विलियम जोन्स
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सर विलियम जेम्स ( २८ सितम्बर १७४६ - २७ अप्रैल १७९४) एक अंग्रेज भाषाविज्ञानी एवं प्राचीन भारत के अध्येता थे। उन्होंने ही सबसे पहले यह विचार व्यक्त किया कि भारोपीय भाषाओं में घनिष्ट आपसी सम्बन्ध हैं। उन्होंने एशियाटिक सोसायटी की स्थापना की।
उक्तियाँ
[सम्पादन]- संस्कृत भाषा की प्राचीनता जो भी हो, इसकी संरचना आश्चर्यजनक है। यह ग्रीक से अधिक पूर्ण (दोषरहित) है, लैटिन से अधिक शब्दबहुल है, और इन दोनों की अपेक्षा अधिक उत्कृष्टतापूर्वक परिशोधित है; फिर भी क्रियाओं के मूलों के रूप में और व्याकरण के रूपों में, इसका इन दोनों भाषाओं के साथ बहुत मजबूत सम्बन्ध दिखता है, जिसके केवल संयोग से उत्पन्न होने की स्म्भावना कम है। इन तीनों में इतना मजबूत सम्बन्ध है कि इनका विश्लेषण करके कोई भी भाषाशास्त्री इनके समान स्रोत से निकलने के ही निष्कर्ष पर पहुंचेगा। किन्तु वह स्रोत अब शायद बचा नहीं नहीं है।
- हमारे न्यूटन के चिरजीवी सम्मान को कम करने का मेरा बिल्कुल इरादा नहीं है, किन्तु मैं इस बात की पुष्टि करने का साहस कर सकता हूँ कि उनका पूरा धर्मशास्त्र (थियोलोजी), और उनके दर्शन का कुछ भाग वेदों में पाया जा सकता है और यहाँ तक कि सूफियों की कृतियों में भी पाया जा सकता है। सबसे सूक्ष्म आत्मा, जिसके बारे में उन्हें संदेह था कि वे प्राकृतिक शरीरों में व्याप्त हैं, और उनमें छिपे हुए हैं, जो आकर्षण और विकर्षण का कारण बनते हैं; प्रकाश का उत्सर्जन, परावर्तन और अपवर्तन; विद्युत, तन्तु (calefaction), संवेदना और पेशीय गति को हिन्दुओं ने 'पंचम तत्व' के रूप में वर्णित किया है, जो उन्हीं शक्तियों से सम्पन्न है। और सार्वभौमिक आकर्षक शक्ति के संकेत तो वेदों में भरे पड़े हैं, वेद इसका स्रोत मुख्य रूप से सूर्य को बताते हैं, इसलिए सूर्य को 'आदित्य', या आकर्षित करने वाला कहा जाता है। -- सर विलियम जोन्स, कलकता में एशियाटिक सोसायटी के सामने अपने संभाषण में (२० फरव्री, १७९४)
- छः दार्शनिक सम्प्रदायों के दर्शनशास्त्र में पुरानी अकादमी (old Academy), स्टोआ (Stoa), लिसेयुम (Lyceum) की सभी तत्वमीमांसा विद्यमान है। इसी प्रकार वेदान्त या इसके अनेकों सुन्दर भाष्यों को पढ़ने के बाद यह विश्वास किए बिना नहीं रह सकते कि पाइथागोरस और प्लेटो ने भारत के ऋषि-मुनियों के साथ समान स्रोत से अपने उदात्त सिद्धान्त (sublime theories) प्राप्त किए थे। -- विलियम जोन्स ; स्रोत: The Philomathic Journal, The Philomathic institution. Quoted from Gewali, Salil (2013). Great Minds on India. New Delhi: Penguin Random House.
- देवनागरी लिपि किसी भी लिपि की तुलना में अधिक वैज्ञानिक एवं व्यवस्थित लिपि है।