शांति है; कोलाहल नही, मौन है। -- रामधारी सिंह ‘दिनकर’
- जमीन से जुड़ी हुई कविता कभी नहीं मरती है। -- जॉन कीट्स
- कवि लिखने के लिए तब तक कलम नहीं उठाता जब तक उसकी स्याही प्रेम की आहों में सराबोर नही हो जाती। -- शेक्सपियर
- कविता मानवता की उच्चतम अनुभूति की अभिव्यक्ति हैं। -- हजारी प्रसाद द्विवेदी
- कविता वह सुरंग है जिसके भीतर से मनुष्य एक विश्व को छोड़कर दूसरे विश्व में प्रवेश करता हैं। -- रामधारी सिंह ‘दिनकर’
- कविता सृष्टि का सौन्दर्य हैं। -- पुरूषोत्तम दास टण्डन
- कविता सुखी और उत्तम मनुष्यों के उत्तम और सुखमय क्षणों का उद्गार है। -- शेली
- कविता का बाना पहनकर सत्य और भी चमक उठता है। -- पोप
- काव्य सभी ज्ञान का आदि और अंत है – यह इतना ही अमर है जितना मानव का हृदय। -- विलियम वर्ड्सवर्थ
- कविता सत्य का उच्चार है – गहरे, हार्दिक सत्य का। -- चैपिन
- कविता देवलोक के मधुर संगीत की गूँज है। -- अज्ञात
- जिससे आनन्द की प्राप्ति न हो वह कविता नहीं है। -- जोबार्ट
- कविता अभ्यास से नहीं आती जिसमें कविता करने का स्वाभाविक गुण होता है वही कविता कर सकता है। -- महावीर प्रसाद द्विवेदी
- कविता भावना का संगीत है, जो हमको शब्दों के संगीत द्वारा मिलता है। -- चैटफील्ड
- कविता तमाम मानवीय ज्ञान, विचारों, भावों, अनुभूतियों और भाषा की खुशबूदार कली है। -- कालरिज
- कविता हृदय की भाषा है जो एक हृदय से निकलकर दुसरे हृदय तक पहुँचती हैं। -- दुनियाहैगोल
- कविता करना अनंत पुन्य का फल हैं। -- जयशंकर प्रसाद
- इतिहास की अपेक्षा कविता सत्य के अधिक निकट आती हैं। -- प्लेटो