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  • जो सुनता है। सत्य मार्ग पर सदा ही चलता है। आत्मा की पुकार अनसुनी न करें। आत्मिक समाधान के लिए कुछ क्षड़ ही पर्याप्त होते हैं । आप बोना-काटना शुरु कीजिए।...
    ११८ KB (८,७७१ शब्द) - १६:३३, १६ जनवरी २०२४
  • कौ तृभुवन सूझै।८। महायोगी गोरख कहते है की एक ऐसा शिकारी ( हमारा चैतन्य आत्मिक स्वरुप) है, जिसके हाथ नही, पाँव नही और मुख मे दाँत नही ( यानी स्थूलता रहित)...
    ४८५ KB (३९,२९५ शब्द) - १६:१३, १९ फ़रवरी २०२३