सामग्री पर जाएँ

प्रयागराज

विकिसूक्ति से
  • माघ मकरगत रबि जब होई। तीरथपतिहिं आव सब कोई॥
देव दनुज किन्नर नर श्रेनी। सादर मज्जहिं सकल त्रिबेनी ॥ -- तुलसीदास
सूर्य जब मकर रशि में प्रवेश करते हैं, तो तीर्थराज प्रयाग में सब लोग आते हैं। देवता, दानव, किन्नर, मानव आदि सभी त्रिवेणी में स्नान करते हैं।

इन्हें भी देखें

[सम्पादन]