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  • वो शत्रु हैं क्रोध, घमण्ड, लालच, आसक्ति और घृणा। आपात स्थिति में मन को डगमगाना नहीं चाहिये। ईश्वर का कोई अलग अस्तित्व नहीं है। सही दिशा में सर्वोच्च प्रयास...
    २२ KB (१,७२९ शब्द) - ११:०१, ११ मई २०२२
  • पापाचार और दैन्य के बोझ से दबकर पिस-मिट गयीं और नयी जातियाँ गर्त में गिरने को डगमगा रही हैं। इस प्रश्न का तो हल करने के लिए अभी शेष ही है कि शान्ति की जय होगी...
    ९९ KB (७,८२३ शब्द) - १९:२२, ५ अगस्त २०२३
  • नाहीं मान हमारी बात ।। पी प्याला छक छक आनँद से नितहि साँझ और प्रात। झूमत चल डगमगी चाल से मारि लाज को लात ।। हाथी मच्छड़, सूरज जुगुनू जाके पिए लखात। ऐसी सिद्धि...
    ७९ KB (६,२१० शब्द) - ००:०८, १७ मार्च २०१४