स्वभाव

विकिसूक्ति से
  • स्वभावो दुरतिक्रमः ।
स्वभाव को बदलना अत्यन्त कठिन है।
  • यः स्वभावो हि यस्यास्ति स नित्यं दुरतिक्रमः।
श्वा यदि क्रियते राजा स किं नाश्रात्युपानहम्॥ --
जिसका जो स्वभाव होता है वह नित्य वैसा ही रहता है। यदि कुत्ते को राजा भी बनाया जाय तो क्या वह जूता चबाना छोड़ देगा ?
  • जो रहीम उत्तम प्रकृति, का करि सकत कुसंग।
चंदन विष व्यापत नहीं, लपटे रहत भुजंग॥
रहीम कहते हैं कि जो व्यक्ति अच्छे स्वभाव का होता है,उसे बुरी संगति भी बिगाड़ नहीं पाती। जैसे विषैले सर्प चन्दन के वृक्ष से लिपटे रहने पर भी चन्दन का विष को विषैला नहीं कर पाते हैं।
  • स्वभावो नोपदेशेन शक्यते कर्तुमन्यथा।
सुतप्तमपि पानीयं पुनर्गच्छति शीतताम्॥
किसी व्यक्ति को आप चाहे कितनी ही सलाह दे दो किन्तु उसका मूल स्वभाव नहीं बदलता ठीक उसी तरह जैसे ठन्डे पानी को उबालने पर तो वह गर्म हो जाता है लेकिन बाद में वह पुनः ठंडा हो जाता है।
  • व्याघ्रः सेवति काननं च गहनं सिंहो गुहां सेवते
हंसः सेवति पद्मिनीं कुसुमितां गृधः श्मशानस्थलीम् ।
साधुः सेवति साधुमेव सततं नीचोऽपि नीचं जनम्
यस्य प्रकृतिः स्वभावजनिता केनापि न त्यज्यते ॥
शेर गहरे जंगल में और सिंह गुफा में रहता है; हंस विकसित कमलिनी के पास रहना पसंद करता है, गिद्ध को श्मशान अच्छा लगता है । वैसे हि साधु, साधु की और नीच पुरुष नीच की सोबत करता है; याने कि जन्मजात स्वभाव किसी से छूटता नहीं है ।
  • अतीत्य हि गुणान् सर्वान् स्वभावो मूर्ध्नि वर्तते ।
सब गुण के उस पार जानेवाला “स्वभाव” हि श्रेष्ठ है (अर्थात् गुण सहज हो जाना चाहिए) ।
  • गगन समीर अनल जल धरनी। इन्ह कइ नाथ सहज जड़ करनी ॥ -- रामचरितमानस
  • काटेहिं पइ कदरी फरइ कोटि जतन कोउ सींच।
बिनय न मान खगेस सुनु डाटेहिं पइ नव नीच॥ -- रामचरितमानस
  • व्यक्ति के स्वभाव पर उसका भविष्य निर्भर करता है। -- मुंशी प्रेमचंद
  • भूखा होने पर भी सिंह घास नहीं खाता। -- आचार्य चाणक्य
  • अत्यन्त सीधे स्वभाव से रहना अच्छा नहीं होता वन में जाकर देखो, सीधे वृक्ष ही काटे जाते है और टेढ़े-मेढ़े वृक्ष खड़े ही रहते है। -- आचार्य चाणक्य
  • विचार जब स्वभाव के साथ घुल-मिलकर एक हो जाता है, तब वे आचार बन जाते है। -- रवीद्रनाथ ठाकुर
  • व्यक्ति के स्वभाव को स्पष्ट करनेवाली उसकी वाणी होती है, उसका रूप नहीं। -- शेख सादी