सामग्री पर जाएँ

बी.के.एस. अयंगर

विकिसूक्ति से

योग गुरु बेल्लूर कृष्णमचारी सुंदरराज अयंगर (बी.के.एस. अयंगर) आधुनिक समय में अंतर्राष्ट्रीय ख्याति के महान योग शिक्षक थे। आपने योगासन को भारत की सीमाओं से बाहर विदेशों में प्रसिद्धि दिलाई। लाखों विदेशियों ने इनसे योग का प्रशिक्षण लिया। योगाभ्यास की इनकी शैली ‘अयंगर योग’ के नाम से प्रसिद्ध हुई। योग पर इन्होंने कई प्रामाणिक ग्रंथों की रचना की, जिनमें प्रमुख है ‘लाइट ऑन योग' (योग प्रकाशिका)। सन् 1991 में इन्हें पद्म श्री, 2002 में पद्म भूषण और 2014 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया। 2004 में 'टाइम' पत्रिका ने इन्हें दुनिया के 100 सबसे प्रभावशाली लोगों में सम्मिलित किया। 20 अगस्त 2014 को पुणे में इनका निधन हो गया।

बी के एस अयंगर का जन्म कर्नाटक में कोल्लार जिले के बेल्लूर में 14 दिसंबर 1918 को हुआ था।

उक्तियाँ

[सम्पादन]
  • योग केवल चीजों को देखने का नजरिया ही नहीं बदलता, बल्कि यह व्यक्ति को भी रूपान्तरित कर देता है।
  • शरीर मेरा मन्दिर है, आसन मेरी प्रार्थना!
  • जीवन जीने के लिए है। समस्याएं तो हमेशा रहेंगी। जब वे उत्पन्न हों तो योग के सहारे उन्हें पार करें।
  • योग वह प्रकाश है जो एक बार प्रज्ज्वलित हो जाने पर कभी कम नहीं होता, जितना बेहतर आप अभ्यास करेंगे आपकी ज्वाला उतनी ही तेज होगी।
  • सांस ही मन का नियंत्रक है।
  • आत्मा अलग-अलग नहीं होती, केवल खुद के बारे में हमारी धारणाएं अलग-अलग होती हैं।
  • शरीर ही आपका मंदिर है। आत्मा के निवास के लिए इसे शुद्ध और स्वच्छ रखें।
  • जब आप किसी और में कोई गलती देखें तो यह जानने की कोशिश करें कि कहीं आप भी वही गलती तो नहीं कर रहे।
  • योग की अवस्था तब होती है जब शरीर की हर कोशिका आत्मा के संगीत का गान करती है।
  • योग साधन भी है और साध्य भी।
  • योग हमें उन चीजों को सुधारना सिखाता है जिन्हें हम सहन नहीं कर सकते और उन चीजों को सहन करना सिखाता है जिन्हें हम सुधार नहीं सकते।
  • देह का सुर, मन का ताल और आत्मा का लय जीवन का मधुर संगीत पैदा करते हैं।
  • मैं अपनी खुद की वेदिका पर खड़ा हूं। मेरे मुद्राएं ही मेरी प्रार्थना हैं।
  • देह धनुष है, आसन तीर और लक्ष्य है आत्मा।
  • मैंने शरीर को साध कर मन को, आत्म को और बुद्धि को साधा।
  • हीरे की कठोरता उसकी उपयोगिता का हिस्सा है, लेकिन इसका असली मोल उस चमक में निहित होता है जो इससे होकर निकलती है।
  • योग आपको एक ऐसी नई आजादी पाने का अवसर देता है, जिसके अस्तित्व पर आपको हो सकता है यकीन ही न हो।
  • योग आपको अपने जीवन में पूर्णता का अहसान दिलाता है, जहां आपको ऐसा नहीं लगता कि आप लगातार टूटे-बिखरे टुकड़ों को जोड़ने में लगे हैं।
  • योग सोने की वह चाबी है जिससे अमन, चैन और सुख के द्वार खुलते हैं।
  • संसार गतिविधियों से भरी है। लेकिन जो चीज संसार को चाहिए वह है- सजगता और चेतना के साथ किए जाने वाले काम।
  • जब आप सांस लेते हैं तो आप ईश्वर की शक्ति ग्रहण कर रहे होते हैं। जब आप सांस छोड़ते हैं तो उस सेवा को दर्शाते हैं जो आप संसार को प्रदान करते हैं।
  • आप ईश्वर को कैसे जान पाएंगे यदि आप अपने पांव के अंगूठे को नहीं जानते?
  • कुछ भी बलपूर्वक नहीं सिखाया जा सकता, ग्रहणशीलता ही सब कुछ है।
  • वास्तविक एकाग्रता सजगता का अटूट धागा है।
  • सारे खेल निरर्थक हैं यदि आपको नियम न पता हो‌।
  • मैं दार्शनिक की तरह अभ्यास करता हूं। वैज्ञानिक की तरह सिखाता हूं। कलाकार की तरह प्रदर्शन करता हूँ।
  • आप अपना ध्यान मेरुदंड सीधा रखने पर केंद्रित करें। आपके मस्तिष्क को सजग रखने का काम आपका मेरुदंड कर लेगा।
  • सहिष्णुता में शिक्षण की कला निहित है। विनम्रता में सीखने की कला निहित है।
  • आत्मविश्वास, स्पष्टता और करुणा शिक्षक के अनिवार्य गुण हैं।

इन्हें भी देखें

[सम्पादन]