अभिमान

विकिसूक्ति से

अभिमान, अहंकार, गर्व, घमंड आदि समानार्थी हैं।

उक्तियाँ[सम्पादन]

  • प्रकृतेः क्रियमाणानि गुणैः कर्माणि सर्वशः।
अहङ्कारविमूढात्मा कर्ताहमिति मन्यते॥ -- गीता
इस संसार में सभी प्रकार के कर्म प्रकृति के द्वारा स्वयं किए जा रहे हैं लेकिन जिस व्यक्ति के अंतः करण में अहंकार भरा रहता है। वह अहंकार के वशीभूत होकर अपने आप को कर्ता समझता है। अहंकारी पुरुष विमूढात्मा होता है।
  • अहङ्कारं बलं दर्पं कामं क्रोधं च संश्रिताः।
मामात्मपरदेहेषु प्रद्विषन्तोऽभ्यसूयकाः॥ -- गीता
जिस व्यक्ति के अंदर अहंकार, हठ, घमंड, काम- क्रोध ये पाँच दुर्गुण होते हैं। वह मनुष्य मुझ परमात्मा से द्वेष करता है और मेरे को भी दोष दृष्टि से देखता है। ऐसा समझना चाहिए।
  • अशास्त्रविहितं घोरं तप्यन्ते ये तपो जनाः।
दम्भाहङ्कारसंयुक्ताः कामरागबलान्विताः॥ -- गीता
जो मनुष्य काम, आसक्ति, हठ के वशीभूत होते हैं एवं जिनके अंदर दंभ एवं अहंकार भरा रहता है और शास्त्र विधि को छोड़कर घोर तप करते हैं। ऐसे लोग असुर एवं पापी होते हैं।
  • अहंकारात् सदा राजन् नश्यते सर्वसाधितम्।
हे राजन, अहंकार अर्थात् घमंड के कारण व्यक्ति का वह सब कुछ नष्ट हो जाता है, जो कुछ भी उसने जीवन में अर्जित किया है।
  • अहंकारः सदा त्याज्यः साक्षात् नरकस्य कारणम्।
अहंकार अर्थात् घमंड का सर्वथा त्याग कर देना चाहिए। नहीं तो यह नरक ले जाने वाला होता है।
  • प्रभुता पाइ काहि मद नाहीं । -- तुलसीदास
  • जिसको न निज गौरव तथा निज देश का अभिमान है।
वह नर नहीं नर पशु निरा है और मृतक समान है॥-- मैथिलीशरण गुप्त
  • अनुशासन के बिना और अभिमान के साथ किया गया तप व्यर्थ ही होता है। -- वेद व्यास

इन्हें भी देखें[सम्पादन]