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  • हिन्दू समाज का उद्धार करने में आर्य समाज का बहुत बड़ा हाथ है। संगठन कार्य दृढ़ता, उत्साह और समन्वयपालकता की दृष्टि से आर्य समाज की समता कोई और समाज नहीं...
    २६ KB (१,८६६ शब्द) - २३:०९, ११ नवम्बर २०२४
  • पण्डित लेखराम आर्य समाज के प्रसिद्ध विद्वान थे। वे अपने विपक्षी को अपनी बुद्धिमत्ता से निरुत्तर कर देते थे। उनकी पुस्तक 'तकज़ीब बुराहिन अहमदिया' ( अहमदी...
    ५० KB (३,८१३ शब्द) - २१:३२, २६ अप्रैल २०२४
  • सत्यार्थ प्रकाश आर्य समाज के प्रवर्तक स्वामी दयानन्द सरस्वती द्वारा रचित ग्रन्थ है। वेद सब सत्य विद्याओं का पुस्तक है। जो पूर्ण विद्यायुक्त हैं, वे ही...
    १५ KB (१,१०३ शब्द) - २२:१२, ३१ अक्टूबर २०२४
  • जाति के हो? आर्य। विश्व में सबसे प्राचीन जाति कौन? आर्य। और सबसे श्रेष्ठ? आर्य। क्या तुमने खून की परीक्षा कराइ है? हां, उसमे सौ प्रतिशत आर्य सेल है। देवता...
    ३६ KB (२,८३३ शब्द) - २२:३३, ६ नवम्बर २०२२
  • रामचरितमानस उनकी महानतम रचना है। आचार्य रामचन्द्र शुक्ल वाल्मीकीय रामायण को आर्य काव्य का आदर्श मानते हैं। ’मानस‘ में तुलसीदास धर्मोपदेष्टा और नीतिकार के...
    ५७ KB (४,१०६ शब्द) - ०६:५७, २३ फ़रवरी २०२३
  • राष्ट्रभाषा जानकर जो उसे अपने प्रेम से सींच रहे हैं। - लक्ष्मण नारायण गर्दे हिंदी भाषा के लिये मेरा प्रेम सब हिंदी प्रेमी जानते हैं। - महात्मा गांधी सब...
    १०५ KB (७,०२६ शब्द) - २०:२८, २४ सितम्बर २०२३
  • में पहले सनातनी, फिर आर्यसमाजी (जिस दौर में वे बड़े हो रहे थे सनातनी और आर्य आपस में बुरी तरह से लड़ रहे थे), फिर बौद्ध, फिर मार्क्सवादी और अन्त में स्वाधीन...
    ४६ KB (३,४३१ शब्द) - ०८:१३, १९ अगस्त २०२३
  • दुर्धर्ष समर्थक रहा। (डॉ. विद्यानिवास मिश्र ; 14 जून 2000, इंडिया टुडे में) 'आर्य' शब्द नस्ल का द्योतक नहीं है। यह अपने प्राचीन साहित्य में प्रयोग होता रहा...
    ५५ KB (३,९९२ शब्द) - २३:४१, १२ अगस्त २०२३
  • मुसलमानों द्वारा लिखे गए इतिहास से इन तथ्यों की पुष्टि होती है । गैर मुसलमानों आर्य खालसा हिन्दुओं की बढ़ी संख्या में काफिर कहकर संहार किया गया । लाखों असहाय...
    ९६ KB (७,५९७ शब्द) - १७:१२, १२ जून २०२४
  • आँख देनेवाला, ज्ञान करानेवाला, शान्ति देने वाला है। वह ( मध्यम मार्ग) यही आर्य अष्टांगिक मार्ग है, जैसे कि ठीक दृष्टि (दर्शन), ठीक संकल्प, ठीक वचन, ठीक...
    ५१ KB (३,८६६ शब्द) - २०:००, २० अगस्त २०२३
  • पहुँचाई। -- हजारीप्रसाद द्विवेदी ( ‘हिन्दी साहित्य: उद्भव और विकास’ ; 1952 ई॰ ) आर्य, आपके मनःस्वप्न को ले पलकों पर भावी चिर साकार कर सके रूप-रंग भर, दिशि-दिशि...
    ५६ KB (४,२०६ शब्द) - २०:१६, ५ दिसम्बर २०२२
  • उधर फिरता है। ऊपर देखकर) क्या कहा? ‘क्यों तुम ऐसा दुष्कर कर्म करते हो?’ आर्य यह मत पूछो, यह सब कर्म की गति है। (ऊपर देखकर) क्या कहा? ‘तुम क्या क्या कर...
    १७८ KB (१४,५३५ शब्द) - ००:०३, ११ मार्च २०१४