सहस्र किरणों से उज्ज्वल, हे देवों के देव ! आप को नमस्कार है। हे संसार के दीपक, आपको नमस्कार है। हे कोणवल्लभ! आप को नमस्कार करता हूँ। संसार को प्रकाश देने वाले को नित्य नमस्कार है। हे अन्तरिक्ष में विचरण करने वाले (खषोल्क), आपको नमस्कार है। हे विष्णु, हे कालचक्र, हे सोम, हे अमित तेज से युक्त, आपको नमस्कार है।
माघ मकरगत रबि जब होई। तीरथपतिहिं आव सब कोई॥
देव दनुज किन्नर नर श्रेनी। सादर मज्जहिं सकल त्रिबेनी ॥ -- तुलसीदास
सूर्य जब मकर रशि में प्रवेश करते हैं, तो तीर्थराज प्रयाग में सब लोग आते हैं। देवता, दानव, किन्नर, मानव आदि सभी त्रिवेणी में स्नान करते हैं।
असफलता को इजाज़त दें की वो आपको बड़ा कुछ सिखाये, क्योकि प्रत्येक सूर्यास्त के बाद एक बहुत बड़ा सूर्योदय होता है। -- श्री चिन्मय
जब भी तुम मुझे देखना चाहते हो, तो हमेशा सूर्यास्त देखना मैं वहाँ रहूँगा। -- ग्रेस ओगेट
ये सिर्फ सूर्यास्त नहीं है, ये तो चाँद के उगने का वक्त भी है। -- पी सी. कास्ट
हर सूर्यास्त फिरसे शुरुवात करने का अवसर होता है। -- रिची नॉर्टन