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  • करता है। हाँ उसके श्रोताओं की परिधि बहुत विस्तृत होती है और अगर उसके बयान में सच्चाई है, तो शताब्दियों और युगों तक उसकी रचनाएँ हृदयों को प्रभावित करती रहती...
    ७५ KB (५,८५४ शब्द) - १३:१९, १० सितम्बर २०२३
  • रंगभूमि प्रेमचंद की रचना है। इसे मंगला प्रसाद पारितोषिक से सम्मानित की गई थी तथा अपने समय में लोकप्रिय हुई थी।...
    ५१५ B (२१ शब्द) - ११:०८, ८ अप्रैल २०१४
  • हुआ था जिसकी रचनाएँ अपनी ही भाषा के क्षेत्र में नहीं, सुदूर दक्षिण के गाँवों में भी पहुँच गई थी। (‘प्रेमचंद और उनका युग’ से) प्रेमचन्द से जिस चीज़ को...
    ५५ KB (३,९९२ शब्द) - २३:४१, १२ अगस्त २०२३
  • -- वेदव्यास आलोचना और दूसरों की बुराइयां करने में बहुत अन्तर है। आलोचना निकट लाती है और बुराई दूर करती है। -- प्रेमचंद दूसरों में दोष न निकालना, दूसरों...
    १४ KB (१,०३० शब्द) - ०८:०१, ७ जून २०२३
  • वर्णणात्मक थी। पात्रों का चरित्र-निर्माण काफी तेजी से होता था। उनका लेखन प्रेमचंद की सामाजिक यथार्थवादी परmपरा को आगे बढाता है। उनकी साहित्यिक कृतियाँ हैं;...
    ३१ KB (२,३७० शब्द) - १८:४७, १४ मई २०२३
  • स्पष्टभाषी होता है। उसे अपनी बातों में नमक मिर्च लगाने की जरूरत नहीं होती। -- प्रेमचंद ईमानदारी के बराबर और कोई भी गुण अभी तक संसार में खोजा नहीं जा सका। असंख्य...
    ७ KB (५२२ शब्द) - १८:४३, १५ अप्रैल २०२३
  • की पीढ़ी उनकी तरह ही ऐसे विद्रोही विचारों की पैदा हुई, जिसने प्रचलित मान्यताओं एवं धारणाओं की धज्जी उड़ाते हुए अपना महान् रचना-कार्य किया। प्रेमचंद,...
    ५६ KB (४,२०६ शब्द) - २०:१६, ५ दिसम्बर २०२२
  • मैथिली भाषा में रचना की पर बंगाल में उनकी रचनाओं का जो संस्करण प्रचलित है वह मैथिली में प्राप्त संस्करण से कुछ अलग है। प्रेमचंद हिंदी साहित्य की ही नहीं बल्कि...
    ११ KB (८५६ शब्द) - २३:४२, २८ मार्च २०२३
  • हिन्दी (हिन्दी की महत्ता से अनुप्रेषित)
    ही जानेवाली रचनाएँ उसमें हैं। - सूर्यकांत त्रिपाठी निराला भारत की रक्षा तभी हो सकती है जब इसके साहित्य, इसकी सभ्यता तथा इसके आदर्शों की रक्षा हो। - पं...
    १०५ KB (७,०२६ शब्द) - २०:२८, २४ सितम्बर २०२३
  • ढेर की तरह है। सत्य की एक चिनगारी भी उसे भस्म कर देती है। -- हरिभाऊ उपाध्याय आकाश में उड़ने वाले पंछी को भी अपने घर की याद आती है। -- -प्रेमचंद आँख के...
    ८० KB (६,०२५ शब्द) - १७:२३, ३० जुलाई २०२२
  • हैं जहाँ निराश नहीं होना चाहिए। -- टामस ऐल्वा एडिसन नर्क हमारे द्वारा की गयी रचना है, और हम असंभव करने के प्रयास में नर्क बनाते हैं. स्वर्ग हमारी प्रकृति...
    ११ KB (८२८ शब्द) - १९:४२, ५ नवम्बर २०२२
  • की आगार रही है। विश्व में कोई वस्तु इतनी मनोहर नहीं, जितनी की सुशील और सुंदर नारी। शक्ति महिलाओं की प्रतीक है। प्रकृति की बेहतरीन और सबसे सुन्दर रचना...
    १९ KB (१,५०० शब्द) - ११:५९, ८ मार्च २०२३
  • प्रसाद द्विवेदी कबीर की भाषा संत भाषा है। भाषा की यह स्वाभाविकता आगे चलकर प्रेमचन्द में ही मिलती है। -- डाॅ. बच्चन सिंह कबीर की भाषा का निर्णय करना टेढी...
    २२ KB (१,५८१ शब्द) - ०९:२१, ५ दिसम्बर २०२२
  • पराजय व्यक्ति को अन्तर्मुखी बनाती है। — प्रेमचंद अतीत चाहे जैसा हो , उसकी स्मृतियाँ प्रायः सुखद होती हैं । — प्रेमचंद मेरा जीवन ही मेरा संदेश है। — महात्मा...
    ३०४ KB (२१,२०६ शब्द) - २१:०८, ३ फ़रवरी २०२२
  • प्राकृतिक दर्शन) जिस कवि में कल्पना की समाहार-शक्ति के साथ भाषा की समास-शक्ति जितनी ही अधिक होगी, उतना ही वह मुक्तक की रचना में सफल होगा। यह क्षमता बिहारी...
    ८७ KB (६,२०८ शब्द) - १८:३३, ५ दिसम्बर २०२२
  • पराजय व्यक्ति को अन्तर्मुखी बनाती है। — प्रेमचंद अतीत चाहे जैसा हो , उसकी स्मृतियाँ प्रायः सुखद होती हैं । — प्रेमचंद मेरा जीवन ही मेरा संदेश है। — महात्मा...
    २८१ KB (१९,७५२ शब्द) - १४:५५, ११ जनवरी २०२३
  • प्यारे नहीं होते। -प्रेमचंद अधिक हर्ष और अधिक उन्नति के बाद ही अधिक दुख और पतन की बारी आती है। -जयशंकर प्रसाद अध्यापक राष्ट्र की संस्कृति के चतुर माली...
    २५७ KB (१९,१५७ शब्द) - १०:१८, ८ मार्च २०२२