प्रशंसा

विकिसूक्ति से
  • उष्ट्राणां च विवाहेषु गीतं गायन्ति गर्दभाः ।
परस्परं प्रशंसन्ति अहो रूपमहो ध्वनिः ॥ -- महासुभषितसंग्रह
ऊँटों के विवाह में गधे गीत गा रहे हैं। एक-दूसरे की प्रशंसा कर रहे हैं, अहा! क्या रूप है? अहा! क्या आवाज़ है!
  • निन्दन्तु नीतिनिपुणा यदि वा स्तुवन्तु
लक्ष्मी समाविशतु गच्छतु वा यथेष्टम् ।
अद्यैव मरणमस्तु युगान्तरे वा
न्याय्यात्पथः प्रविचलन्ति पदं न धीराः ॥ -- भर्तृहरि, नीतीशतक में
नीति में निपुण मनुष्य चाहे निन्दा करें या प्रशंसा करें, लक्ष्मी आये या चली जाये, मृत्यु आज हो या युगों के बाद, परन्तु धैर्यवान मनुष्य कभी भी न्याय के मार्ग से विचलित नहीं होते हैं।
  • स्तुति निन्दा कोऊ करहि लक्ष्मी रहहि कि जाय।
मरै कि जियै न धीरजन धरै कुमारग पाय॥ -- प्रसंगरत्नावली
  • आत्म-प्रशंसा ओछेपन का लक्षण है। -- वैस्कल
  • अपनी प्रशंसा के गीत गाना स्वयं को हीन साबित करना है। सच्ची बड़ाई उसी की है, जिसकी शत्रु भी प्रशंसा करे। -- अज्ञात
  • जो लोग अपनी प्रशंसा के भूखे होते हैं, वे स्वयं सिद्ध करते हैं कि उनमें योग्यता नहीं है। -- महात्मा गांधी
  • मानव में जो कुछ सर्वोत्तम है उसका विकास प्रसंसा तथा प्रोत्साहन से किया जा सकता है। -- चार्ल्स श्वेव
  • आप किसी भी व्यक्ति का चरित्र बता सकते हैं यदि आप देखें कि वह प्रशंसा से कैसे प्रभावित होता है। -- सेनेका
  • मानव प्रकृति में सबसे गहरा नियम प्रशंसा प्राप्त करने की लालसा है। -- विलियम जेम्स
  • अगर किसी युवती के दोष जानने हों तो उसकी सखियों में उसकी प्रसंसा करो। -- फ्रंकलिन
  • चापलूसी करना सरल है, प्रशंसा करना कठिन। मेरी चापलूसी करो, और मैं आप पर भरोसा नहीं करुंगा। मेरी आलोचना करो, और मैं आपको पसन्द नहीं करुंगा। मेरी उपेक्षा करो, और मैं आपको माफ नहीं करुंगा। मुझे प्रोत्साहित करो, और मैं कभी आपको नहीं भूलूंगा। -- विलियम ऑर्थर वार्ड
  • हमारे साथ प्रायः समस्या यही होती है कि हम झूठी प्रशंसा के द्वारा नष्ट हो जाना तो पसंद करते हैं, परन्तु वास्तविक आलोचना के द्वारा संभल जाना नहीं। -- नॉर्मन विंसेंट पील

इन्हें भी देखें[सम्पादन]