गायत्री मंत्र
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(गायत्री मंत्र पर महापुरुषों के विचार से अनुप्रेषित)
गायत्री मंत्र
[सम्पादन]ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात् ॥ गायत्री मंत्र हिंदी व्याख्या
विचार
[सम्पादन]- गायत्री मंत्र का निरन्तर जप रोगियों को अच्छा करने और आत्माओं की उन्नति के लिए उपयोगी है। गायत्री का स्थिर चित्त और शान्त हृदय से किया हुआ जप आपत्तिकाल के संकटों को दूर करने का प्रभाव रखता है। - महात्मा गाँधी
- सचमुच गायत्री ऐसी ही महाशक्ति है जिसको हमें भी श्रद्धापूर्वक हृदयंगम करना चाहिए। - महात्मा गाँधी
- ऋषियों ने जो अमूल्य रत्न हमको दिऐ हैं, उनमें से एक अनुपम रत्न गायत्री से बुद्धि पवित्र होती है। - मदन मोहन मालवीय
- भारतवर्ष को जगाने वाला जो मंत्र है, वह इतना सरल है कि ऐक ही श्वास में उसका उच्चारण किया जा सकता है। वह मंत्र है गायत्री मंत्र। - रबीन्द्रनाथ टैगोर
- मैं लोगों से कहता हूँ कि लम्बे लम्बे साधन करने की उतनी जरूरत नहीं है। इस छोटी सी गायत्री की साधना को करके देखो। गायत्री का जप करने से बड़ी बड़ी सिद्धियाँ मिल जाती हैं। यह मंत्र छोटा है पर इसकी शक्ति बड़ी भारी है। अरविन्द घोष
- गायत्री में ऐसी शक्ति सन्निहित है, जो महत्वपूर्ण कार्य कर सकती है। - अरविन्द घोष
- गायत्री का जप करने से बडी-बडी सिद्धियां मिल जाती हैं। यह मंत्र छोटा है, पर इसकी शक्ति भारी है। - रामकृष्ण परमहंस
- गायत्री सदबुद्धि का मंत्र है, इसलिऐ उसे मंत्रो का मुकुटमणि कहा गया है। - स्वामी विवेकानंद
- गायत्री के मंत्र का निरन्तर जप रोगियों को अच्छा करने के लिए इसका प्रयोग, प्रार्थना की परिभाषा -आत्मा एक उन्नत अवस्था से दूसरी उन्नत अवस्था को पहुँचने के लिए आतुर हो रही है-सर्वथा चरितार्थ करता है। यदि इसी गायत्री मंत्र का जप अनवरत चित्त और शान्त हृदय से राष्ट्रीय आपत्ति काल में किया जाता है तो उन संकटों को मिटाने के लिए प्रभाव और पराक्रम दिखलाता है। जिन लोगों का यह विश्वास है कि ‘मंदिरों में जाकर गायत्री का जप करना, नमाज या प्रेयर करना मूर्खता या विडम्बना है’ वे भ्रम में फंसे हुए हैं। मैं तो यहाँ तक कह सकता हूँ कि ऐसी मान्यता से बड़ी भूल मनुष्य से ओर कोई नहीं हो सकती।
- - यंग इंडिया
- गायत्री की महिमा का वर्णन करना मनुष्य की सामर्थ्य से बाहर है। बुद्धि का शुद्ध होना इतना बड़ा कार्य है जिसकी समता संसार के और किसी काम से नहीं हो सकती। आभा प्राप्ति करने की दिव्य दृष्टि जिस शुद्ध बुद्धि से प्राप्त होती है उसकी प्रेरणा गायत्री द्वारा होती है। गायत्री आदि मंत्र है। उसका अवतार दुरितों को नष्ट करने और ऋत के अभिवर्धन के लिए हुआ है। - महर्षि रमण
- गायत्री मंत्र ऐसा मंत्र है जिससे आध्यात्मिक और भौतिक दोनों प्रकार के लाभ मिलते हैं। - मदन मोहन मालवीय
- ऋषियों ने जो अमूल्य रत्न हमें दिये हैं उनमें से एक अनुपम रत्न गायत्री है। गायत्री से बुद्धि पवित्र होती है। ईश्वर का प्रकाश आत्मा में आता है। इस प्रकाश में असंख्यों आत्माओं को भव बन्धन से त्राण मिला है। गायत्री में ईश्वर परायणता के भाव उत्पन्न करने की शक्ति है, साथ ही वह भौतिक अभावों को दूर रह करती। - लोकमान्य बालगगंगाधर तिलक
- भारतीय जनता आज अन्धकार में भटक रही है। उसका कल्याण केवल अन्न धन वृद्धि से ही न हो जायगा। आर्थिक दशा सुधर जाने पर भी मनुष्य सुखी नहीं हो सकता उसे आज ऐसे प्रकाश की आवश्यकता है जो उसकी आत्मा को प्रकाशित कर दे। जिस बहुमुखी दासता के बन्धनों में आज प्रजा जकड़ी हुई है उनका अन्त राजनैतिक संघर्ष करने मात्र से नहीं हो जायगा। उसके लिए तो आत्मा के अन्दर प्रकाश उत्पन्न होना चाहिए जिससे सत् और असत् का विवेक हो। कुमार्ग को छोड़ कर श्रेष्ठ मार्ग पर चलने की प्रेरणा मिले। गायत्री मंत्र में वह भावना विद्यमान है। उसमें प्रकाश की कामना की गई है। अन्तः करण में प्रज्वलित ज्ञान ज्योति ही हमारा पथ प्रदर्शन कर सकती है और उसी के पीछे अनुगमन करने से आज की विपन्न दशा से छुटकारा पाया जा सकता है।
- - स्वामी शिवानन्द
- प्रातःकाल ब्राह्ममुहूर्त में उठकर, नित्य कर्म से निवृत्त होकर गायत्री का जप करना चाहिए। ब्राह्ममुहूर्त में गायत्री का जप करने से चित्त शुद्ध होता है और हृदय में निर्मलता आती है। शरीर निरोग रहता है और स्वभाव में नम्रता आती है। बुद्धि सूक्ष्म होने से दूर दर्शिता बढ़ती है और स्मरण शक्ति का विकास होता है। कठिन प्रसंगों में गायत्री द्वारा दैवी सहायता मिलती है। उसके द्वारा आत्म दर्शन हो सकता है। - स्वामी रामतीर्थ
- राम को प्राप्त करना सब से बड़ा काम है। गायत्री अभिप्राय बुद्धि को काम रुचि से हटाकर राम रुचि में लगा देना है। जिसकी बुद्धि पवित्र होगी वही राम को प्राप्त करने का काम कर सकेगा। गायत्री पुकारती है कि-बुद्धि में इतनी पवित्रता होनी चाहिए कि वह काम को राम से बढ़ कर न समझे। - रामकृष्ण परमहंस
- परमात्मा से क्या माँगना चाहिए? क्या वह वस्तुएं माँगें जिन्हें अपने बाहुबल से आसानी के साथ कमाया जा सकता? नहीं, ऐसा उचित न होगा। बुहारी की आवश्यकता पड़ने पर उसे दो चार पैसे में बाजार से खरीद लिया जाता है। उसे कौन बुद्धिमान कहेगा जो बुहारी माँगने राजदरबार में जावे। राजा ऐसे माँगने पर हँसेगा और उसकी इस तुच्छ बुद्धि पर हँसेगा। राजा से वही वस्तु माँगी जानी चाहिए जो उसके गौरव के अनुकूल हो। परमात्मा से माँगने योग्य वस्तु सद्बुद्धि है। जिस पर परमात्मा प्रसन्न होते हैं उसे सद्बुद्धि प्रदान करते हैं। सद्बुद्धि से सत् मार्ग पर प्रगति होती है और सत्कर्म से सब प्रकार के सुख मिलते हैं। जो सत् की ओर बढ़ रहा है उसको किसी प्रकार के सुख की कमी नहीं रहती। गायत्री सद्बुद्धि का मंत्र है। इसलिए उसे मन्त्रों का मुकुटमणि कहा गया है। - स्वामी करपात्री
- मनुष्य शरीर में बुद्धि का प्रमुख स्थान है। गायत्री बुद्धि को पवित्र करती है। जब बुद्धि पवित्र हो गई तो सब कुछ पवित्र हो गया समझना चाहिए। जिसकी बुद्धि पवित्र है उसके लिए संसार में कुछ भी अप्राप्य नहीं है। गायत्री ब्राह्मणों का तो प्रधान आधार है। - काली कमली वाले बाबा विश्रद्धानन्द
- गायत्री ने बहुतों को सुमार्ग पर लगाया है। कुमार्ग गामी पुरुष की पहले तो गायत्री की ओर रुचि ही नहीं होती। यदि ईश्वर कृपा से हो जाए तो वह कुमार्ग गामी नहीं रहता। गायत्री जिसके हृदय में बास करती है उसका मन ईश्वर की ओर जाता है। विषय विकारों की व्यर्थता उसे भली प्रकार अनुभव होने लगती है।
- कई महात्मा गायत्री का जप करके परम सिद्ध हुए हैं। परमात्मा की शक्ति ही गायत्री है। जो गायत्री के निकट जाता है वह शुद्ध होकर रहता है। आत्मकल्याण के लिए मन की शुद्धि आवश्यक है। मन की शुद्धि के लिए गायत्री मन्त्र अदभुत है। ईश्वर प्राप्ति के लिए गायत्री जप को प्रथम सीढ़ी समझना चाहिए। - प्रसिद्ध आर्यसमाजी महात्मा सर्वदानन्द
- गायत्री मन्त्र द्वारा प्रभु का पूजन सदा से आर्यों की रीति रही है। ऋषि दयानंद ने भी उसी शैली का अनुसरण करके सन्ध्या का विधान, यथाशक्ति सार्थक व्याख्यान तथा वेदों के स्वाध्याय में प्रयत्न करना बतलाया है। ऐसा करने से अन्तःकरण की शुद्धि तथा निर्मल बुद्धि होकर मनुष्य जीवन अपने और दूसरों के लिए हितकर हो जाता है। जितनी भी इस शुभ कर्म में श्रद्धा और विश्वास हो, उतना ही अविद्या आदि क्लेशों का ह्रास होता है। फिर विद्या के प्रकाश में उपासना, प्रभु के आस पास हो जाता है।
- जो जिज्ञासु अर्थ पूर्वक इस मन्त्र का सप्रेम नियमपूर्वक उच्चारण करता है उसके लिए गायत्री संसार सागर संस्तरण की तरणि (नाव) और आत्म प्रसाद प्राप्ति की सरणि (सड़क) है। - टी0 सुब्बाराव
श्रीराम शर्मा के विचार
[सम्पादन]- जिस भी मनुष्य ने गायत्री और यज्ञ को जीवन में उतार दिया, उसका जीवन सफल है।
- गायत्री मंत्र इस दुनिया का सबसे शक्तिशाली मंत्र हैं।
- जब भी थकान, मुसीबत में फँस गये हो, स्वर या मन में जप शुरू कर दो। उस समस्या का समाधान तुरन्त हो जायेगा।
- भोजन बनाते समय, आटा गूँथते समय गायत्री मंत्र जप करने से वह भोजन अमृत बन जाता है। वह भोजन पोषित हो जाता है।
- लगातार एक माला गायत्री मंत्र जप प्रतिदिन करने से गलत कामो से ध्यान हटता हैं। शरीर को अत्यधिक खुशी मिलती है।
- लगातार 12 साल, एक माला गायत्री मंत्र जप प्रतिदिन करने से, उससे प्राप्त उर्जा और शक्ति को अपने अच्छे कर्म में लगाकर सिद्धि प्राप्त की जा सकती हैं। अपने लक्ष्य में सफलता प्राप्त की जा सकती है।
- भारत के सभी महापुरुष, भगवान राम, कृष्ण, सभी ऋषि-मुनियों ने, अवतारी पुरुषों ने गायत्री मंत्र का जप किया है।
- गायत्री को इष्ट मानने का अर्थ है – सत्प्रवृति की सर्वोत्कृष्टता पर आस्था ।
- भोजन करने से पहले तीन बार गायत्री मंत्र का जप जरूर करे।
- अपने व्यक्तित्व को सुसंस्कारित एवं चरित्र को परिष्कृत बनाने वाले साधक को गायत्री महाशक्ति मातृवत् संरक्षण प्रदान करती है ।
- ब्रह्ममुहूर्त में गायत्री पाठ करने से चित शुद्ध होता है, हृदय में निर्मलता आती है और शरीर निरोग रहता है ।
- बुद्धि को निर्मल, पवित्र एवं उत्कृष्ट बनाने का महामंत्र है, गायत्री मंत्र ।
इन्हें भी देखें
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