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  • और छोटा भाई सेवक होता था, ऐसी सुंदर रीति थी। तेजस्वी सम्मान खोजते नहीं गोत्र बतला के, पाते हैं जग में प्रशस्ति अपना करतब दिखला के। हीन मूल की ओर देख...
    ८ KB (५२५ शब्द) - ०८:५९, १५ फ़रवरी २०२३
  • सो सुची सो च ब्राह्मणो॥ -- भगवान बुद्ध ब्राह्मण न तो जटा से होता है, न गोत्र से और न जन्म से। जिसमें सत्य है, धर्म है और जो पवित्र है, वही ब्राह्मण है।...
    १६ KB (१,०४१ शब्द) - २१:५७, २१ मार्च २०२४
  • अपने आप को सहनशील और अपने अवगुणों को दूर करेंगे। तेजस्वी सम्मान खोजते नहीं गोत्र बतला के, पाते हैं जग में प्रशस्ति अपना करतब दिखला के। हीन मूल की ओर देख...
    ३० KB (२,३८१ शब्द) - ००:००, १३ मई २०२३
  • में रामोदार स्वामी के नाम से प्रसिद्ध था, और लंका छोड़ने से पूर्व ही अपने गोत्र को जोड़कर अपने को रामोदार सांकृत्यायन बना चुका था। मैं समझता था, यही नाम...
    ४६ KB (३,४३१ शब्द) - ०८:१३, १९ अगस्त २०२३
  • ।। सू.  : इसमें क्या संदेह है? काशी के पंडितों ही ने कहा है।। सब सज्जन के मान को कारन इक हरिचंद। जिमि सुझाव दिन रैन के कारन नित हरिचंद२ ।। ३ ।। और फिर...
    १७८ KB (१४,५३५ शब्द) - ००:०३, ११ मार्च २०१४