प्रेम के देवता कामदेव का धनुष पुष्पों से बना हुआ है तथा उसकी प्रत्यंचा भ्रमरों से बनी है, चञ्चल नेत्रों की तिरछी दृष्टि उसके बाण हैं तथा सबके मन को प्रभावित करने वाला चन्द्रमा उसका मित्र है फिर भी अकेला ही कामदेव तीनों लोकों को अपने प्रभाव से व्याकुल कर देता है। सच है महान और शक्तिशाली व्यक्तियों के कार्य उनके पराक्रम से सिद्ध होते हैं न कि उनके विभिन्न उपकरणों के कारण।
रथ का चक्का एक, सांप की रस्सी में बँधे सात घोड़े, निराधार है पंथ, सारथी भी चरणहीन है, सूरज प्रतिदिन विस्तृत नभ के अन्त-भाग तक ही जाता है। बड़े जनों की क्रियासिद्धि पौरुष से होती है, न कि उपकरणों (साधन) से।
लंका नगरी जेय थी, समुद्र को चरणों से चलकर पार करना था, प्रतिपक्षी पुलस्त्य का बेटा रावण था, संग्राम भूमि में सहायक थे बंदर, पैदल मानव राम, उन्होंने संहारा सारा राक्षस कुल, बड़े जनों की क्रियासिद्धि पौरुष से होती है; न कि साधन से।
घटो जन्मस्थानं मृगपरिजनो भूर्जवसनं ।
वने वासः कंदादिकमशनमेवंविधगुणः॥
अगस्त्यः पायोधिं यदकृत करांभोजकुहरे ।
क्रियासिद्धिः सत्त्वे भवति महतां नोपकरणे ॥
अगस्त्य मुनि का जन्म घड़े से हुआ था, मृग उनके परिवार जन थे, भोजपत्र उनका वस्त्र था, वन में वास करते थे, कंदमूल ही उनका भोजन था। उनका शरीर अस्थिर था। (ऐसे सामान्य गुणों वाले) अगस्त्य मुनि ने समुद्र को अपने कमल-समान जुड़े हुए हथेलियों के खोखले में समाहित कर लिया (अर्थात पी लिया) । (अतः) बड़े जनों की क्रियासिद्धि साधनों से नहीं बल्की आत्मबल से होती है।
कार्यसामर्थ्याद्द् हि पुरुषसामर्थ्यं कल्प्यते। -- अर्थशास्त्र (कौटिल्य)
(पुरुष द्वारा किये गये ) कार्य के सामर्थ्य से ही पुरुष के सामर्थ्य का पता चलता है।