परमहंस योगानन्द

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परमहंस योगानन्द (1946)

परमहंस योगानन्द (5 जनवरी 1893 – 7 मार्च 1952), बीसवीं सदी के एक आध्यात्मिक गुरु, योगी और सन्त थे।

उद्धरण[सम्पादन]

  • जीवन, मृत्यु से अधिक शक्तिशाली है क्योंकि वह पापों को धोकर भी आगे बढती है।
  • योग साधना विचारों की आपसी टकराहट से पैदा होने वाले शोर को पार कर शांति हासिल करने का एक तरीका है।
  • लोग अपना संतुलन खो देते हैं एवं धनोपार्जन के पागलपन तथा व्यावसायिक उन्माद के कारण कष्ट भोगते हैं, क्योंकि उनको कभी भी एक संतुलित जीवन की आदत को विकसित करने का मौका ही नहीं मिला।
  • हर क्षण में शांति से जियें और फिर अपने परिवेश की सुंदरता को अनुभव करें। भविष्य अपने आप सुदृढ़ हो जायेगा।
  • मानव का लक्ष्य केवल धन कमाना ही न हो।
  • फिर से कोशिश करें, कोई फर्क नहीं पड़ता कि कितनी बार आप विफल रहे हैं. हमेशा एक बार और कोशिश करनी चाहिये।
  • ईश्वर क्या है? लगातार मिलने वाला, हमेशा नया दिखने वाला आनन्द।
  • जितना हो सके उतना सिंपल बनो। आप अपने जिंदगी को आसान और खुश देखकर आश्चर्यचकित जाओगे।
  • स्थिरता ही आत्मा की बलिवेदी है।
  • असफलता के दौर में सफलता का बीज बोने का सबसे बढ़िया समय है।
  • धर्म हमेशा हर प्राणियों की ख़ुशी के लिए प्रयासरत रहता है।
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