राष्ट्रवाद

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राष्ट्रवाद यह विश्वास है कि लोगों का कोई समूह इतिहास, परंपरा, भाषा, जातीयता (race) और संस्कृति के आधार पर स्वयं को एकीकृत करता है।

उद्धरण[सम्पादन]

  • राष्ट्रवाद मानव जाति के उच्चतम आदर्शों - सत्यम, शिवम्, सुन्दरम् से प्रेरित हैं। -- सुभाष चन्द्र बोस
  • केवल पूर्ण राष्ट्रवाद, पूर्ण न्याय और निष्पक्षता के आधार पर ही भारतीय सेना का निर्माण किया जा सकता है। -- सुभाष चन्द्र बोस
  • भारत में राष्ट्रवाद ने एक ऐसी सृजनात्मक शक्ति का संचार किया है जो सदियों से लोगों के अन्दर से सुसुप्त पड़ी थी। -- सुभाष चन्द्र बोस
  • प्रत्येक देश में एक ऐसा प्रभावी सिद्धांत होता है जो उस देश के जीवन में समग्र रूप से परिलक्षित होता है। भारत के सन्दर्भ में वह सिद्धान्त धर्म है। -- स्वामी विवेकानन्द
  • जब तक प्रत्येक व्यक्ति के हृदय में राष्ट्रवाद की भावना का विकास नहीं होगा तब तक देश का सर्वांगीण विकास नहीं हो सकता। -- जयप्रकाश नारायण
  • मानव चेतना की प्रगति के मार्ग में राष्ट्रवाद, आदिम जातिवाद और मानववाद के बीच का सेतु हैं और स्वयं मानववाद ही सार्वभौमीकरण (Universalisation) की दिशा में एक बड़ा कदम है। -- दत्तोपन्त ठेंगड़ी
  • मेरे विचार से यहूदी आन्दोलन को "राष्ट्रवादी" कहना अनुचित है। -- अल्बर्ट आइंस्टीन, १९४६ में
  • राष्‍ट्रवाद तभी औचित्‍य ग्रहण कर सकता है, जब लोगों के बीच जाति, नरल या रंग का अन्‍तर भुलाकर उसमें सामाजिक भ्रातृत्‍व को सर्वोच्‍च स्‍थान दिया जाये। -- भीमराव आम्बेडकर
  • राष्ट्रवाद का एक तरीका है, दूसरों पर अत्याचार करना। -- नोआम चाम्सकी