तन्त्र

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तन्त्र, साधना की एक पद्धति तथा कर्मकाण्ड है जिसका विकास भारत में कम से कम ५वीं शताब्दी से पूर्व हुआ। 'तन्त्र' शब्द का सबसे पुराना प्रयोग ऋग्वेद में मिलता है (१०.७१.९)। तन्त्र ने हिन्दू, बोन, बौद्ध और जैन सभी परम्पराओं को प्रभावित किया। बौद्ध धर्म के प्रसार के सात तन्त पूर्व और दक्षिण-पूर्व के देशों में गया। तन्त्र का अभ्यास/साधना करने वालों को 'तान्त्रिक' कहा जाता है। हिन्दू धर्म में आध्यात्मिक साधना की तीन पद्धतियाँ हैं, मन्त्र, तन्त्र और यन्त्र।

उद्धरण[सम्पादन]

  • सनातन धर्म में सांख्य, ब्रह्माण्डीय संरचना प्रदान करता है; वेदान्त अविभाज्य अस्तित्व, ज्ञान और परमानन्द सम्बन्धी अटल सत्य प्रदान करता है ; तथा तन्त्र और योग विधि एवं साधना (प्रक्टिस) प्रदान करते हैं। -- बाबाजि बॉब किन्डलर के लेख , १६ दिसम्बर २०१३ को लिया गया।
  • योग, वेदान्त और तन्त्र का आविर्भाव अधिकांशतः सांख्य दर्शन से हुआ है जिसमें २४ तत्त्वों का वर्णन है। -- बाबाजि बॉब किन्डलर
  • वैदिक और तान्त्रिक दोनों ही सम्प्रदाय अति प्रचीन काल से ही भारत में साथ-साथ अस्तिव में रहे हैं। उसी समय से ही तन्त्र कुछ गिनति के लोगों तक सीमित था। तन्तर के सिद्धान्त और अभ्यास को यदि समझ लिया जाय और अधिक संख्या में लोग इसे स्वीकार कर लें तो मानव समुदाय में कोई वर्ग-भेद नहीं होगा। -- हमारे बारे में, श्रीपुरम संस्था, १६ दिसम्बर २०१३ को लिया गया

इन्हें भी देखें[सम्पादन]