तारिक़ फ़तह
तारिक़ फ़तह (20 नवम्बर, 1949 - 24 अप्रैल, 2023), पाकिस्तानी मूल के कनाडाई लेखक, सेक्युलर उदारवादी कार्यकर्ता एवं पत्रकार थे। इस्लाम सहित तमाम मुद्दों पर मुखर रूप से बोलने वाले तारिक फतेह टीवी पर चर्चा में अक्सर ख़ुद को हिंदुस्तानी बताते थे और हमेशा सिन्ध और हिन्द का सम्बन्ध जोड़ते थे। पाकिस्तान की आलोचना तीखे ढंग से करते थे। वे पाक को भारतीय संस्कृति का हिस्सा बताते थे। भारत के विभाजन से भी असहमति जताते हुए वे सांस्कृतिक रूप से भारत की बातें किया करते थे। उन्होंने 'यहूदी मेरे दुश्मन नहीं हैं' नाम से एक पुस्तक भी लिखी । पाकिस्तान में बलूचों के आंदोलनों के समर्थक भी रहे । बलूचिस्तान में मानवाधिकारों के हनन और पाकिस्तान द्वारा बलूचों पर किये जा रहे अत्याचारों के विषय पर भी बोलते और लिखते रहे और 'आज़ाद बलूचिस्तान' के पक्षधर के रूप में भी जाने गए।
उक्तियाँ
[सम्पादन]- राम मन्दिर के ऊपर बाबरी मसजिद हम मुसलमानों ने नहीं बनायी। (बल्कि) दुष्ट हिन्दुओं ने बाबरी मसजिद के नीचे राम मन्दिर बनाया था। -- ९ अगस्त २०२० को ट्विटर पर
- मैं पाकिस्तान में पैदा हुआ भारतीय हूं। इस्लाम में जन्मा पंजाबी हूं। एक मुस्लिम चेतना के साथ कनाडा में एक अप्रवासी हूँ। एक मार्क्सपन्थी युवा हूँ।
- आप दुनिया की सबसे बड़ी सभ्यता हैं। 10 हजार साल से दुनिया को रास्ता दिखाया है। पहाड़ों को काटकर मंदिर बनाया। आप क्यों डिफेंसिव हो रहे हैं? किसने बोला था उन्हें मस्जिद (बाबरी) बनाने के लिए? तू यहां पैदा नहीं हुआ, मरा कहीं और जाकर। आकर एक मंदिर पर मस्जिद बना दिया और पूरे मुल्क को बांट दिया। डिफेंस ऑफ इंडिया इज इंड ऑफ सिविलाइजेशन। इंडिया है तो दुनिया है, अगर इंडिया खत्म हुआ तो दुनिया खत्म। -- भारतीय सभ्यता, तथा बाबर द्वारा राम मन्दिर के ध्वंस के बारे में
- जो मुझे इस्लाम-विरोधी बोलते हैं उन्हें इस्लाम का पता नहीं है। -- शिखर सम्मेलन में
- पाकिस्तान के पास जो एटम बम है वो फटेगा तो फालूदा निकलेगा। -- इण्डिया टीवी पर
- सत्ता की राजनीति में आने के पहले मोदी एक साधारण कार्यकर्ता की तरह देश के कोने-कोने में घूमते रहे। इसलिए दूसरों की तुलना में उनकी जमीनी समझ ज्यादा गहरी है। वे जानते हैं कि अवाम की मुश्किलें क्या हैं? जबकि दिल्ली के दूसरे सियासी किरदार सत्ता केंद्रित राजनीति के ही खिलाड़ी रहे। -- नरेन्द्र मोदी पर
- पाकिस्तान एक ट्रेजरी की तरह है। नरसंहार करने वाले पाकिस्तान में खुले बैठे हैं। पाकिस्तान, हिंदुस्तान को नुकसान पहुंचा जा रहा है। ऐसे में भारत को पाकिस्तान के घर में घुसकर मारना चाहिए। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पाकिस्तान को घुसकर मारा है। मोदी नहीं होते तो प्याज के लिए पाकिस्तान से दोस्ती हो जाती। -- एबीपी न्यूज़ के शिखर सम्मेलन २०२० में
- वे सब आई एस आई के लिये काम करते हैं। -- पाकिस्तानी कलाकारों पर
- पाकिस्तान कतई नहीं बदल सकता। इमरान खान तो पाकिस्तान को बिल्कुल भी नहीं बदल सकते। इमरान खान के हाथ में कुछ भी नहीं हैं। सेना का उन पर पूरा नियंत्रण है। जिस खिलाफत के खलीफा मोहम्मद अली जिन्ना हों, जिनको सुअर के गोश्त का शौक हो और व्हिस्की अच्छी लगती हो....जिसने दोस्त की 16 साल की बेटी को भगाया हो, वो पाकिस्तान कैसे बदल सकता है? -- इमरान खान के 'नया पाकिस्तान' पर
- संसदीय चुनाव पहले से ही फिक्स थे और इसके लिए सेना को तैनात किया गया था। पाकिस्तान फौज का मुल्क है। इमरान खान की तीसरी बीवी सेना की एजेंट है जिसको सेना ने ही प्लांट किया है। इसके जरिए पाकिस्तानी सेना प्रधानमंत्री के बेड रूम तक पहुंच गई है। -- पाकिस्तान में निष्पक्ष चुनाव कराए जाने के प्रश्न पर
- सिद्धू को यह तक नहीं पता है कि किसी के ननकाना साहब जाने पर एक सेना प्रमुख का क्या दखल है? -- पंजाब के कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू के पाकिस्तान जाने और वहां के सेना प्रमुख कमर जावेद बाजवा से गले मिलने पर
- मैं बलूचिस्तान का एजेंट हूँ और सिन्ध में पैदा हुआ हूँ। सिंध के एजेंट को हिन्दुस्तान का एजेन्ट बताना मेरे लिए गर्व की बात है। सिन्ध हिन्द का हिस्सा है। हिंदुस्तान को इसको गले लगाना चाहिए। -- अपने को भारत का एजेंट बताए जाने के प्रश्न पर
- अगर हिन्दुस्तान मुझे नागरिकता दे देता है, तो बहुत बेहतर है, लेकिन अगर नहीं देता है, तो मैं कोई भागा नहीं फिर रहा हूँ। -- भारतीय नागरिकता हासिल करने के प्रश्न पर
- ऐसे लोगों को एक बार पाकिस्तान भेज दीजिए, तो इनको समझ में आ जाएगा कि यहां पर अभिव्यक्ति की आजादी है या नहीं? -- भारत में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को लेकर उठाये जा रहे प्रश्न पर
- मैं अल्ला के इस्लाम को मानता हूँ, लेकिन मुल्ला के इस्लाम को नहीं मानता। हिन्दुस्तान में रहने वाले मुसलमानों को यहां की संस्कृति को अपनाना चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है।ये इस्लाम की आड़ में अपनी दुकान चला रहे हैं। -- उनके इस्लाम-विरोधी होने के प्रश्न पर
- सब वामपंथियों का खेल चल रहा है। प्रदर्शनकारियों की दिक्कत ये हैं कि यहाँ हिंदू क्यों आ रहे हैं? वो ये नहीं चाहते हैं कि तसलीमा नसरीन और तारिक फतेह को भारत की नागरिकता मिले। नागरिकता संशोधन कानून का जामिया मिल्लिया इस्लामिया से कोई लेना देना नहीं है। भारत के मुसलमानों का इस्तेमाल होता जा रहा है। मुसलमानों में महिलाओं की अशिक्षा बहुत बड़ी समस्या है। -- नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) पर, शिखर सम्मेलन २०२० में
- कांग्रेस में जमीन से कटे नेता देश की सबसे पुरानी पार्टी को खींच रहे हैं। राहुल गांधी के लिए एक सशक्त नेतृत्व देना नामुमकिन-सी चुनौती है। खासकर मोदी के सामने। वे इसके लिए बने ही नहीं हैं। -- २०१७ में, कांग्रेस पर बोलते हुए
- जिन्ना से लेकर वहां के सारे लीडरों ने भारत को लगातार धोखे दिए हैं। वह भरोसे के काबिल नहीं है।पाक दुनिया भर में आतंक की फैक्ट्री बन चुका है। उसने पूरी कौम को ही बर्बाद कर रखा है। मोदी ही उसका इलाज कर सकते हैं। उसके साथ सख्ती से ही पेश आना होगा।
- मुसलमानों को सच का सामना करना चाहिए। सच यह है कि हिंदुस्तान में जिस एक हजार साल की मुस्लिम हुकूमत पर वे रोते-इतराते हैं, वह हमलावरों का इतिहास है, जिन्होंने इस महान मुल्क को लूटा, बर्बाद किया और सत्ता की छीना-झपटी में खूनखराबा करते रहे। जबकि भारतीय मुस्लिमों के पूर्वज पहले से यहीं थे। वे हिंदू, जैन और बौद्ध थे।
- हिंदुओं को जिम्मी-जजिया के जरिए छल-बल से सदियों तक मजबूर किया गया। उनके मंदिर तोड़े गए। आज के हिंदुस्तान ही नहीं, बांग्लादेश, अफगानिस्तान और पाकिस्तान के भी मुस्लिम उन बाहरी हमलावरों से खुद को कैसे जोड़ सकते हैं? उनके पुरखों ने ही यह सनातन संस्कृति बनाई थी। मुसलमानों को यह ऐतिहासिक भूल खुद सुधारनी होगी। तभी वे भारत की रूह से जुड़ पाएंगे। नहीं तो झूठे इतिहास में खुद को गाफिल रखेंगे।[१]
- कश्मीरियों की भलाई इसी में है कि पाकिस्तान की तरफ मुंह न करें। भारत ही उनका अतीत, वर्तमान और भविष्य है। चंद पाकिस्तानपरस्त नेता कश्मीर की बर्बादी के लिए जिम्मेदार हैं, जिन्हें सरहद के बार धकिया देना चाहिए। वे कश्मीर की एक पूरी पीढ़ी की बर्बादी के कसूरवार हैं। कश्मीरियों को भी अपनी जड़ें देखनी चाहिए। वह हिंदू और बौद्ध परंपराओं का गढ़ रहा है। धरती की जन्नत की हमलावरों ने क्या शक्ल बना दी?
तारिक फतह के बारे में विचार
[सम्पादन]- पंजाब के शेर, हिंदुस्तान के बेटे, कनाडा के प्रेमी, सच बोलने वाले, न्याय के लिए लड़ने वाले, शोषितों की आवाज तारिक फतेह अब हमारे बीच नहीं रहे। उनका काम और उनकी क्रांति उन सभी के साथ जारी रहेगी, जो उन्हें जानते और प्यार करते थे। -- तारिक फतह की बेटी नताशा, उनके निधन की सूचना देते हुए
- तारिक फतेह एक प्रसिद्ध विचारक, लेखक और टीकाकार थे। मीडिया और साहित्य जगत में उनके महत्वपूर्ण योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा। वह जीवनभर अपने सिद्धान्तों और विश्वासों के प्रति प्रतिबद्ध रहे। उनके साहस और दृढ़ विश्वास के लिए उनका सम्मान किया गया। -- राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ