विनाश
दिखावट
- परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम् ।
- धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे ॥ -- भगवद्गीता में श्रीकृष्ण
- सज्जनों के कल्याण, दुष्टों के विनाश एवं धर्म की पुनर्स्थापना के लिए मैं प्रत्येक युग में जन्म लेता हूँ।
- क्रोधाद्भवति संमोहः संमोहात्स्मृतिविभ्रमः।
- स्मृतिभ्रंशाद् बुद्धिनाशो बुद्धिनाशात्प्रणश्यति॥ -- भगवद्गीता
- क्रोध से मोह उत्पन्न होता है, और मोह से स्मृति विभ्रम। स्मृति के भ्रमित होने पर बुद्धि का नाश होता है और बुद्धि के नाश होने से वह मनुष्य नष्ट हो जाता है।
- एकं हन्यान्न वा हन्यादिषुर्मुक्तो धनुष्मता।
- बुद्धिर्बुद्धिमतोत्सृष्टा हन्याद् राष्ट्रम सराजकम्॥ -- विदुरनीति
- किसी धनुर्धर वीर के द्वारा छोड़ा हुआ बाण संभव है किसी एक को भी मारे या न मारे। किन्तु बुद्धिमान द्वारा प्रयुक्त की हुई बुद्धि राजा के साथ-साथ सम्पूर्ण राष्ट्र का विनाश कर सकती है।
- अन्यायोपार्जितं वित्तं दस वर्षाणि तिष्ठति।
- प्राप्ते चैकादशेवर्षे समूलं तद् विनश्यति॥ -- चाणक्य
- अन्याय या गलत तरीके से कमाया हुआ धन दस वर्षों तक रहता है। लेकिन ग्यारहवें वर्ष वह मूलधन सहित नष्ट हो जाता है।
- क्रोधो हि शत्रुः प्रथमो नराणां देहस्थितो देहविनाशनाय।
- यथा स्थितः काष्ठगतो हि वह्निः स एव वह्निर्दहते शरीरम्॥
- क्रोध ही मनुष्यों का प्रथम शत्रु है जो (क्रोधी के) देह में स्थित रहते हुए उसी देह का नाश करने वाला है। जैसे लकड़ी में ही रहनेवाली अग्नि उसी लकड़ी के शरीर को जलाती है।
- लोभमूलानि पापानि संकटानि तथैव च।
- लोभात्प्रवर्तते वैरं अतिलोभात्विनश्यति ॥
- लोभ और पाप सभी संकटों का मूल कारण है। लोभ शत्रुता में वृद्धि करता है, अधिक लोभ करने वाला विनाश को प्राप्त होता है।
- हर एक जीवित प्राणी के प्रति दया रखो। घृणा से विनाश होता है। -- भगवान महावीर
- दीर्घसूत्री विनश्यति ।
- जो दीर्घसूत्री हैं (जो कार्य को आरम्भ करने में बहुर देर लगाते हैं), उनका विनाश होता है।
- विनाशकाले विपरीतबुद्धिः
- विनाश का समय आने पर बुद्धि उल्टी हो जाती है।
- जब नाश मनुज पर छाता है, पहले विवेक मर जाता है। -- रामधारी सिंह 'दिनकर'