ध्यान
दिखावट
- अनियंत्रित विचार हर बुराई की जड़ हैं। कोई भी विचार अपने आप मे बहुत सशक्त नहीं होता, क्योंकि हमारा मन आमतौर पर अनगिनत और विविध विचारों से विचलित रहता है। -- स्वामी शिवानन्द
- अपने मन पर काबू करने का सबसे अच्छा तरीका यही है की हम उसमें उत्कृष्ट, श्रेष्ठ और ऊँचे विचारों को जगह दें और उनके माध्यम से हम इधर-उधर के अलग-अलग, मन को विचलित करने वाले सांसारिक और तुच्छ विचारों पर काबू कर पाएं। -- स्वामी शिवानन्द
- एकाग्रता वह कला है, जिसके आते ही सफलता निश्चित हो जाती है। कर्म, भक्ति, ज्ञान, योग और सम्पूर्ण साधनों की सिद्धि का मूलमंत्र एकाग्रता है। -- दीनानाथ दिनेश
- अपनी अभिलाषाओं को वशीभूत कर लेने के बाद मन को जितनी देर तक चाहो एकाग्र किया जा सकता है। -- स्वामी रामतीर्थ
- पवित्रता के बिना एकाग्रता का कोई मूल्य नहीं है। -- स्वामी शिवानंद
- तुम एकाग्रता द्वारा उस अनन्त शक्ति के अटूट भंडार के साथ मिल जाते हो, जिसमे इस बृह्मांड की उत्पत्ति हुई है। -- अज्ञात
- साठ वर्ष के बूढ़े में उत्साह सामर्थ्य नजर आ सकता है यदि उसका चित्त एकाग्र हो। -- विनोबा भावे
- ध्यान और समाधि एकाग्रता के बिना सम्भव नहीं। -- मनुस्मृति
- एकाग्र हुआ चित्त ही पूर्ण स्थिरता को प्राप्त होता है। सुखी का चित्त एकाग्र होता है। -- महात्मा बुद्ध
- एकाग्रता से विनय प्राप्त होती है। -- चार्ल्स बक्सन
- एकाग्रता आवेश को पवित्र और शांत कर देती है, विचारधारा को शक्तिशाली और कल्पना को स्पष्ट कर देती है। -- स्वामी शिवानंद
- तुम्हारी विजय शक्ति है मन की एकाग्रता।यह शक्ति मनुष्य जीवन की समस्त ताकतों को समेटकर मानसिक क्रांति उत्पन्न करती है। -- अज्ञात
- अनिश्चितमना पुरुष भी मन को एकाग्र करके जब सामना करने को खड़ा होता है तो आपत्तियों का लहराता हुआ समुद्र भी दुबककर बैठ जाता है। -- तिरुवल्लुवर
- जिसका चित्त एकाग्र नहीं है वह सुनकर भी कुछ नहीं समझता। -- नारद पुराण
- संसार के प्रत्येक कार्य में विजय पाने के लिए एकाग्रचित्त होना आवश्यक है। जो लोग चित्त को चारों ओर बिखेरकर काम करते है उन्हें सैकड़ों वर्षों तक सफलता का मूल्य मालूम नहीं होता। -- मार्ले
- जबरदस्त एकाग्रता के बिना कोई भी मनुष्य सूझ-बुझ वाला, आविष्कारक, दार्शनिक, लेखक, मौलिक कवि या शोधकर्ता नहीं हो सकता। -- स्वेट मार्डेन
- विनय प्राप्त करने के लिए एकाग्रता की शरण लीजिए। -- चार्ल्स बेकन
- सब धर्मो से महान ईश्वरत्व वरण और इंद्रियों की एकाग्रता है। -- शंकराचार्य
- मन की एकाग्रता ही समग्र ज्ञान है। -- स्वामी विवेकान्द
- मन में एकाग्र शक्ति प्राप्त करने वाले मनुष्य संसार में किसी में किसी समय असफल नहीं होते। -- अज्ञात