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- ०९:०८, ८ फ़रवरी २०२३ मोक्ष (इतिहास | सम्पादन) [२,८४९ बाइट] अनुनाद सिंह (वार्ता | योगदान) (' * ''धर्मे चार्थे च कामे च मोक्षे च भरतर्षभ। : ''यदिहास्ति तदन्यत्र यन्नेहास्ति न तत् क्वचित्॥'' -- महाभारत * हे भरतश्रेष्ठ! धर्म, अर्थ, काम तथा मोक्ष के विषय में जो इस ग्रन्थ...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
- ०८:४५, ८ फ़रवरी २०२३ निबन्ध (इतिहास | सम्पादन) [५,१९० बाइट] अनुनाद सिंह (वार्ता | योगदान) (''''निबन्ध''', साहित्य की एक विधा है। निबन्ध की प्रधान विशेषता व्यक्तित्व का प्रकाशन है। निबंध की सबसे अच्छी परिभाषा है- "निबन्ध, लेखक के व्यक्तित्व को प्रकाशित करने वाली...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
- ०९:०४, ७ फ़रवरी २०२३ ब्राह्म समाज (इतिहास | सम्पादन) [३,९०४ बाइट] अनुनाद सिंह (वार्ता | योगदान) (' * ईश्वर एक है और वह संसार का निर्माणकर्ता है। * आत्मा अमर है। * मनुष्य को अहिंसा अपनाना चाहिए। * सभी मानव समान है।' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
- ०७:४१, ७ फ़रवरी २०२३ भारत में जाति प्रथा (इतिहास | सम्पादन) [६,५९९ बाइट] अनुनाद सिंह (वार्ता | योगदान) (' * जाति पाति पूछे ना कोई , हरि को भजै सो हरि का होई। -- कबीरदास * जात-पात भारतीय जीवन की सबसे सशक्त प्रथा रही है, यहाँ जीवन जाति की सीमाओं के भीतर ही चलता है। -- राममनोहर लोह...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
- २२:५५, २ फ़रवरी २०२३ सूर्य नमस्कार (इतिहास | सम्पादन) [९२१ बाइट] अनुनाद सिंह (वार्ता | योगदान) (''''सूर्य नमस्कार''' एक प्रसिद्ध योगासन है। == उक्तियाँ == * सूर्य भगवान ने अपने प्रकाश और ऊष्मा से कभी भी किसी को वंचित नहीं किया है, चाहे वह किसी भी जाति धर्म का हो। इसके बाद...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
- २२:४९, २ फ़रवरी २०२३ पतंजलि (इतिहास | सम्पादन) [१,६९८ बाइट] अनुनाद सिंह (वार्ता | योगदान) (' '''पतञ्जलि''' (सम्भावित जीवनकाल द्वितीय शताब्दी ईसापूर्व) एक महान ऋषि थे जिहोंने कई प्रसिद्ध ग्रन्थों की रचना की। 'योगसूत्र' उनका प्रसिद्ध ग्रन्थ है। इसके अलावा उन्हों...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
- १९:०२, २ फ़रवरी २०२३ उपवास (इतिहास | सम्पादन) [६,६६८ बाइट] अनुनाद सिंह (वार्ता | योगदान) ('* ''विषया विनिवर्तन्ते निराहारस्य देहिनः। : ''रसवर्जं रसोऽप्यस्य परं दृष्ट्वा निवर्तते॥'' -- गीता : आहार का परित्याग कर देने वाले मनुष्य के इन्द्रियों के विषय दूर हो जात...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
- २१:०२, १ फ़रवरी २०२३ महर्षि चरक (इतिहास | सम्पादन) [१२,४४६ बाइट] अनुनाद सिंह (वार्ता | योगदान) (''''महर्षि चरक''' आयुर्वेद के प्रतिसंस्कर्ता माने जाते हैं। == उक्तियाँ == * आहार, स्वप्न ( नींद ) और ब्रम्हचर्य इस शरीर के तीन स्तम्भ हैं। * धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
- १०:२०, २७ जनवरी २०२३ वसन्त (इतिहास | सम्पादन) [१,६४५ बाइट] अनुनाद सिंह (वार्ता | योगदान) ('* रितु बसंत बह त्रिबिध बयारी। सब कहँ सुलभ पदारथ चारी॥ : स्रक चंदन बनितादिक भोगा। देखि हरष बिसमय बस लोगा॥ -- तुलसीदास * दोनों रहिमन एक से, जब लौं बोलत नाहिं। : जान परत हैं क...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
- ११:३२, २४ जनवरी २०२३ अभिमान (इतिहास | सम्पादन) [६३८ बाइट] अनुनाद सिंह (वार्ता | योगदान) ('* प्रभुता पाइ काहि मद नाहीं । -- तुलसीदास * जिसको न निज गौरव तथा निज देश का अभिमान है। : वह नर नहीं नर पशु निरा है और मृतक समान है॥-- मैथिलीशरण गुप्त * अनुशासन के बिना और अभ...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
- २२:१४, २३ जनवरी २०२३ श्रीनिवास रामानुजन (इतिहास | सम्पादन) [५,२१२ बाइट] अनुनाद सिंह (वार्ता | योगदान) ('* गणित का सार इसकी स्वतंत्रता में निहित है। * मेरे लिए एक समीकरण का कोई मतलब नहीं है, जब तक कि यह भगवान के बारे में एक विचार व्यक्त नहीं करता है। * गणित के बिना, आप कुछ भ...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
- १३:४६, २३ जनवरी २०२३ सभा (इतिहास | सम्पादन) [४,९१४ बाइट] अनुनाद सिंह (वार्ता | योगदान) (' * नीकी पै फीकी लगे, बिन अवसर की बात। : जैसे बरनत जुद्ध में, नहिं सिंगार सुहात ॥ -- कवि वृन्द : बात अच्छी होने पर भी अगर बिना मौके के कही जाय तो वह फीकी मालूम देती है। युद्ध हो...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
- ११:२०, २२ जनवरी २०२३ दोष (इतिहास | सम्पादन) [९,८६४ बाइट] अनुनाद सिंह (वार्ता | योगदान) (' * दूसरों में दोष न निकालना, दूसरों को उतना उन दोषों से नहीं बचाता जितना अपने को बचाता है। -- स्वामी रामतीर्थ * वनेऽपि दोषा प्रभवन्ति रागिणां गृहेऽपि पञ्चेन्द्रिय निग्...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
- २०:५४, १५ जनवरी २०२३ ऋण (इतिहास | सम्पादन) [८,१७१ बाइट] अनुनाद सिंह (वार्ता | योगदान) ('* छोटा ऋण किसी व्यक्ति को आप का ऋणी बनाता है, एक बड़ा ऋण उसको आप का दुश्मन बना देता है। * ऋण, शत्रु और रोग को जितना जल्दी हो सके समाप्त कर देना चाहिए। -- चाणक्य * चिंता करना...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
- २०:२७, १५ जनवरी २०२३ वोल्टेयर (इतिहास | सम्पादन) [२०,११८ बाइट] अनुनाद सिंह (वार्ता | योगदान) ('* मूर्खों को उन जंजीरों से मुक्त करना कठिन है जिनका वे सम्मान करते हैं। * अगर भगवान ने हमें अपनी छवि में बनाया है, तो हमारे पास पारस्परिक से अधिक है। * मैं केवल अपने आप को...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
- १८:१७, १५ जनवरी २०२३ हेनरी डेविड थोरो (इतिहास | सम्पादन) [७,२६६ बाइट] अनुनाद सिंह (वार्ता | योगदान) (''''हेनरी डेविड थोरो''' () हेनरी डेविड थोरो एक अमेरिकी ट्रांससीन्डेंटलिस्ट, प्रकृतिवादी और राजनीतिक कार्यकर्ता थे जो अपनी पुस्तक वाल्डेन और निबंध "सविनय अवज्ञा" के लिए स...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
- १७:०७, १५ जनवरी २०२३ सरकार (इतिहास | सम्पादन) [१,६६७ बाइट] अनुनाद सिंह (वार्ता | योगदान) (' * अर्क जवास पात बिनु भयऊ। जस सुराज खल उद्यम गयऊ॥ : खोजत कतहुँ मिलइ नहिं धूरी। करइ क्रोध जिमि धरमहि दूरी॥ -- तुलसीदास * राम बास बन संपति भ्राजा । सुखी प्रजा जनु पाइ सुराजा...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
- १०:१४, १५ जनवरी २०२३ मन्त्र (इतिहास | सम्पादन) [५,९१० बाइट] अनुनाद सिंह (वार्ता | योगदान) (' * ''मन्त्रेण हि विनिश्चयो अर्थानाम् । * ''मननात त्रायते यस्मात्तस्मान्मन्त्र उदाहृतः। : जिसके मनन, चिन्तन एवं ध्यान द्वारा संसार के सभी दुखों से रक्षा, मुक्ति एवं परम आ...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
- ०९:३८, १५ जनवरी २०२३ माया (इतिहास | सम्पादन) [२,१२२ बाइट] अनुनाद सिंह (वार्ता | योगदान) (' * ''दृढं मन्ये जगदिदं दृश्यमद्वयं ब्रह्म। :'' मन्यते येन ज्ञायते न तेन सा नाम माया॥ * माया महा ठगिनि हम जानी। : तिरगुन फाँस लिये कर डोलै, बोलै मधुरी बानी। : केसव के कमला हो...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
- ०९:०३, १५ जनवरी २०२३ पवन (इतिहास | सम्पादन) [३,३०३ बाइट] अनुनाद सिंह (वार्ता | योगदान) (' * ''द्रुमाः सपुष्पाः सलिलं सपद्मम् :'' स्त्रियः सकामाः पवनः सुगन्धिः । : '' सुखाः प्रदोषाः दिवसाश्च रम्याः : '' सर्वं प्रिये चारुतरं वसन्ते ॥ -- कालिदास (ऋतुसंहार में) : * '' का...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
- १२:४६, १४ जनवरी २०२३ मिथ्या (इतिहास | सम्पादन) [२,४०९ बाइट] अनुनाद सिंह (वार्ता | योगदान) (' * ''ब्रह्म सत्यं जगन्मिथ्या जीवो ब्रह्मैव नापरः । : ''अनेन वेद्यं सच्छास्त्रमिति वेदान्तडिण्डिमः ॥'' -- आदि शंकराचार्य : ब्रह्म वास्तविक है, ब्रह्माण्ड मिथ्या है । जीव ह...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
- १२:३१, १४ जनवरी २०२३ स्वप्न (इतिहास | सम्पादन) [९,०१२ बाइट] अनुनाद सिंह (वार्ता | योगदान) (' * जब तक हम सपने देखते हैं तब तक कुछ भी नहीं होता है। -- Carl Sandburg * एक अकेला सपना एक हज़ारों वास्तविकताओं से अधिक शक्तिशाली है। -- -- Tom Bradley * वास्तविकता गलत है। सपने सच होते हैं। -- Tup...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
- १२:०९, १४ जनवरी २०२३ विद्युत (इतिहास | सम्पादन) [१,२२२ बाइट] अनुनाद सिंह (वार्ता | योगदान) (''''विद्युत''' या बिजली आधुनिक युग में ऊर्जा का सबसे महत्वपूर्ण प्रकार है। आवेश का प्रवाह ही विद्युत है। जब किसी वस्तु पर स्थिर आवेश होते हैं (गतिमान नहीं), तो इसे स्थिर व...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
- ११:००, १४ जनवरी २०२३ पुण्य (इतिहास | सम्पादन) [१,१९२ बाइट] अनुनाद सिंह (वार्ता | योगदान) ('* ''भोज्यं भोजनशक्तिश्च रतिशक्तिर वरांगना। : ''विभवो दानशक्तिश्च नाऽल्पस्य तपसः फलम्॥ -- चाणक्य : भोजन और भोजनशक्ति, रतिशक्ति और सुन्दर स्त्री, वैभव और दानशक्ति - ये अल्प...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
- २२:३३, १३ जनवरी २०२३ घर (इतिहास | सम्पादन) [९०५ बाइट] अनुनाद सिंह (वार्ता | योगदान) ('* ''वनेऽपि दोषा प्रभवन्ति रागिणां : ''गृहेऽपि पञ्चेन्द्रिय निग्रह स्तपः । : ''अकुत्सिते कर्मणि यः प्रवर्तते : ''निवृत्तरागस्य गृहं तपोवनम् ॥ : आसक्त लोगों का वन में रहना भी...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
- २२:०७, १३ जनवरी २०२३ निवास (इतिहास | सम्पादन) [४,२६८ बाइट] अनुनाद सिंह (वार्ता | योगदान) ('* तदहं सम्प्रवक्ष्यामि लोकानां हितकाम्यया । : येन विज्ञातमात्रेण सर्वज्ञात्वं प्रपद्यते ॥ : इसमें कोई दो राय नहीं कि मूर्खता कष्टदायक होती है, जवानी भी दुःखदायक होत...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
- २१:३५, १३ जनवरी २०२३ परिवार (इतिहास | सम्पादन) [११,६०८ बाइट] अनुनाद सिंह (वार्ता | योगदान) ('* ''अयं निजः परो वेति गणना लघुचेतसाम्। : ''उदारचरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम्॥'' -- हितोपदेश : यह अपना है और यह दूसरे का है - ऐसा छोटी बुद्धि वाले सोचते हैं; उदार चरित्र वालों...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)