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  • धर्म का जल्दी हीं नाश हो जाता है । एक अनीह अरूप अनामा । अज सच्चिदानन्द पर धामा । ब्यापक विश्वरूप भगवाना । तेहिं धरि देह चरित कृत नाना । भगवान एक हैं, उन्हें...
    १०० KB (७,९९९ शब्द) - ०९:५२, १८ जून २०२३
  • करते हैं, और भी बिंदुमाधवादि अनेक रूप से अपने नाम धाम के स्मरण दर्शन, चिन्तनादि से पतितों को पावन करते हुए विराजमान हैं। जिन मंदिरों में प्रातःकाल संध्या...
    ९६ KB (७,४६३ शब्द) - ००:२२, १७ मार्च २०१४