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  • पीसि राखे बरदान राख्यो कर मैं। राजन की हद्द राखी तेग-बल सिवराज, देव राखे देवल स्वधर्म राख्यों घर मैं। -- कवि भूषण द्वारा रचित 'शिवभूषण' से कवि भूषण ने...
    २५ KB (१,९८१ शब्द) - ०९:०६, ३ जुलाई २०२३
  • करेंगें। दूसरों के कहने पर हम तनिक भी ध्यान न दें और यदि आजन्म यत्न के बाद एक, देवल एक ही आत्मा संसार के बन्धनों को तोड़कर मुक्त हो सके तो हमने अपना काम कर लिया।...
    ९९ KB (७,८२३ शब्द) - १९:२२, ५ अगस्त २०२३
  • से परिचय हो जाता है। तब साधक के निज अनुभव ज्ञान से बाहर कुछ नही रह जाता। देवल जात्रां सुंनि जात्रा, तीरथ जात्रा पांणी।१। अतीत जात्रा सुफल जात्रा, बोलै...
    ४८५ KB (३९,२९५ शब्द) - १६:१३, १९ फ़रवरी २०२३