पुरुषोत्तम दास टण्डन

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पुरुषोत्तम दास टंडन भारत के एक स्वतन्त्रता सेनानी, राजनेता और हिन्दी के महान सेवक थे।

विचार[सम्पादन]

  • देश की वर्तमान स्थितियों में और देश के भविष्य को सामने रखते हुए यह आवश्यक है कि भारतीय संस्कृति की आधारशिला पर ही देश की राजनीति का निर्माण हो। इन सिद्धान्तों को व्यवहार में स्वीकार करने और बरतने से ही देश की सरकार जनता का सच्चा प्रतिनिधित्व कर उससे शक्ति प्राप्त कर सकती है। -- प्रथम भारतीय संस्कृति सम्मेलन, प्रयाग (1948) में
  • अस्पतालों और शय्यायों की संख्या बढ़ाने के बदले स्वस्थ जीवन के समुचित साधनों को उपलब्ध कराना राष्त्रीय जीवन के लिये परम आवश्यक है।
  • बिना अतीत का आधार बनाए, भविष्य का निर्माण नहीं किया जा सकता।[१]


पुरुषोत्तम दास टण्टन के बारे में महापुरुषों के विचार[सम्पादन]

  • वे अपनी संतुलित शक्तियों को कभी बेकार नहीं रहने देते थे। अपने सारे प्रयत्नों को केवल भारत की स्वतंत्रता और हिन्दी के उद्धार में लगाते थे। उनके लिए देश की स्वतंत्रता से हिन्दी का प्रश्न कम महत्वपूर्ण नहीं था। -- प्रसिद्ध साहित्यकार माखनलाल चतुर्वेदी

सन्दर्भ[सम्पादन]