चरित्र
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(आचरण से अनुप्रेषित)
चरित्र और आचार समान अर्थ रखते हैं। आचरण या करनी।
उक्तियाँ
[सम्पादन]- आचाराल्लभते ह्यायुः आचारादीप्सिताः प्रजाः।
- आचाराद्धनमक्षयम् आचारो हन्त्यलक्षणम्॥
- सदाचार से आयु की प्राप्ति होती है, सदाचार से अभिलषित सन्तान की प्राप्ति होती है, सदाचार से उस धन की प्राप्ति होती है जो कभी नष्ट नहीं होता, सदाचार से बुरी आदतों का नाश होता है।
- आचारः परमो धर्मः -- मनुस्मृति
- आचार ही परम धर्म है।
- आचारः परमो धर्मः श्रुत्युक्तः स्मार्त एव च ।
- तस्मादस्मिन् सदा युक्तो नित्यं स्यादात्मवान् द्विजः ॥ -- मनुस्मृति, अध्याय १, श्लोक १०८
- वेद तथा स्मृति में प्रतिपादित श्रेष्ठ आचारधर्म का विवरण यहां दिया गया है। आचार ही सर्वश्रेष्ठ धर्म है। अतः ‘स्वयं का हित होे’, ऐसी इच्छा रखनेवाले द्विज तथा बुद्धिमान, इस धर्म के पालन का प्रयास करते रहें ।
- आचारः परमो धर्मः आचारः परमो तपः ।
- आचारः परमं ज्ञानं आचारात्किं न साध्यते ॥ -- महासुभषितसंग्रह
- आचार ही श्रेष्ततम धर्म है, तपस्या है तथा ज्ञान है। सदाचरण से भला क्या प्राप्त नही किया जा सकता?
- वृत्तं यत्नेन संरक्षेत् वित्तमायाति याति च।
- अक्षीणो वित्ततः क्षीणो वृत्ततस्तु हतो हतः ॥ -- मनुस्मृति
- भावार्थ — चरित्र की प्रयत्न पूर्वक रक्षा करनी चाहिए, धन तो आता-जाता रहता है। धन के नष्ट हो जाने से व्यक्ति नष्ट नहीं होता पर चरित्र के नष्ट हो जाने से वह मरे हुए के समान है॥
- शीलं प्रधानं पुरुषे तद्यस्येह प्रणश्यति ।
- न तस्य जीवितेनार्थो न धनेन न बन्धुभिः ॥ -- महाभारत
- इस संसार में पुरुष में चरित्र ही मुख्य गुण होता है। जिसका शील नष्ट हो जाता है वह मर जाता है। उसके न जीवित रहने का कोई मतलब है, न धन का न बन्धुओं का।
- श्रूयतां धर्मसर्वस्वं श्रुत्वा चाप्यवधार्यताम्।
- आत्मन: प्रतिकूलानि परेषां न समाचरेत्॥ -- विदुरनीतिः
- अर्थ- (हे लोगो) धर्म का सार सुनिये। सुन कर समझ लें कि जो (व्यवहार) अपने लिये प्रतिकूल लगे, उसे दूसरों के प्रति आचरण न करें।
- आचारप्रभवो धर्मः धर्मस्य प्रभुरच्युतः। -- नारदपुराण, पूर्वखण्ड, अध्याय ४, श्लोक २२
- धर्म आचार से उत्पन्न हुआ है तथा उस धर्म के प्रभु पुराणपुरुष अच्युत, अर्थात श्रीविष्णु हैं।
- धर्मस्य निष्ठा तु आचारः। -- महाभारत, शान्तिपर्व, अध्याय २५१, श्लोक ६
- (भीष्म कहते हैं,) सदाचार धर्म का आधार है।
- स्वगृहे पूर्ण आचारः परगेहे तदर्धकः।
- तदर्धकः परग्रामे पथि सूत्रवदाचरेत्॥ -- समयोचितपद्यमालिका
- When you are staying in the comfort of your home follow all the rituals threadbare. If you have to stay in another house nearby, reduce the rituals to half. If you stay in another village, reduce it still by half. And while on travel reduce the rituals to the books.
- पर उपदेश कुशल बहुतेरे।
- जे अचरहिं ते नर न घनेरे॥ -- गोस्वामी तुलसीदास
- दूसरों को उपदेश देने में बहुत से लोग दक्ष (कुशल) हैं किन्तु जो उन उपदेशों के अनुसार आचरण करते हैं वे बहुत कम हैं। दूसरे शब्दों में, उपदेश देना तो बहुत आसान है लेकिन स्वयं उन उपदेशों पर अमल करना कठिन।
- आचरण अच्छा हो तो मन में, अच्छे विचार ही आते हैं। -- इमर्सन
- सुन्दर आचरण, सुन्दर देह से अच्छा है। -- इमर्सन
- चरित्र वृक्ष है, और प्रतिष्ठा उसकी छाया। -- अब्राहम लिंकन
- चरित्र का हीरा विपदाओं के तमाम, पाषाण खण्डो को भी काट देता है। -- बार्टल
- आत्मसम्मान का नींव, चरित्र होता है। -- अज्ञात
- चरित्र के शुद्ध होने से ही, सारे ज्ञान का ध्यान होना है। -- महात्मा गांधी
- एक चरित्रवान इन्सान, कभी भी अपने पद और अपने शक्ति का, भरपूर फायदा नहीं उठा सकता है। -- माघ
- एक महान चरित्र का निर्माण, अच्छे-अच्छे विचारो से होता है। -- अज्ञात
- इन्सान बिना सफलता के तो रह सकताहै, मगर वह बिना चरित्र के नहीं रह सकता है। -- इमर्सन
- एक इन्सान का असली चरित्र तब सामने आता है, जब वह नशे में होता है। -- चार्ली चैपलिन
- चरित्र का विकास आसानी से नहीं किया जा सकता। -- हेलेन केलर
- औरत के चरित्र का पता भगवान नहीं लगा सकता है, फिर तो इन्सान तो भगवान के हाथो की कठपुतली है। -- अज्ञात
- जो इन्सान अपने आप काबू नहीं रख सकता, वह इन्सान दुर्बल चरित्र का होगा। -- कनफयूशियस
- चरित्र परिवर्तनशील नहीं, बल्कि उसका विकास होता है। -- डिजरायली
- तुम कुलीन हो या अकुलीन, वीर हो या कायर, पवित्र हो या अपवित्र, यह आपके चरित्र से ज्ञात हो जाएगा। -- वाल्मीकि
- सफेद कागज पर दाग, जो हट न सके, वही चरित्र है। -- जे. हाॅवेज
- चरित्र निर्माण के तीन आधार स्तम्भ है, अधिक निरीक्षण करना, अधिक अनुभव करना एवं अधिक अध्ययन करना। -- कैथराल
- स्त्री कभी भी पति की दौलत के, सुखी या दुखी नहीं होती.उसका सुख या दुख पति की योग्यता और चरित्र पर निर्भर करता है। -- जॉर्ज बर्नाड शॉ
- चरित्र द्वारा शासित व्यक्ति वैसे ही श्रेष्ठ है, जैसे जीवित मृतकों से। -- अरस्तू
- चरित्र निर्माण का अर्थ है, स्वयं को अनुशासित, सुसंगठित और व्यवस्थित बनाना। -- आचार्य वेदान्त तीर्थ
- जैसे आचरण की तुम दूसरों से अपेक्षा रखते हो, वैसा ही आचरण तुम दूसरों के प्रति करो.ल्यूक - ल्युक
- चरित्र की शुद्धि ही, सारे ज्ञान का ध्येय होनी चाहिए। -- महात्मा गांधी
- इन्सान के अन्दर, यश बाहर और चरित्र अन्दर होता है। - - अज्ञात
- इन्सान के चरित्र से, इन्सान की प्रवृति आंकी जा सकती है। -- वाल्मीकि
- यदि आपका चरित्र सही है तोगया हुआ धन फिर से कमाया जा सकता है.. - अज्ञात
- अधिकांश पुरुष नारियों में वह खोजते है, जिसका स्वयं उनके चरित्र में अभाव होता है। -- फील्डिंग
- चरित्र जब गिरता है तब मिट्टी के बर्तन की भाँति चकनाचूर हो जाता है। -- माघ
- चारित्रिक का गठन, इंसान की प्रथम आवश्यकता है। -- स्वामी विवेकानन्द
- चरित्र कभी भी ज्ञान, पैसा आदि में वृद्धि नहीं करता है, बल्कि चरित्र दूसरो के दिलो में जाकर, अपना घर बनाता है। -- डॉटेड
- चरित्र का निर्माण, छोटे-छोटे विषयों से ही होता है। -- फिल्लिप ब्रुक्स
- अपनी बात मनवाने का सबसे प्रभावी माध्यम, चरित्र होता है। -- अरस्तू
- चरित्र की शिक्षा पाए हुए के लिए, सभी देश और सभी नगर पराए होकर भी, अपने बन जाते है। -- तिरुवल्लुवर
- मनुष्य का चरित्र वह वस्त्र है, जो विचारो के धागो से बनता है। -- जेम्स एलन