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  • खिलाये न पुण्य न पाप : कृतघ्न के साथ नेकी करना व्यर्थ है। गये थे रोजा छुड़ाने नमाज़ गले पड़ी : यदि कोई व्यक्ति कोई छोटा कष्ट दूर करने की चेष्टा करता...
    ५६ KB (४,४९४ शब्द) - १८:०६, २३ दिसम्बर २०१९
  • है। एक गुरु है, दूसरा शिष्य। चारण अपने ओजस्वी भाषणों से प्राणों का मोह छुड़ा कर वीरों को स्वदेश एवं परहितार्थ सहर्ष मृत्यु का आलिंगन करना सिखाते हैं।...
    ७ KB (५५८ शब्द) - ००:००, २० सितम्बर २०२२
  • सुखदुःखादि का सहन, धर्म का नित्य सेवन करने वाला, जिसको कोई पदार्थ धर्म से छुड़ा कर अधर्म की ओर न खींच सके वह पण्डित कहाता है। वेदों मे वर्णित सार का पान...
    २५ KB (१,८३२ शब्द) - १६:२२, १३ अप्रैल २०२४
  • कि हर ओर अंधेरा है। -- अज्ञात कोई व्यक्ति अपने पुराने परिचय से तभी पीछा छुड़ा सकता है, जब वह अपना नया परिचय किसी महिला की आंखों में देखने के लिए उत्सुक...
    २१ KB (१,६२५ शब्द) - २१:०१, १५ अक्टूबर २०२३
  • जीते-जी, वह गोपपुत्र आर्यक -- मृच्छकटिक कभी-कभी कोई भला आदमी धन देकर वध्य को छुड़ा लेता है। कभी राजा के पुत्र पैदा हो जाता है, जिसकी प्रसन्नता में उत्सव होता...
    १६ KB (१,२४२ शब्द) - १५:४७, १६ अप्रैल २०२३
  • शान्तिपर्व 269/50 जो ज्ञान का अनुसरण करता है ज्ञान उसे सारे सांसारिक बन्धनों से छुड़ा देता है। ज्ञान के बिना किया गया कोई भी काम प्रजा को जन्म-मरण के चक्र में...
    ७७ KB (५,२०३ शब्द) - २२:५६, ११ अगस्त २०२३
  • सबका एक मात्र लक्ष्य इसी मनुष्यता की सर्वांगीण उन्नति है। माया का जाल छुड़ाए छूटता नहीं, यह इतिहास की चिरोद्धोषित वार्ता सब देशों और सब कालों में समान...
    २८ KB (२,०८० शब्द) - ०९:०७, ३० जुलाई २०२३
  • को इतनी गहराई तक पहुँचाया जाय, अवांछनीयता अपनाए रहने की स्थिति से पीछा छुड़ा सकने की बात बन पड़े। सुखद संभावनाओं के निकट तक जा पहुँचने के लिए चल पड़ने...
    ११८ KB (८,७७१ शब्द) - १६:३३, १६ जनवरी २०२४
  • प्रपातों में, सारा आकाश अयन जिनका, विषधर भुजंग भोजन जिनका। वे ही फणिबंध छुड़ाते हैं, धरती का हृदय जुड़ाते हैं॥ -- रश्मिरथी में "दिनकर" रामधारी सिंह 'दिनकर'...
    ३० KB (२,३८१ शब्द) - ००:००, १३ मई २०२३
  • देकर तुम लोगों को क्या लाभ होगा? अरे मुझे छोड़ दो। हाय! हाय! (रोता है और छुड़ाने का यत्न करता है) १ सिपाही : अबे, चुप रह-राजा का हुकुम भला नहीं टल सकता...
    ४६ KB (३,६४३ शब्द) - ०८:४५, १९ अक्टूबर २०२२
  • प्राणैरुपक्रोशमलीमसैर्वा। अर्थ : राजा दिलीप को जब लगा कि नन्दिनी को सिंह से नहीं छुड़ा पायेंगे तो उन्होंने कहा-तब तो मेरा ​क्षत्रियत्व ही नष्ट हो जायेगा क्योंकि...
    ८२ KB (५,३२२ शब्द) - १२:५७, १८ फ़रवरी २०२४
  • नदियाँ की नदियाँ बहती हैं। इतना अच्छा है कि यहाँ तो किसी प्रकार मद्य पीना छुड़ाया परन्तु यहाँ के बदले वहाँ उनके स्वर्ग में बड़ी खराबी है ! मारे स्त्रियों...
    ८३ KB (६,५९० शब्द) - ०८:०४, ३१ अगस्त २०२३
  • आप ही आप) वाह रे महानुभावता! (प्रगट) तो इसके स्वर्ण बना कर आप अपना दास्य छुड़ा लें। ह.  : यह ठीक है पर मैंने तो बिनती किया न कि जब मैं दूसरे का दास हो...
    १७८ KB (१४,५३५ शब्द) - ००:०३, ११ मार्च २०१४
  • प्राणैरुपक्रोशमलीमसैर्वा। राजा दिलीप को जब लगा कि नन्दिनी को सिंह से नहीं छुड़ा पायेंगे तो उन्होंने कहा-तब तो मेरा ​क्षत्रियत्व ही नष्ट हो जायेगा क्योंकि...
    ७५ KB (० शब्द) - ०७:३८, २५ अगस्त २०२२