शिवाजी
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छत्रपति शिवाजी महाराज या शिवाजी राजे भोसले (१६३० - १६८०) भारत के महान योद्धा एवं रणनीतिकार थे जिन्होंने १६७४ में पश्चिम भारत में मराठा साम्राज्य की नींव रखी। उन्होंने कई वर्ष औरंगज़ेब के मुगल साम्राज्य से संघर्ष किया। सन १६७४ में रायगढ़ में उनका राज्याभिषेक हुआ और छत्रपति बने। छ.शिवाजी महाराज ने अपनी अनुशासित सेना एवं सुसंगठित प्रशासनिक इकाइयों की सहायता से एक योग्य एवं प्रगतिशील प्रशासन प्रदान किया। उन्होंने समर-विद्या में अनेक नवाचार किये तथा छापामार युद्ध की नयी शैली (शिवसूत्र) विकसित की। उन्होंने प्राचीन हिन्दू राजनैतिक प्रथाओं तथा दरबारी शिष्टाचारों को पुनर्जीवित किया और फारसी के स्थान पर मराठी एवं संस्कृत को राजकाज की भाषा बनाया।
उक्तियाँ[सम्पादन]
- अगर आपके पास दृढ़ इच्छाशक्ति और फ़ौलादी आत्मबल है तो आप संपूर्ण जगत पर अपना विजय पताका फहरा सकता है।
- अगर मनुष्य के पास आत्मबल है, तो वो समस्त संसार पर अपने हौसले से विजय पताका लहरा सकता है।
- अगर व्यक्ति के पास दृढ़ इच्छाशक्ति और आत्मबल है तो वह सम्पूर्ण जगत पर अपना विजय पताका फहरा सकता है।
- अंगूर को जब तक न पेरो वो मीठी मदिरा नही बनती, वैसे ही मनुष्य जब तक कष्ट मे पिसता नही, तब तक उसके अन्दर की सर्वौत्तम प्रतिभा बाहर नही आती।
- अंगूर को जब तक पेरा नही जाता तबतक रस नही बनता ठीक उसी प्रकार जबतक मनुष्य कष्ट और कठिनाई के दौर से नही गुजरता तबतक उसकी प्रतिभा सबके सामने नही आती है।
- अपने आत्मबल को जगाने वाला, खुद को पहचानने वाला, और मानव जाति के कल्याण की सोच रखने वाला, पूरे विश्व पर राज्य कर सकता है।
- आत्मबल हमेसा करने की सामर्थ्य देता है और सामर्थ्य विद्या से आती है विद्या जो की हमेसा स्थिरता प्रदान करती है और स्थिरता हमेसा विजय की ओर ले जाती है।
- आत्मबल, सामर्थ्य देता है, और सामर्थ्य, विद्या प्रदान करती है। विद्या, स्थिरता प्रदान करती है, और स्थिरता, विजय की तरफ ले जाती है।
- आप एक छोटे कदम से, छोटे से लक्ष्य की शुरुआत करके भी बड़े बड़े लक्ष्य को आसानी से पा सकते है।
- आप जहा कही भी रहते है आपको अपने पूर्वजो का इतिहास जरुर मालूम होना चाहिए।
- आपका शत्रु चाहे कितना बलवान क्यूँ ना हो उसे सिर्फ मजबूत इरादे और बुलंद हौसले से पराजित किया जा सकता है।
- इस जीवन मे सिर्फ अच्छे दिन की आशा नही रखनी चाहिए, क्योकी दिन और रात की तरह अच्छे दिनो को भी बदलना पङता है।
- इस दुनिया में हर व्यक्ति को स्वतंत्र रहने का अधिकार है और उस अधिकार को पाने के लिए वह किसी से लड़ सकता है।
- एक छोटे कदम से छोटे से लक्ष्य की शुरुआत भी बड़े बड़े लक्ष्य को आसानी पा सकते है।
- एक पुरुषार्थी भी, एक तेजस्वी विद्वान के सामने झुकता है। क्योंकि पुरुर्षाथ भी विद्या से ही आती है।
- एक वीर योद्धा केवल विद्वानों के सामने ही झुकता है।
- एक सफल व्यक्ति अपने कर्तव्य की पराकाष्ठा के लिए सम्पूर्ण मानव जाति की चुनौती स्वीकार कर लेता है।
- एक स्त्री के सभी अधिकारों में सबसे महान अधिकार उसकी माँ होने में है।
- कभी भी अपना सिर नही झुकाना चाहिए बल्कि हमेशा ऊचा ही रखना चाहिए।
- कोई भी कार्य करने से पहले उसका परिणाम सोच लेना हितकर होता है; क्योकी हमारी आने वाली पीढी उसी का अनुसरण करती है।
- जब आपके हौसले बुलंद होंगे तो पहाड़ जैसी विपत्ति और संघर्ष भी मिट्टी के ढेर के समान ही प्रतीत होगा।
- जब तक मनुष्य कष्ट और कठिनाई के दौर से नही गुजरता तब तक उसकी प्रतिभा दुनिया के सामने नही आती है।
- जब पेड़ इतना दयालु हो सकता है की पत्थर मारने पर फल देता है तो एक राजा होने के नाते तो मुझे उस पेड़ से भी अधिक दयालु और सबका हितैषी होना चाहिए।
- जब लक्ष्य, जीत का बनाया जाता है तो तो उस जीत को हासिल करने के लिए दृढ़ परिश्रम और किसी भी कीमत को चुकाने के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए।
- जरुरी नही की दुश्मन से लड़कर ही जीत हासिल किया जाए बल्कि उसे बिना लड़े भी जीत हासिल किया जा सकता है।
- जरूरी नही कि विपत्ति का सामना, दुश्मन के सम्मुख से ही करने में, वीरता हो, वीरता तो विजय में है।
- जीवन में सिर्फ अच्छे दिन की आशा नही रखनी चाहिए, क्योंकि दिन और रात की तरह अच्छे दिनों को भी बदलना पड़ता है।
- जो धर्म, सत्य, क्षेष्ठता और परमेश्वर के सामने झुकता है। उसका आदर समस्त संसार करता है।
- जो मनुष्य अपने बुरे समय में भी अपने कार्यो में लगा रहता है उसके लिए बुरा समय भी अच्छे समय में बदल जाता है।
- जो व्यक्ति अपने आत्मबल को जान लेता है, खुद को पहचान लेता है, जो मानव जाति के कल्याण को सोच रखता है वही व्यक्ति पूरे विश्व पर राज्य कर सकता है।
- जो व्यक्ति धर्म, सत्य श्रेष्ठता और ईश्वर के सामने झुकता है उस व्यक्ति का आदर समस्त संसार में किया जाता है।
- जो व्यक्ति सिर्फ अपने देश और सत्य के सामने झुकते है उनका आदर सभी जगह होता है।
- बदला लेने की भावना मनुष्य को जलाती रहती है, संयम ही प्रतिशोध को काबू करने का एक मात्र उपाय है।
- भले हर किसी के हाथ में तलवार हो, यह इच्छाशक्ति है जो एक सत्ता स्थापित करती है।
- यदि एक पेड़, जोकि इतनी उच्च जीवित सत्ता नहीं है, इतना सहिष्णु और दयालु हो सकता है कि किसी के द्वारा मारे जाने पर भी उसे मीठे आम दे; तो एक राजा होकर, क्या मुझे एक पेड़ से अधिक सहिष्णु और दयालु नहीं होना चाहिए?
- यद्यपि तलवार तो किसी के भी हाथ में हो सकता है लेकिन साम्राज्य तो वही स्थापित कर सकता है जिसमे दृढ़ इच्छाशक्ति होती है।
- यह जरुरी नही कि खुद गलती करके ही सीखा जाए, दुसरो की गलती से भी बहुत कुछ सीखा जा सकता है।
- वास्तव में, इस्लाम और हिन्दू धर्म अलग-अलग मामले हैं। वे उस सच्चे दिव्य चित्रकार द्वारा रंगों को मिलाने और खाका तैयार करने के लिए प्रयोग किये जाते हैं। यदि यह एक मस्जिद है, तो उसकी याद में ईबादत के लिए आवाज़ दी जाती है। यही यह एक मंदिर है तो सिर्फ उसी के लिए घंटियाँ बजाई जाती हैं।
- वीर व्यक्ति हमेसा विद्वानों के आगे झुकते है।
- शत्रु चाहे कितना बड़ा और शक्तिशाली क्यों ना हो उसे सही नियोजन और आत्मबल और उत्साह के जरिये ही हराया जा सकता है।
- शत्रु चाहे कितना ही बलवान क्यो न हो, उसे अपने इरादों और उत्साह मात्र से भी परास्त किया जा सकता है।
- सर्वप्रथम राष्ट्र, फिर गुरु, फिर माता-पिता, फिर परमेश्वर। अतः पहले खुद को नही राष्ट्र को देखना चाहिए।
- स्वतंत्रता एक ऐसा वरदान है जिसे पाने का हर कोई अधिकारी है।
- हमे अपने शत्रु को कभी कमजोर नही समझना चाहिए और अपने से अधिक बलवान समझकर भयभीत भी नही होना चाहिए।