सदस्य वार्ता:अनुनाद सिंह

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विकिसूक्ति से

संदर्भ का फोर्मैट[सम्पादन]

आपने यहाँ संदर्भ का फोर्मैट बदला है, क्या यह यहाँ का स्वीकृत फोर्मैट है? मुझे ऐसा कोई पृष्ठ या चर्चा मिला' नहीं। सूरजमुखी (वार्ता) १५:५२, ३० जुलाई २०२२ (IST)[उत्तर दें]

@सूरजमुखी जी, जहाँ तक मुझे पता है, 'स्वीकृत फॉर्मट' जैसा यहाँ कुछ भी नहीं है। पहले जिस फॉर्मट में था, वह मुझे इसलिये ठीक नहीं लगा कि 'उक्ति' और उक्तिकर्ता - दोनों 'बुलेट' से शुरू होते थे। इससे पढ़ने में स्पष्टता की कमी थी। --अनुनाद सिंह (वार्ता) १६:००, ३० जुलाई २०२२ (IST)[उत्तर दें]
दो डैश की जगह एक em-डैश ज़्यादा सही लग रहा हैसूरजमुखी (वार्ता) १६:१७, ३० जुलाई २०२२ (IST)[उत्तर दें]
चौपाल पर एक बहुत पुरानी चर्चा है इस पर। कोई स्वीकृत फोर्मैट बना दें तो नए सदस्यों को ज़्यादा समस्या न हो। उचित जानें तो इसपर अपना मत रखकर स्वीकृत फोर्मैट बन सकता है। सूरजमुखी (वार्ता) १६:२३, ३० जुलाई २०२२ (IST)[उत्तर दें]
इस विचार से सहमत हूँ कि दो डैश की जगह एक em-डैश ज़्यादा सही लग रहा है। लेकिन समस्या यह है कि दो डैश कीबोर्ड पर आसानी से उपलब्ध हैं, जबकि em-डैश लगाने के लिये थोड़ा लम्बा रास्ता अपनाना पड़ेगा। समय लगेगा। इसके अलावा, यदि आवश्यक हो तो, पूरे विकिसूक्ति में, एक साथ 'दो डैश' के स्थान पर em-डैश आसानी से किया भी जा सकता है।
स्वीकृत मानक फॉर्मट तो अवश्य ही अच्छा रहेगा। लेकिन वह ऐसा होना चाहिये जो 'अच्छा' भी हो और उसे टंकित करना भी सरल हो।--अनुनाद सिंह (वार्ता) १६:३१, ३० जुलाई २०२२ (IST)[उत्तर दें]
इसके लिए एक साँचा बना सकती हूँ जिससे {{--}} ये लिखने पर em-डैश आ जाए करेगा। सूरजमुखी (वार्ता) १६:५१, ३० जुलाई २०२२ (IST)[उत्तर दें]
मुझे तो ये अधिक समय लेने वाला विकल्प लग रहा है। इसके बजाय find--Replace द्वारा मैं दो डैश को एक झटके में em-डैश में बदल सकता हूँ।-- अनुनाद सिंह (वार्ता) १६:५५, ३० जुलाई २०२२ (IST)[उत्तर दें]
पहले से डले हुए डैश को इस तरह बदल सकते हैं, मेरा सुझाव नए पृष्ठों में em-dash डालने को लेकर था, अंग्रेज़ी विकिस्त्रोत में प्रयोग किया था ऐसा साँचा, बहुत सुविधाजनक हो जाता है। सूरजमुखी (वार्ता) १७:०५, ३० जुलाई २०२२ (IST)[उत्तर दें]

पहले से डले हुए डैश को इस तरह बदल सकते हैं, और नया पृष्ठ बनाते समय भी पहले दो-डैश टाइप करने के बाद सभी 'डैश-डैश' को एम-डैश से एक बार में ही बदल सकते हैं।--अनुनाद सिंह (वार्ता) १७:१३, ३० जुलाई २०२२ (IST)[उत्तर दें]

find--replace विकिएडिटर का कोई फीचर है? सूरजमुखी (वार्ता) १७:२४, ३० जुलाई २०२२ (IST)[उत्तर दें]
मैं प्रायः एक अलग टेक्स्ट एडिटर में find--replace का काम कर लेता हूँ। वहाँ आसान पड़ता है और जल्दी हो जाता है। हिन्दी विकिपिडिया पर जो एडिटर है (WikEd) उसमें find--replace की सुविधा है। यहाँ पर शायद नहीं है। मैंने देखा नहीं कि यहाँ सम्पादक के कितने विकल्प मौजूद हैं।--अनुनाद सिंह (वार्ता) १७:३७, ३१ जुलाई २०२२ (IST)[उत्तर दें]
अपनी सुविधा के लिए मैं साँचा बना लूंगी। लेकिन पहले ये निर्णय करना है कि फोर्मैट यही सही है या नहीं। मेरा सुझाव है कि आगे की चर्चा चौपाल पर हो, ताकि कोई निर्णय बन सके। सूरजमुखी (वार्ता) १८:१८, १ अगस्त २०२२ (IST)[उत्तर दें]
क्योंकि ये फोर्मैट आपके द्वारा सुझाया गया है, इसलिए कृप्या आप ही इसे इस चर्चा पर सुझा दें। धन्यवाद। सूरजमुखी (वार्ता) १८:४७, १ अगस्त २०२२ (IST)[उत्तर दें]
मेरा विचार है कि आप अन्य भाषाओं (जैसे स्पैनिश, जर्मन, रूसी, फ्रेंच, इटैलियन आदि) के फॉर्मट भी देख लें। और उससे चुनाव कर लें। उसके बाद हम चौपाल पर एक संक्षिप्त चर्चा करके आपके प्रस्तावित फॉर्मट को स्वीकार कर लेंगे। बाद में फॉर्मट को एकमुश्त बदला भी जा सकता है।--अनुनाद सिंह (वार्ता) १२:२५, २ अगस्त २०२२ (IST)[उत्तर दें]
कुछ अलग-सा फ्रैंच विकिसूक्ति में है, जिसमें सूक्ति और स्रोत दोनों के लिए साँचें हैं। ये भी ठीक लगा। लेकिन सरलता को देखें तो मेरे विचार से अभी के लिए ":—" ये ठीक है। सूरजमुखी (वार्ता) १८:०५, २ अगस्त २०२२ (IST)[उत्तर दें]
सहमत हूँ। आप ":—" वाले विकल्प को लेकर आगे की कार्रवाई कर सकतीं हैं।--अनुनाद सिंह (वार्ता) १०:०५, ५ अगस्त २०२२ (IST)[उत्तर दें]
जी, ठीक है। सूरजमुखी (वार्ता) २२:३९, ५ अगस्त २०२२ (IST)[उत्तर दें]

हटाने से पहले ठहरिए, सोचिए, मौक़ा दीजिए[सम्पादन]

मैं देख रहा हूँ कि कोई भी नया लेख पर आप तुरंत हटाने की सिफ़ारिश डाल देते हैं । साहित्य अकादमी पर मेरा नया लेख पर भी आपने ऐसा किया । साहित्य अकादमी जैसी देश की सर्वोच्च संस्था भी आप के विचार धारा के अनुसार लेख का लायक़ नहीं है? आपको यह समझना चाहिए कि कोई चीज़ हटाना आसान है, पर बनाना मुश्किल । आपके कॉमेंट पढ़ कर तो अन्य लोगों के दिमाग़ में नकारात्मकता सृष्टि होगी । अगर आप कोई लेख से सहमत नहीं हैं तो पहले स्पष्टीकरण माँगिए । फिर दो चार दिन इंतज़ार कीजिए । तुरंत हटाने का संकल्प न बनाएँ ।Subhrasingh (वार्ता) १८:३५, १३ अक्टूबर २०२२ (IST)[उत्तर दें]

@सदस्य:Subhrasingh, आप जैसा चाहते हैं मैंने ठीक वैसा ही किया है। आपको स्पष्टीकरण देने का पूरा मौका मिलेगा। आपके द्वारा आरम्भ किये गये विषय विकिसूक्ति के लिये उपयुक्त नहीं हैं, यह मेरा विचार है और सुझाव भी। अब आप अपने दृष्टिकोण से मुझे और अन्य सदस्यों/प्रशासकों को अवगत कराइये और देखिये कि आप कितना सन्तोषजनक उत्तर दे पाते हैं। -- अनुनाद सिंह (वार्ता) १९:१७, १३ अक्टूबर २०२२ (IST)[उत्तर दें]

स्रोत[सम्पादन]

नमस्कार अनुनाद सिंह जी, आप सूक्तियाँ डालते हैं तो बहुत अच्छी बात है। यदि उनमें स्रोत भी डाल देगे तो हमें ये पता होगा कि यदि कोई शंका हो या अधिक जानकारी लेनी हो तो कहाँ से ले सकते हैं। इसलिए स्रोत भी डाल दिया करें जी। धन्यवाद। सूरजमुखी (वार्ता) २३:००, २४ अक्टूबर २०२२ (IST)[उत्तर दें]

@सूरजमुखी जी, आपकी बात सोलह आने सच है। अधिक गुड़ डालेंगे तो अधिक मीठा होगा ही। लेकिन मुझे लगता है कि बहुत कम मामलों में ही सन्दर्भ की आवश्यकता होगी। जैसे कबीर का दोहा या तुलसीदास की चौपाई के लिये मुझे लगता है कि सन्दर्भ देने की आवश्यक्ता नहीं है। हाँ ऐसी कुछ बातें हो सकतीं हैं जिनके बारे में यह बताया जाय कि वे किस पुस्तक के कि पन्ने पर लिखी गयी हैं। अभी-अभी मैं अंग्रेजी के Energy वाले पेज पर गया था। वहाँ एक भी सन्दर्भ नहीं है। -- अनुनाद सिंह (वार्ता) २३:१२, २४ अक्टूबर २०२२ (IST)[उत्तर दें]
अनुनाद सिंह जी, कुछ अत्यधिक प्रचलित को छोड़कर, कबीर साहेब जी और तुलसीदास जी के दोहों के लिए स्रोत मैं बहुत आवश्यक समझती हूं, ये जानते हुए कि अक्सर इनके दोहों-चौपाइयों में ये विरोध मिलता है कि ये दोहा/चौपाई इनकी बोली है? या मनगढ़ंत है? और अंग्रेजी के Energy वाले पृष्ठ पर मुझे कोई सूक्ति बिना स्रोत के नहीं दिखी जी। सूरजमुखी (वार्ता) २१:२८, २९ अक्टूबर २०२२ (IST)[उत्तर दें]
@सूरजमुखी जी, इनर्जी वाले में जब मैने 'सन्दर्भ नहीं है' कहा था तो इससे मेरा मतलब यह था कि "ref" टैग लगाकर कुछ नहीं दिया गया है। आपका भी कहना बहुत सीमा तक सही है क्योंकि उस उद्धरण के साथ इतना कुछ दे दिया गया है कि वह पर्याप्त सन्दर्भ माना जा सकता है। रही बात कबीरदास, तुलसीदस या किसी अन्य के दोहे/चौपाई/कविता की। मुझे लगता है कि आजकल इतनी चीजें ऑनलाइन हो गयी हैं कि आप पुस्तक का नाम, संस्करण, और पृष्ट संख्या न दी हो तो भी जिसको शंका होगी वह खोज लेगा, और किसी ने कबीर के दोहे को तुलसी का दोहा लिख दिया है, तो उसे ठीक भी कर देगा। --अनुनाद सिंह (वार्ता) २१:४५, २९ अक्टूबर २०२२ (IST)[उत्तर दें]