महात्मा गांधी के विचार
दिखावट
- लोकतंत्र में यदि सत्ता का दुरुपयोग हो,तो लोगों को कहीं रहने के लिए भी जगह नहीं रह जायेगी.
- परमानंद किसी के अपने लक्ष्य तक पहुंचने के प्रयास में निहित है,न कि वहां पहुंचने में.
- कोई संस्कृति जीवित नहीं रह सकती है,अगर वह विशिष्ट होने का प्रयास करे.
- अहिंसा का लबादा ओढ़ना धोखा है.जरूरत है कि हम दिल में बसे हिंसा का त्याग करें.
- जो आपको दुश्मन समझते हैं,उनसे भी मित्रवत व्यवहार करना सच्चे धर्म का मर्म है.
- विवेक के मामलों में बहुमत के कानून की कोई जगह नहीं है.
- हर इंसान के अंदर अपनी गलतियों को स्वीकारने और उन्हें सुधारने की पर्याप्त विनम्रता होती है.
- एक अन्यायपूर्ण कानून हिंसा की ही एक प्रजाति है.
- मैं दिल से पूर्व और पश्चिम के मिलान का स्वागत करुंगा,पर यह पशुबल पर आधारित नहीं होना चाहिए.
- सबसे अच्छे होने के लिए अनंत प्रयास मनुष्य का कर्तव्य है.
- असहिष्णुता सच्ची लोकतांत्रिक भावना के विकास में बाधक है.
- एकमात्र एक ऐसी बात जो हमें पशु से अलग करती है वो है अहिंसा|मानव बनने के लिए अहिंसक होना जरुरी है|
- बुनियादी शिक्षा बालक के मन और शरीर का विकास करती है,बालक को वतन के साथ जोड़े रखती है|उसे अपने और देश के भविष्य का गौरवपूर्ण चरित्र दिखाती है|
- अस्पृश्यता वह विष है, जो धीरे-धीरे हिंदू धर्म के प्राण ले रहा है|इस बुराई को जितनी जल्दी निर्मल कर दिया जाए,उतना ही समाज मानव जाति के लिए कल्याणकारी होगा|
- स्वच्छता को अपने आचरण में इस तरह अपना लो कि वह आपकी आदत बन जाए|शौचालय को रसोई घर की तरह साफ होना चाहिए|
- मेरी अनुमति के बिना कोई मुझे ठेस नहीं पहुंचा सकता.
- हिंदुस्तान और पाकिस्तान को अपनी-अपनी खामियां मिटानी चाहिए,एक-दूसरे का दोष देखने में किसी का लाभ नहीं है.
- शिक्षा का अर्थ सिर्फ अक्षरज्ञान न हो,अक्षरज्ञान से दुनिया को फायदे के बदले नुकसान ही हुआ है.
- जिसका मन साफ है,उसके पास सारी खुशी है.
- जीते-जागते सत्य के बिना ईश्वर कहीं नहीं है.
- हम सभी को आयी हुई विपत्ति में शांति खोजनी चाहिए.
- मनुष्य जब एक नियम तोड़ता है,तो बाकी अपने आप टूट जाते हैं.
- एक औंस अभ्यास का मूल्य कई टन उपदेश से ज्यादा है.
- कुछ लोग सिर्फ सफलता के सपने देखते हैं,जबकि सफल व्यक्ति कड़ी मेहनत करते हैं.
- स्वच्छता,पवित्रता और आत्मसम्मान से जीने के लिए धन की आवश्यकता नहीं होती.
- प्रार्थना मांगना नहीं,यह आत्म की चाह है. यह दैनिक कमजोरियों की अपनी स्वीकारोक्ति है.
- चरित्र की शुद्वि ही सारे ज्ञान का ध्येय होना चाहिए.
- शांति का कोई रास्ता नहीं है,केवल शांति है.
- सत्य के पास छिपाने के लिए कुछ भी नहीं होता.
- हिंदुस्तान का अर्थ वे करोड़ों किसान हैं,जिनके सहारे हम सब जी रहे हैं.
- जो काम अपने से हो सके,वह काम दूसरे से कभी नही कराधा चाहिए.
- पृथवी सभी मनुष्य की जरुरत पूरी करने के लिए पर्याप्त संसाधन प्रदान करती है लेकिन लालच पूरी करने के लिए नहीं|
- सात सामाजिक पाप कर्म :-
- सिद्वांतों के बिना राजनीति
- परिश्रम के बिना धन
- विवेक के बिना सुख
- चरित्र के बिना ज्ञान
- नैतिकता के बिना व्यापार
- मानवता के बिना विज्ञान
- त्याग के बिना पूजा
- लम्बे-लम्बे भाषणों से कहीं अधिक मूल्यवान है इंच भर कदम बढ़ाना|