श्यामाचरण लाहिड़ी
पठन सेटिंग्स
श्यामाचरण लाहिड़ी (30 सितम्बर 1828 – 26 सितम्बर 1895) 18वीं शताब्दी के उच्च कोटि के साधक थे जिन्होंने सद्गृहस्थ के रूप में यौगिक पूर्णता प्राप्त कर ली थी।
उद्धरण
[सम्पादन]- यह याद रखो कि तुम किसी के नहीं हो और कोई तुम्हारा नहों है। इस पर विचार करो कि किसी दिन तुम्हें इस संसार का सब कुछ छोड़कर चल देना होगा, इसलिये अभी से ही भगवान को जान लो,
- श्री श्री परमहंस योगानन्द (2005), लाहिड़ी महाशय का अवतार सदृश जीवन Page : 436, योगी कथामृत। अभिगमन तिथि : 2019।
- मुसलमान को रोज पाँच बार नमाज़ पढ़ना चाहिये। हिन्दू को दिन में कई बार ध्यान में बैठना चाहिये। ईसाई को रोज कई बार घुटनों के बल बैठकर प्रार्थना करके फिर बाइबिल का पाठ करना चाहिये।
- श्री श्री परमहंस योगानन्द (2005), लाहिड़ी महाशय का अवतार सदृश जीवन Page : 436, योगी कथामृत। अभिगमन तिथि : 2019।
- केवल बही बुद्धिमान है, जो प्राचीन दर्शनों का केवल पठन-पाठन करने के बजाय उनकी अनुभूति करने का प्रयास करता है। ध्यान में ही अपनी सब समस्याओं का समाधान ढूँढो।* व्यर्थ अनुमान लगाते रहने के बदले ईश्वर से प्रत्यक्ष सम्पर्क करो।
- श्री श्री परमहंस योगानन्द (2005), लाहिड़ी महाशय का अवतार सदृश जीवन Page : 437, योगी कथामृत। अभिगमन तिथि : 2019।