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  • पुरुष हो या महिला, जिसे एक अच्छा उपन्यास पढने में आनंद ना आये, वो निश्चित रूप से बहुत मूर्ख होगा। -- जेन ऑस्टेन क्या तुमने सचमुच अपने रूम में राखी सारी किताबें...
    ३६ KB (२,७०७ शब्द) - ०८:०६, ६ अप्रैल २०२३
  • महावीर स्वामी, जैन धर्म के चौंबीसवें तीर्थंकर है। आज से लगभग ढाई हजार वर्ष पहले, ईसा से 599 वर्ष पहले वैशाली गणतंत्र के क्षत्रिय कुण्डलपुर में पिता सिद्धार्थ...
    २२ KB (१,७२९ शब्द) - ११:०१, ११ मई २०२२
  • सकता, वो तुम्हारे जीवन में प्रकाश कैसे ला सकता है। जो निःशुल्क है वह सबसे ज्यादा किमती है, नींद, शांति, आनंद, हवा, पानी,प्रकाश और सबसे ज्यादा किमती हमारी...
    ६४ KB (५,३७३ शब्द) - ०९:०५, १९ दिसम्बर २०२१
  • धर्मराज पृथ्वी में वर्त्तमान था। उस समय कोई मुसलमान, कोई ईसाई, कोई बौद्ध, कोई जैन इस भारतवर्ष में विद्यमान नहीं था।प्रत्युत सारे संसार में भी कहीं उनका चिन्ह...
    ५० KB (३,८१३ शब्द) - २१:३२, २६ अप्रैल २०२४
  • प्रति सच्चे रहें और कभी भी किसी के लिए यह त्याग न करें कि आप कौन हैं। -- ज़ेन मलिक सच्चा क्रांतिकारी बनने के लिए आपको प्रेम को समझना होगा। प्रेम, त्याग...
    २५ KB (१,९२७ शब्द) - २०:३९, ६ अक्टूबर २०२३
  • सचरारे । यद् किंचिद् वस्तु तत्सर्वम् , गणितेन् बिना न हि ॥ — महावीराचार्य , जैन गणितज्ञ ( बहुत प्रलाप करने से क्या लभ है ? इस चराचर जगत में जो कोई भी वस्तु...
    २८१ KB (१९,७५२ शब्द) - १४:५५, ११ जनवरी २०२३
  • अब इस धर्म के आगे तो सब धर्म तुच्छ हैं और जो मांस न खाय वह तो हिन्दू नहीं जैन है। वेद में सब स्थानों पर बलि देना लिखा है। ऐसा कौन सा यज्ञ है जो बिना बलिदान...
    ६९ KB (५,२३३ शब्द) - ००:०२, ११ मार्च २०१४
  • सचरारे । यद् किंचिद् वस्तु तत्सर्वम् , गणितेन् बिना न हि ॥ — महावीराचार्य , जैन गणितज्ञ ( बहुत प्रलाप करने से क्या लभ है ? इस चराचर जगत में जो कोई भी वस्तु...
    २५७ KB (१९,१५७ शब्द) - १०:१८, ८ मार्च २०२२
  • सचरारे । यद् किंचिद् वस्तु तत्सर्वम् , गणितेन् बिना न हि ॥ — महावीराचार्य , जैन गणितज्ञ ( बहुत प्रलाप करने से क्या लभ है ? इस चराचर जगत में जो कोई भी वस्तु...
    ३०४ KB (२१,२०६ शब्द) - २१:०८, ३ फ़रवरी २०२२