मार्ग
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मार्ग का अर्थ है - पथ, रास्ता, विधि आदि।
उद्धरण
[सम्पादन]- महाजनो येन गतः स पन्थाः।
- महान लोग जिस मार्ग से गये हैं, वही सही रास्ता है।
- निन्दन्तु नीतिनिपुणाः यदि वा स्तुवन्तु
- लक्ष्मीः समाविशतु गच्छतु वा यथेष्टम्।
- अद्यैव वा मरणमस्तु युगान्तरे वा
- न्याय्यात्पथः प्रविचलन्ति पदं न धीराः ॥ -- भर्तृहरि
- धर्म परायण व्यक्ति न्याय के पथ से कभी विचलित नही होते, चाहे नीति में निपुण लोग उनकी प्रशंसा करें या निन्दा करें, चाहे उन्हे सम्पत्ति मिलती हो या छिनती हो, चाहे आज ही मृत्यु होने वाली हो या युगों के बाद।
- सुलभाः पुरुषा रजन्! सततं प्रियवादिनः ।
- अप्रियस्य तु पथ्यस्य वक्ता श्रोता च दुर्लभः ॥ -- मारीच, रावण से ; रामायण के अरण्यकाण्ड में
- हे राजन! सदैव प्रिय बोलने वाले और सुनने वाले पुरूष आसानी से मिल जाते हैं। अप्रिय किंतु परिणाम में हितकर हो, ऐसी बात कहने और सुनने वाले दुर्लभ होते हैं।
- एकस्य कर्म संवीक्ष्य करोत्यन्योऽपि तादृशम्।
- गतानुगतिको लोको न लोकः पारमार्थिकः। -- पञ्चतन्त्र, मित्रभेद
- किसी को कोई कर्म करते हुए देखकर, फिर भले ही वह बुरा भी क्यों न हो, दूसरा भी वही कर्म करने लगता हैं। जग उस कर्म के तत्त्व को जाने बगैर अंधा अनुसरण करता है (जग लकीर का फकीर है।)।
- गतानुगतिको मूर्खः शास्त्रोन्मादश्च पण्डितः ।
- नित्य-क्षीबश्च वेश्यानां जङ्गमाः कल्पपादपाः॥ -- समयमातृका, पञ्चम समय
- गतानुगतिक अर्थात् अन्धानुकरण करनेवाला मूर्ख, शास्त्रोन्मादी ( शास्त्रप्रवीण होते हुये भी व्यवहार से अनभिज्ञ ) पण्डित, मदिरा के पान से सर्वदा मत्त रहने वाला - ये सभी वेश्याओं के लिये चलने-फिरने वाले कल्पतरु माने गये हैं।
- जहाँ किसी कमनीय वैचित्र्य से परिपोषित और सरल अभिप्राय वाले पदार्थों का स्वभाव-वर्णन किया जाता है, वह विचित्र-मार्ग है। -- 'कुन्तक', 'विचित्र-मार्ग' का लक्षण देते हुए
- भिक्षुओ ! इन दो अन्तों (= चरम बातों ) की प्रव्रजितों को नहीं सेवन करना चाहिये। कौन से दो? (प्रथम) जो यह हीन, ग्राम्य, पृथक् जनों के योग्य, अनार्य ( सेवित ), अनर्थों से युक्त कामवासनाओं में काम-सुख लिप्त होना है, और (द्वितीय) जो यह दुःखमय, अनार्य ( - सेवित), अनर्थों से युक्त श्रात्म-पीड़न (= कायक्लेश ) में लगना है। भिक्षुओ ! इन दोनों अन्तों (= चरम बातों) में न जाकर तथागत ने मध्यम मार्ग को जाना है, ( जो कि ) आँख देने- वाला, ज्ञान करने वाला, शान्ति के लिये, अभिज्ञा के लिये, सम्बोधि ( = परम ज्ञान ) के लिये, निर्वाण के लिये है। -- महात्मा बुद्ध, धर्मप्रवर्तनसूत्र में
- भिक्षुओ ! तथागत ने कौन सा मध्यम मार्ग जाना है ( जो कि ) आँख देनेवाला, ज्ञान करनेवाला, शान्ति के लिये, अभिज्ञा के लिये सम्बोधि के लिये, निर्वाण के लिये है? यही आर्य अष्टाङ्गिक मार्ग है, जैसे कि - ( १ ) सम्यक् दृष्टि ( २ ) सम्यक् संकल्प ( ३ ) सम्यक् वचन ( ४ ) सम्यक् कर्मान्त ( ५ ) सम्यक् आजीविका (६) सम्यक् व्यायाम ( = प्रयत्न ) (७) सम्यक स्मृति (८) सम्यक् समाधि । -- महात्मा बुद्ध, धर्मप्रवर्तनसूत्र में
- ग्यान पंथ कृपान कै धारा । परत खगेस होइ नहिं बारा ॥
- जो निर्विघ्न पंथ निर्बहई । सो कैवल्य परम पद लहईं॥ -- रामचरितमानस
- ज्ञान का रास्ता दुधारी तलवार की धार के जैसा है । इस रास्ते में भटकते देर नही लगती । जो ब्यक्ति बिना विघ्न बाधा के इस मार्ग का निर्वाह कर लेता है वह मोक्ष के परम पद को प्राप्त करता है ।
- लीक-लीक गाड़ी चलै, लीकहि चले कपूत।
- यह तीनों उल्टे चलै, शायर सिंह सपूत॥ -- भारतेन्दु हरिश्चन्द्र ??
- सत्य एक मार्गविहीन स्थान है और आप वहाँ किसी भी रास्ते से नहीं जा सकते - किसी भी सम्प्रदाय से, किसी भी पन्थ से। यह मेरा दृष्टिकोण है और मैं बिना किसी शर्त के पूर्णतः इसका अनुसरण कर्ता हूँ। -- जिद्दू कृष्णमूर्ति, Ommen, The Netherlands (1929), Dissolution speech (3 अगस्त 1929).
- पथ आप प्रशस्त करो अपना । -- मैथिलीशरण गुप्त
- दूर चलने के बटोही बाट की पहचान कर ले। -- हरिवंश राय 'बच्चन'
- हम एक आदर्श रास्ते की खोज में दिनोदिन इन्तजार करते रहते हैं कि शायद वह अब मिलेगा, किन्तु हम भूल जाते हैं कि रास्ते चलने के लिए बनाये जाते हैं, इन्तजार के लिए नहीं। -- अज्ञात
- व्यवसाय करना हैं तो पानी की तरह बनो जो अपना रास्ता खुद बना लेता हैं, पत्थर मत बनो जो दूसरों का भी रास्ता रोक लेता है। -- अज्ञात
- जब एक बार सही पथ के अनुगमन की इच्छा ही नहीं रहे तो यह अनुभूति ही नहीं हो सकती कि गलत क्या है। -- अज्ञात
- जिस रास्ते को आप नही चुनते हो, उससे जुड़ी सबसे मुश्किल बात यह है कि वह रास्ता आपको पता नही कहाँ तक पहुंचा सकता था। --लिसा वांगटे
- महत्त्वाकांक्षा सफलता तक जाने का रास्ता है। दृढ़ता वो गाड़ी है जिससे आप पहुँचते हैं। -- बिल ब्राडले
- वहां मत जाइये जहाँ रास्ता ले जाए, बल्कि वहां जाइये जहाँ कोई रास्ता नहीं है, और वहां अपने निशान छोड़ जाइये। -- राल्फ वाल्डो इमर्सन
- लोगो को ज्ञान दो, वे अपना रास्ता स्वयं ढूंढ लेंगे। -- कार्ल मार्क्स