पाप पुन्य दुइ बीज हैं जोतैं बवैं सुजान॥ -- कबीरदास
जैसे जल द्वारा अग्नि को शांत किया जाता है वैसे ही ज्ञान के द्वारा मन को शांत रखना चाहिये। -- वेदव्यास
मानव जितना अपने मन को मना सके उतना खुश रह सकता है। -- अब्राहम लिंकन
यदि आपने अपनी मनोवृतियों पर विजय प्राप्त नहीं की, तो मनोवृत्तियां आप पर विजय प्राप्त कर लेंगी। -- नेपोलियन हिल
जो मनुष्य अपने मन का गुलाम बना रहता है वह कभी नेता और प्रभावशाली पुरूष नहीं हो सकता। -- स्वेट मार्डन
माला फेरत जुग भया, फिरा न मन का फेर ।
कर का मन का डार दे, मन का मनका फेर ॥ -- कबीर
जग में बैरी कोई नहीं, जो मन शीतल होय ।
यह आपा तो डाल दे, दया करे सब कोय ॥ -- कबीर
मन का विकास करो और उसका संयम करो, उसके बाद जहाँ इच्छा हो, वहाँ इसका प्रयोग करो–उससे अति शीघ्र फल प्राप्ति होगी। यह है यथार्थ आत्मोन्नति का उपाय। एकाग्रता सीखो, और जिस ओर इच्छा हो, उसका प्रयोग करो। ऐसा करने पर तुम्हें कुछ खोना नहीं पड़ेगा। जो समस्त को प्राप्त करता है, वह अंश को भी प्राप्त कर सकता है। -- स्वामी विवेकानन्द
जैसा खाय अन्न, वैसा बने मन। -- अज्ञात
जो मन की शक्ति के बादशाह होते हैं, उनके चरणों पर संसार नतमस्तक होता है। -- अज्ञात
सभी बुरे कार्य मन के कारण उत्पन्न होते हैं। अगर मन परिवर्तित हो जाये तो क्या अनैतिक कार्य रह सकते हैं?-- गौतम बुद्ध