राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भारत का एक सामाजिक-सांस्कृतिक संगठन है। इसकी स्थापना सन १९२५ में विजयादशमी के दिन नागपुर में हुई थी।

विचार[सम्पादन]

  • तेरा वैभव अमर रहे माँ, हम दिन चार रहें न रहें।
  • देश की वास्तविक उन्नति समाज से ही सम्भव है। हमें समाज में रहकर अपने विचारों और कर्मों से राष्ट्र की उन्नति में योगदान देना चाहिए।
  • भारत में रहने वाला प्रत्येक व्यक्ति हिन्दू है। किसी कालखण्ड में वह हमसे अलग हो गया जिसके कारण उसकी मान्यताएं बदल गई, किन्तु वैचारिक रूप से वह हमारा भाई ही है।
  • हिंदू एक जीवन शैली है जो सत्य और सनातन है। हिंदू होने पर गर्व और गौरव का अनुभव होना चाहिए।
  • देश में किसी भी अवसर पर संघ के स्वयंसेवक की आवश्यकता होती है, तो यह स्वयंसेवक के लिए गौरव का क्षण होता है।
  • संघ की शाखाएं समय से नहीं, समय संघ की शाखाओं से चला करती है।
  • ग्रामीण क्षेत्र में एक प्रतिशत तथा शहरी क्षेत्र में तीन प्रतिशत का लक्ष्य जिस दिन प्राप्त हो जाएगा, भारत माता परम वैभव पर स्थापित हो जाएंगी।
  • जाति, वर्ग, पंथ आदि में बठकर समाज का उत्थान संभव नहीं है। सभी भारत के निवासी हैं, यह मानकर सभी को एक समान भाव से गले लगाना होगा।
  • जब तक हिंदुस्तान में एक भी हिंदू जीवित है, तब तक यह हिंदू राष्ट्र ही रहेगा। ।
  • देश की वास्तविक उन्नति समाज से ही सम्भव है। हमें समाज में रहकर अपने विचारों और कर्मों से राष्ट्र की उन्नति में योगदान देना चाहिए।
  • लोगों का क्या है, वह आप पर पत्थर ही फेकेंगे। यह आप पर निर्भर करता है यह आप पर निर्भर करता है, उन पत्थरों का आप क्या करेंगे। एक समझदार उन पत्थरों से मजबूत नींव डालता है, वही नासमझ अपना मार्ग परिवर्तित करता है।
  • दूसरों को सुनाने के लिए जरूरी नहीं कि आप अपनी आवाज ऊंची करें। अपना व्यक्तित्व ऊंचा करके भी अपनी बात दूसरों को सुना सकते हैं।
  • स्वयंसेवक को स्वाद और विवाद दोनों त्याग कर आगे बढ़ जाना चाहिए। स्वाद छोड़ने पर शरीर को फायदा होता है, वही विवाद को छोड़कर संबंध मजबूत होते हैं।
  • स्वयंसेवक अपने कार्य के प्रति इतने संलग्न रहते हैं वह थक कर नहीं बैठते। उनकी वाणी इतनी मधुर होती है कि सामने वाले को आकर्षित कर लेती है। लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सीने में एक ज्वाला सदैव जलता रहता है। अपने शक्ति और पुरुषार्थ को प्रदर्शित करने के लिए सिर पर तथा शरीर पर भगवा वस्त्र धारण करते हैं।
  • स्वयं की चिन्ता से तनाव उत्पन्न होता है, वही समाज की चिन्ता से लगाव।
  • जहां स्वार्थ की सीमाएं समाप्त होती है, वहीं से इंसानियत आरंभ होती है।
  • जीवन को बदलने के लिए लड़ना पड़ता है, वहीं जीवन को सुगम बनाने के लिए समझना।
  • सच्चे इंसान की भगवान, सदैव परीक्षा लेता है किंतु साथ नहीं छोड़ता। बुरे लोगों को भगवान बहुत कुछ देता है, पर साथ नहीं देता।
  • जिसे निभाया ना जा सके ऐसा वादा ना करें
अपनी हदों को पहचान बातें ज्यादा ना करें।
इरादा रखो , सदैव आसमान छूने की
साथी तुम्हारा गिर जाए ऐसा इरादा ना करें॥
  • असफलता के डर से , सफलता का मार्ग क्यों छोड़ते हो
पथ है कटीला तो भी , पीछे क्यों हटते हो
रखकर हौसला खुद पर देखो , सफल होने से क्यों चुकते हो।
  • मैले और गंदे कपड़ों से शर्म मत करो
मैले विचार और मन से शर्म करो
समाज निश्चित बदलेगा एक दिन
जहां हो वहीं रुक कर प्रकाश करो॥
  • लोग आपको जरूरत के समय याद करें तब भी घबराने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि आप उनके लिए आशा की किरण हैं जो उनका मार्गदर्शन कर सकती है।

संघ के बारे में विचार[सम्पादन]

  • दुर्लभ है ज्ञान संघ का
जनहित , देशहित लोक हितकारी
बाल संस्कार की नर्सरी
प्रौढ़ वृक्षों की है छटा निराली॥
  • जीवन का उच्च आदर्श यहां
बहती भातृत्व की धार है।
बच्चे हो या बूढ़े सभी के
हृदय में देशभक्ति की धार है॥
  • राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ कुछ नहीं करता और स्वयंसेवक कुछ नहीं छोड़ते, वे सबकुछ करते हैं।
  • देशभर में एक संघ की शाखाएं ही हैं जहां प्रातः मातृभूमि की वन्दना की जाती है।
  • संघ का स्वयंसेवक इतना सक्षम होता है कि वह स्वयं समाज का नेतृत्व कर सकता है, चाहे वह कोई भी क्षेत्र हो।
  • संघ की शाखाएं समय से नहीं, समय संघ की शाखाओं से चला करता है।

इन्हें भी देखें[सम्पादन]