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- माघ मकरगत रबि जब होई। तीरथपतिहिं आव सब कोई॥
- देव दनुज किन्नर नर श्रेनी। सादर मज्जहिं सकल त्रिबेनी ॥ -- तुलसीदास
- सूर्य जब मकर रशि में प्रवेश करते हैं, तो तीर्थराज प्रयाग में सब लोग आते हैं। देवता, दानव, किन्नर, मानव आदि सभी त्रिवेणी में स्नान करते हैं।