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  • है। पवन ही जोग पवन ही भोग, पवन ही हरै छतीसौं रोग। या पवन कोई जाणे भेव, सो आपे करता आपे देव ॥ -- गुरु गोरखनाथ पवन ही योग है, पवन ही भोग है, और पवन ही छत्तीसों...
    ७२ KB (४,६६० शब्द) - १४:३५, ५ अगस्त २०२३
  • हृदय उस चित्र की भांति होता है जिस पर एक बहुत ही साधारण परदा पड़ा हुआ हो। पवन का साधारण झकोरा भी उसे हटा देता है। अनाथों का क्रोध पटाखे की आवाज है, जिससे...
    ७५ KB (५,८५४ शब्द) - १३:१९, १० सितम्बर २०२३
  • नारायण मिश्र अमिय की कटोरिया सी चिरजीवी रहो विक्टोरिया रानी । -- अंबिका दत्त व्यास अँगरेज-राज सुख साज सजे सब भारी । पै धन विदेश चलि जात इहै अति ख्वारी ॥ --...
    ८७ KB (६,२०८ शब्द) - १८:३३, ५ दिसम्बर २०२२
  • प्राणिमात्र के लिये अत्यन्त हितकर हो , मै इसी को सत्य कहता हूँ । — वेद व्यास सही या गलत कुछ भी नहीं है – यह तो सिर्फ सोच का खेल है। पूरी इमानदारी से...
    २८१ KB (१९,७५२ शब्द) - १४:५५, ११ जनवरी २०२३
  • व्यासस्य वचनं द्वयम् । परोपकारः पुण्याय , पापाय परपीडनम् ॥ अट्ठारह पुराणों में व्यास जी ने केवल दो बात कही है ; दूसरे का उपकार करने से पुण्य मिलता है और दूसरे...
    २५७ KB (१९,१५७ शब्द) - १०:१८, ८ मार्च २०२२
  • प्राणिमात्र के लिये अत्यन्त हितकर हो , मै इसी को सत्य कहता हूँ । — वेद व्यास सही या गलत कुछ भी नहीं है – यह तो सिर्फ सोच का खेल है। पूरी इमानदारी से...
    ३०४ KB (२१,२०६ शब्द) - २१:०८, ३ फ़रवरी २०२२