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  • चित्तानुसार नहीं बनी इससे यह निश्चित होता है कि ब्रज-भाषा ही में कविता करना उत्तम होता है और इसी के कविता ब्रज-भाषा में ही उत्तम होती है। प्रचलित साधुभाषा...
    २६ KB (१,९४३ शब्द) - ०७:०८, १४ जुलाई २०२३
  • में प्रथम पद के अधिकारी हुए। हिंदी कविता के प्रेमी मात्र जानते हैं कि उनका ब्रज एवं अवधी दोनों भाषाओं का समान अधिकार था। ब्रजभाषा का जो माधुर्य हम सूरसागर...
    ५३ KB (३,७७५ शब्द) - ०८:३१, ३० जुलाई २०२३
  • राजेन्द्रप्रसाद कविता कामिनि भाल में हिंदी बिंदी रूप, प्रकट अग्रवन में भई ब्रज के निकट अनूप। - राधाचरण गोस्वामी हिंदी समस्त आर्यावर्त की भाषा है। - शारदाचरण...
    १०५ KB (७,०२६ शब्द) - २०:२८, २४ सितम्बर २०२३
  • आचार्य शुक्ल (हिन्दी साहित्य का इतिहास) ये (घनानन्द) साक्षात् रस-मूर्ति और ब्रज भाषा के प्रधान स्तंभों में है। प्रेम की गूढ़ अन्तर्दशा का उद्घाटन जैसा इनमें...
    ८७ KB (६,२०८ शब्द) - १८:३३, ५ दिसम्बर २०२२
  • झलक और साँझ को जल में घाटों की परछाहीं की शोभा भी देखते ही बन आती है। जहाँ ब्रज ललना ललित चरण युगल पूर्ण परब्रह्म सच्चिदानंद घन बासुदेव आप ही श्री गोपाललाल...
    ९६ KB (७,४६३ शब्द) - ००:२२, १७ मार्च २०१४