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  • कहाँ है दिल-ए-दाग़दार में इक शाख़-ए-गुल पे बैठ के बुलबुल है शादमाँ काँटे बिछा दिये हैं दिल-ए-लालाज़ार में उम्र-ए-दराज़ माँगके लाए थे चार दिन दो आरज़ू में...
    २ KB (१६६ शब्द) - १०:२९, ११ मई २०२२
  • परी नाम है मेरा ।। फन्दे से मेरे कोई निकले नहीं पाता। इस गुलशने आलम में बिछा दाम है मेरा ।। दो चार टके ही पै कभी रात गँवा दूँ। कारूँ का खजाना कभी इनआम...
    ७ KB (६१२ शब्द) - ००:३३, १३ मार्च २०१४
  • मिलती है जैसे ही वो सत्ता में आती है विदेशी कम्पनियों का स्वागत लाल कालीन बिछाकर करती है और गरीब और किसानों को भूल जाती है। देश जनता से कर्मचारियों से चलता...
    १९ KB (१,५१४ शब्द) - १२:३०, १३ अक्टूबर २०२३
  • जो गम खाया। अर्थ- कम खाना और गम खाना अच्छा होता है। केरा (केला), केकड़ा, बिछू, बाँस इ चारो की जमले नाश। अर्थ- इन चारों की संतान ही इनका नाश कर देती है।...
    १२२ KB (९,६४९ शब्द) - ११:३०, २२ जून २०२३
  • रही होगी फिर उसी ने उसे छुआ होगा फिर उसी से निभा रही होगी जिस्म चादर सा बिछ गया होगा रूह सिलवट हटा रही होगी फिर से इक रात कट गई होगी फिर से इक रात आ...
    ३८ KB (३,३३५ शब्द) - ०७:५९, ८ अगस्त २०२३
  • पहिरने को अँतड़ी को जोडे़गें।। डा.  : हम लाद के औंधे मुरदे चैकी बनावैंगी। कफन बिछा के लड़कों को उस पर सुलावेंगी।। सब  : हम सुख से गावेंगे ढोल बजावेंगे ढम ढम...
    १७८ KB (१४,५३५ शब्द) - ००:०३, ११ मार्च २०१४
  • हो तब पानी भी नही पीना चाहिए। जीवित (आत्मा) के नीचे मृतक (जड़ शरीर) को बिछाना चाहिए अर्थात यह जड़ शरीर ही आत्म चिंतन का आधार है, अतः इसे निरोग रखते हुए...
    ४८५ KB (३९,२९५ शब्द) - १६:१३, १९ फ़रवरी २०२३