राजनीति
दिखावट
राजनीति का शाब्दिक अर्थ है 'राजा की नीति' या राजा के लिये उपयुक्त नीति' । नृपनीति, राजधर्म, अर्थशास्त्र, नय, दण्डनीति आदि इसके समानार्थक हैं।
उक्तियाँ
[सम्पादन]- हे तात! (प्रियवर) आप में अपने वंश के अनुरूप सभी संपदाएँ (गुण) अत्यधिक रूप से दिखाई पड़ती हैं। नृत्य-गीतादि कलाओं में, चित्र (निर्माण) में तथा शल्य कला में स्वभाव से ही तीक्ष्ण आपकी बुद्धि और लोगों की अपेक्षा अधिक विशिष्ट है तथापि (आपकी बुद्धि) अर्थशास्त्र (राजनीति) में आत्मसंस्कार न पाकर (शिक्षा न पाने के कारण) न तपाये हुए स्वर्ण के समान, अधिक शोभा नहीं देती। बुद्धिरहित राजा अत्युन्नत होने पर भी शत्रु द्वारा आक्रमण किये जाते हुए भी अपने को समझने में समर्थ नहीं होता। वह साध्य तथा साधन का (समुचित) विभाग कर व्यवहार करने में भी समर्थ नहीं होता। अनुचित रीति से व्यवहार करने वाला राजा (अपने) कार्यों में असफल होता हुआ, अपने तथा अन्य लोगों के द्वारा तिरस्कृत हुआ करता है। उस अवज्ञात (तिरस्कृत) राजा की आज्ञा, प्रजा के योग (अप्राप्त का प्राप्त करना) तथा क्षेम (प्राप्त की सुरक्षा) साधने में समर्थ नहीं होती। (फिर तो) शासन का उल्लंघन (अतिक्रमण) करने वाली प्रजाएँ अपनी इच्छानुसार जो चाहती है वही कहने लगा करती हैं, अपनी इच्छानुसार व्यवहार करने लगा करती हैं तथा अन्त में सम्पूर्ण स्थिति (मर्यादा) को छिन्न-भिन्न (तितर-बितर) कर देती हैं। (पुनः) ऐसी मर्यादाहीन प्रजाएँ इस लोक तथा परलोक दोनों से अपने को तथा (अपने) स्वामी को भ्रष्ट कर देती हैं। लोकयात्रा (जीवन यात्रा) (तो) शास्त्र रूपी दीपक से देखे हुए मार्ग (पर चलने) से (ही) सुखपूर्वक चलती है। वह रहने वाले एवं दूरस्थ विषयों में भी अप्रतिहत गति से पहुँच जाया करती है, कहीं भी रुकती नहीं है। उस (शास्त्र ज्ञान) से रहित प्राणी लम्बे-चौड़े तथा विशाल नेत्रों के रखते होने पर भी अर्थदर्शन (राजनीति) में सामर्थ्य (ज्ञान अथवा योग्यता) न होने के कारण अंधा ही हुआ करता है। अतः आप बाह्य विद्याओं की आसक्ति (रुचि) का त्याग कर अपनी वंश परम्परा की विद्या (दण्डनीति) की ओर ध्यान लगायें तथा सीखें। उसके अर्थों (नियमों) के अनुसार व्यवहार करने से (व्यवहार करके) शक्तिसिद्धि प्राप्त कर बाधाओं से रहित शासन वाला बनकर, चिरकाल तक, समुद्ररूपी करधनी वाली (अर्थात् समुद्र से घिरी हुई) पृथ्वी पर शासन करो। ( दशकुमारचरितम के अष्टम् उच्छास 'विश्रुतचरितम' में वृद्ध मन्त्री वसुरक्षित द्वारा राजा अनन्तवर्मा को राजनीति का उपदेश)
- सत्यानृता च परुषा प्रियवादिनी च
- हिंस्रा दयालुरपि चार्थपरा वदान्या।
- नित्यव्यया प्रचुरनित्यधनागमा च
- वाराङ्गनेव नृपनीतिरनेकरूपा॥ -- भर्तृहरि, नीतिशतक
- कहीं सत्य और कहीं मिथ्या, कहीं कटु (कठोर) भाषा और कहीं प्रिय भाषा, कहीं हिंसा और कहीं दयालुता, कहीं लोभ और कहीं दान, कहीं व्यय करने वाली और कहीं धन सञ्चय करने वाली राजनीति भी एक वारांगना (व्यभिचारिणी स्त्री) की भाँति अनेक रूपों वाली होती है।
- सामर्थ्यमूलं स्वातन्त्र्यं श्रममूलं च वैभवम् ।
- न्यायमूलं सुराज्यं स्यात् संघमूलं महाबलम् ॥
- ( शक्ति स्वतन्त्रता की जड़ है , मेहनत धन-दौलत की जड़ है , न्याय सुराज्य का मूल होता है और संगठन महाशक्ति की जड़ है । )
- निश्चित ही राज्य तीन शक्तियों के अधीन है । शक्तियाँ मन्त्र , प्रभाव और उत्साह हैं जो एक दूसरे से लाभान्वित होकर कर्तव्यों के क्षेत्र में प्रगति करती हैं । मंत्र ( योजना , परामर्श ) से कार्य का ठीक निर्धारण होता है , प्रभाव ( राजोचित शक्ति , तेज ) से कार्य का आरम्भ होता है और उत्साह ( उद्यम ) से कार्य सिद्ध होता है। -- दशकुमारचरित
- यथार्थ को स्वीकार न करनें में ही व्यावहारिक राजनीति निहित है। -- हेनरी एडम
- विपत्तियों को खोजने, उसे सर्वत्र प्राप्त करने, गलत निदान करने और अनुपयुक्त चिकित्सा करने की कला ही राजनीति है। -- सर अर्नेस्ट वेम
- मानव स्वभाव का ज्ञान ही राजनीति-शिक्षा का आदि और अन्त है। -- हेनरी एडम
- राजनीति में किसी भी बात का तब तक विश्वास मत कीजिए जब तक कि उसका खंडन आधिकारिक रूप से न कर दिया गया हो। -- ओटो वान बिस्मार्क
- सफल क्रांतिकारी, राजनीतिज्ञ होता है ; असफल अपराधी। -- एरिक फ्रॉम
- दण्ड द्वारा प्रजा की रक्षा करनी चाहिये लेकिन बिना कारण किसी को दंड नहीं देना चाहिये। -- रामायण
- प्रजा के सुख में ही राजा का सुख और प्रजा के हित में ही राजा को अपना हित समझना चाहिये । आत्मप्रियता में राजा का हित नहीं है, प्रजा की प्रियता में ही राजा का हित है। -- चाणक्य
- वही सरकार सबसे अच्छी होती है जो सबसे कम शाशन करती है।
- सरकार चाहे किसी की हो , सदा बनिये (व्यापारी) ही शाशन करते हैं।
- आप सभी लोगों को कुछ समय के लिए मूर्ख बना सकते हैं, आप कुछ लोगों को हर समय मूर्ख बना सकते हैं, लेकिन आप हर समय सभी लोगों को मूर्ख नहीं बना सकते। -- अब्राहम लिंकन
- राजनीति भौतिकी से ज्यादा कठिन है। -- अल्बर्ट आइंस्टीन
- राजनीति एक दूसरे से रक्षा करने का वादा करके, गरीबों से वोट पाने और अमीरों से प्रचार के धन प्राप्त करने की सौम्य कला है। -- ऑस्कर आमिंगर
- सबसे बड़ी और सबसे शक्तिशाली क्रांतियां अक्सर बहुत चुपचाप शुरू होती हैं, छाया में छिपी होती हैं। इसे याद रखो। -- रिचर्डेल मीड
- यह बहुत बुरा है कि देश को चलाने के बारे में जानने वाले सभी लोग टैक्सी चलाने और बाल काटने में व्यस्त हैं। -- जॉर्ज बर्न्स
- लोकतंत्र के तहत एक पार्टी हमेशा अपनी ऊर्जा मुख्य रूप से यह साबित करने की कोशिश में लगाती है कि दूसरी पार्टी शासन करने के लिए अयोग्य है – और दोनों आमतौर पर सफल होते हैं, और सही हैं। -- एच. एल. मेनकेन
- शासन में गिरावट के लिए सबसे भारी जुर्माना किसी अपने से हीन व्यक्ति द्वारा शासित होना है। -- प्लेटो, द रिपब्लिक
- एक राजनेता एक ऐसा व्यक्ति होता है जो लहरें उठा सकता है और फिर आपको यह लगता है कि वह एकमात्र ऐसा व्यक्ति है जो इन लहरों से जहाज को बचा सकता है। -- इवन बॉल
- देश के प्रति वफादारी। सरकार के प्रति वफादारी, जब वह इसका हकदार हो। -- मार्क ट्वेन
- मैं देख सकता हूं कि मनुष्य के लिए पृथ्वी पर नीचे देखना और नास्तिक होना कैसे संभव हो सकता है, लेकिन मैं यह कल्पना नहीं कर सकता कि एक आदमी कैसे आकाश में देख सकता है और कह सकता है कि कोई भगवान नहीं है। “ -- अब्राहम लिंकन
- राजनीति बिना रक्तपात के युद्ध है जबकि युद्ध रक्तपात से राजनीति है। -- माओ ज़ेडॉन्ग
- राजनीति में, मूर्खता कोई बाधा नहीं है। -- नेपोलियन बोनापार्ट
- राजनीति निर्णयों को स्थगित करने की कला है जब तक वे प्रासंगिक नहीं हैं। -- हेनरी क्यूइइल
- सभी युद्ध एक जानवर की सोच वाले आदमी के रूप में की विफलता का एक लक्षण है। -- जॉन स्टीनबेक
- राजनीति वर्तमान के लिए है, लेकिन एक समीकरण अनंत काल के लिए है। -- अल्बर्ट आइंस्टीन
- राजनीति मुसीबत की तलाश करने, उसे हर जगह खोजने, गलत तरीके से निदान करने और गलत उपायों को लागू करने की कला है। -- ग्रूचो मार्क्स
- मेरी चिंता यह नहीं है कि क्या ईश्वर हमारी तरफ है; मेरी सबसे बड़ी चिंता भगवान की तरफ होना है, क्योंकि भगवान हमेशा सही होते हैं। -- अब्राहम लिंकन
- राजनीति एक पेंडुलम है जिसके अराजकता और अत्याचार के बीच झूलों को सदा के लिए भ्रम में डाल दिया जाता है। -- अल्बर्ट आइंस्टीन
- आप देशभक्ति के साथ इतने अंधे नहीं हैं कि आप वास्तविकता का सामना नहीं कर सकते। गलत है, कोई फर्क नहीं पड़ता कि कौन इसे करता है या यह कहता है। -- मैल्कम एक्स
- सरकार हमें एक दूसरे से बचाने के लिए है। जहां सरकार अपनी सीमाओं से परे चली गई है वह हमें खुद से बचाने का फैसला कर रही है। -- रोनाल्ड रीगन
- राजनीति लोगों को उन मामलों में भाग लेने से रोकने की कला है जो उन्हें ठीक से चिंतित करते हैं। -- पॉल वालेरी
- युद्ध में, आप केवल एक बार मारे जा सकते हैं, लेकिन राजनीति में, कई बार। -- विंस्टन चर्चिल
- राजनीति को दूसरा सबसे पुराना पेशा माना जाता है। मुझे पता चला है कि यह पहले के बहुत करीब है। -- रोनाल्ड रीगन
- यदि आप विद्रोह करना चाहते हैं, तो सिस्टम के अंदर से विद्रोह करें। यह सिस्टम के बाहर विद्रोह करने की तुलना में बहुत अधिक शक्तिशाली है। -- मैरी लू, किंवदंति
- राजनीति में आपको हमेशा पैक के साथ चलना चाहिए। जिस क्षण आप लड़खड़ाएंगे और उन्हें पता चलेगा कि आप घायल हो गए हैं, तो बाकी लोग भेड़ियों की तरह आप पर टूट पड़ेंगे। -- आर ए बटलर
- जब तक दार्शनिक शासक नहीं बन जाते अथवा विश्व के राजाओं तथा युवराजों में दर्शन की भावना व शक्ति नहीं आ जाती है, तब तक राज्यों की बुराइयाँ दूर नहीं हो सकतीं। -- प्लेटो
- स्त्रियों में पुरुषों के समान ही प्रतिभा, शक्ति एवम् कार्यक्षमता होती है, अतः उन्हें भी पुरुषों के समान सार्वजनिक जीवन में भाग लेने का अधिकार होना चाहिए। -- प्लेटो
- सामाजिक शिक्षा ही सामाजिक न्याय का साधन है। -- प्लेटो
- न्याय समाज को एकता प्रदान करने वाला सूत्र है। -- सेबाइन
- नागरिकों में कर्तव्य भावना ही राज्या का न्याय सिद्धान्त है। -- प्लेटो
- उचित नेतृत्व, उचित सुरक्षा एवम् उचित पोषण आदर्श राज्य के अपरिहार्य तत्व हैं। -- वेपर
- यदि सद्गुण ज्ञान हैं तो उनकी शिक्षा दी जा सकती है। -- प्लेटो
- शिक्षा एक ऐसा सकारात्मक साधन है जिसके द्वारा एक सामंजस्यपूर्ण राज्य का निर्माण करने के लिए मानव प्रकृति को सही दिशा में ढाला जा सकता है। -- सेबाइन
- वैयक्तिक नैतिकता एवम् सार्वजनिक नैतिकता में एकता स्थापित होने से राज्य की एकता एवम् स्थायित्व में दृढ़ता आती है। -- प्लेटो
- राज्य महान उद्देश्यों वाला मानव समुदाय है। -- अरस्तू
- कानून सामान्य हित में विवेक द्वारा दिया गया आदेश है जिसे वह व्यक्ति उद्घोषित व लागू करता है, जिस पर समाज की रक्षा का भार होता है। -- एक्वीनास
- मनुष्य स्वतन्त्र पैदा होता है और प्रत्येक स्थान पर वह बन्धनों से जकड़ा हुआ है। अनेकों में कोई एक ऐसा मनुष्य होता है जो स्वयम् को अन्यों का स्वामी/नेता मानता है परन्तु वह अन्यों की तुलना में अधिक दास होता है। -- रूसो
- चरित्र की शुद्धि ही सारे ज्ञान का ध्येय होनी चाहिए। -- महात्मा गाँधी