परीक्षा

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  • यथा चतुर्भिः कनकं परीक्ष्यते निघर्षणच्छेदनतापताडनैः।
तथा चतुर्भिः पुरुषः परीक्ष्यते त्यागेन शीलेन गुणेन कर्मणा॥ -- चाणक्यनीति
जिस तरह सोने की परख घिसकर, छेदकर, गरम करके और पीटकर की जाती है, वैसे ही मनुष्य की परख उसके त्याग, शील, गुण और कर्म से होती है।
  • व्यसने मित्रपरीक्षा शूरपरीक्षा रणांगणे ।
विनये भृत्यपरीक्षा दानपरीक्षाश्च दुर्भिक्षे ॥ -- विदुर नीति
सच्चे मित्र की परीक्षा बुरी संगति के समय में होती है। वीर की परीक्षा युद्ध में होती है। सेवक की परीक्षा उसके विनम्रतापूर्वक व्यवहार से होती है। दानवीर की परीक्षा दुर्भिक्ष (अकाल) के समय होती है।
  • जानीयात्प्रेषणेभृत्यान् बान्धवान्व्यसनाऽऽगमे। 
मित्रं याऽऽपत्तिकालेषु भार्यां च विभवक्षये ॥
किसी महत्वपूर्ण कार्य पर भेज़ते समय सेवक की पहचान होती है। दुःख के समय में बन्धु-बान्धवों की, विपत्ति के समय मित्र की तथा धन नष्ट हो जाने पर पत्नी की परीक्षा होती है।
  • न विश्वसेदविश्वस्ते विश्वस्ते नातिविश्वसेत्।
विश्वासाद् भयमभ्येति नापरीक्ष्य च विश्वसेत्॥ -- महाभारत
जो विश्वसनीय नहीं है, उस पर कभी भी विश्वास न करें। परन्तु जो विश्वासपात्र है, उस पर भी अति विश्वास न करें। क्योंकि अधिक विश्वास से भय उत्पन्न होता है। इसलिए बिना उचित परीक्षा लिए किसी पर भी विश्वास न करें।
  • मत्या परीक्ष्य मेधावी बुद्ध्या संपाद्य चासकृत्।
श्रुत्वा दृष्ट्वाथ विज्ञाय प्राज्ञैर्मैत्रीं समाचरेत् ॥ -- महाभारत (उद्योगपर्व)
बुद्धिमान मनुष्य को अपनी बुद्धि से परीक्षा करके, अच्छी तरह परखकर, अन्य लोगों के विचार सुन्कर, देखकर, और उसके बाद समझकर ज्ञानी लोगों के साथ मैत्री करनी चाहिये।
  • पुराणमित्येव न साधु सर्वं न चापि काव्यं नवमित्यवद्यम्।
सन्तः परीक्ष्य अन्तरद्-भजन्ते मूढ़ः परप्रत्ययनेयबुद्धि ॥ -- कालिदास (मालविकाग्निमित्रम् )
पुराना होने से न तो कोई काव्य उत्कृष्ट हो जाता है और न नया होने से निकृष्ट। ज्ञानी लोग दोनों को परखकर उनमें से वरेण्य को अपनाते हैं। मूढ़ औरों के कहने पर चलते हैं।
  • परीक्ष्य सत्कुलं विद्यां शीलं शौर्यं सुरूपता ।
विधिर्ददाति निपुणः कन्यामिव दरिद्रता ॥ -- सुभाषितरत्नाकर (सभा तरंग )
विधि (भाग्य) की कैसी विडम्बना है कि वह किसी व्यक्ति के कुलीन , विद्वान, सच्चरित्र, तथा शूरवीर होने की भली प्रकार परीक्षा करने के उपरान्त एक चतुर कन्या के समान दरिद्रता उसके पल्ले बांध देता है।
  • धीरज धरम मित्र अरु नारी। आपद काल परखिये चारी ॥ -- तुलसीदास
विपत्ति काल में धीरज, धर्म, मित्र और पत्नी की परीक्षा होती है।
  • बिना निराश हुए ही हार को सह लेना पृथ्वी पर साहस की सबसे बडी परीक्षा है। -- आर. जी. इंगरसोल
  • अपने अन्दर योग्यता का होना अच्छी बात है , लेकिन दूसरों में योग्यता खोज पाना ( नेता की ) असली परीक्षा है। -- एल्बर्ट हब्बार्ड
  • बाधाएँ व्यक्ति की परीक्षा होती हैं। उनसे उत्साह बढ़ना चाहिये, मंद नहीं पड़ना चाहिये । -- यशपाल
  • किताबें ऐसी शिक्षक हैं जो बिना कष्ट दिए, बिना आलोचना किए और बिना परीक्षा लिए हमें शिक्षा देती हैं । -- अज्ञात


सन्दर्भ[सम्पादन]

इन्हें भी देखें[सम्पादन]