सुभाषित
दिखावट
सुभाषित का अर्थ है 'अच्छी तरह से कहा हुआ' (=सु + भाषित) । इसे सूक्ति (=सु + उक्ति) भी कहते हैं। संस्कृत साहित्य में सूक्तियों और सुभाषितों की भरमार है।
सुभाषितों के बारे में सुभाषित
[सम्पादन]- पुराणेष्वितिहासेषु तथा रामायणादिषु।
- वचनं सारभूतं यत् तत् सुभाषितमुच्यते॥ -- हर्षचरित की टीका में
- पुराणों में, इतिहासों में तथा रामायण आदि में जो सारभूत बातें कहीं गयीं हैं, वे सुभाषित कहलाती हैं।
- पृथिव्यां त्रीणि रत्नानि जलमन्नं सुभाषितम् ।
- मूढैः पाषाणखण्डेषु रत्नसंज्ञा विधीयते ॥
- पृथ्वी पर तीन रत्न हैं - जल, अन्न और सुभाषित । किन्तु मूर्ख लोग पत्थर के टुकडों को ही रत्न कहते रहते हैं।
- या दुग्धाऽपि न दुग्धेव कविदोग्धृभिरन्वहम् ।
- हृदि नः सन्निधतां सा सूक्तिधेनुः सरस्वती ॥
- 'सुभाषित रूपी धेनु' - जो कवियों से दुही जाने पर भी नही-दुही की तरह बनी रहती है—ऐसी सरस्वती मेरे हृदय में वास करें।
- ग्राह्यं बालादपि सुभाषितम्। -- मनु, २-२३९
- बालक से भी सूक्ति को ले लेना चाहिये। (सूक्ति का आदर जागरूक समाज का लक्षण है।)
- सुभाषितमयैर्द्रव्यैः संग्रहं न करोति यः।
- सोऽपि प्रस्तावयज्ञेषु कां प्रदास्यति दक्षिणाम्॥
- भावार्थ - सुभाषित कथन रूपी संंपदा का जो संग्रह नहीं करता वह प्रसंगविशेष की चर्चा के यज्ञ में भला क्या दक्षिणा देगा? समुचित वार्तालाप में भाग लेना एक यज्ञ है और उस यज्ञ में हम दूसरों के प्रति सुभाषित शब्दों की आहुति दे सकते हैं। ऐसे अवसर पर एक व्यक्ति से मीठे बोलों की अपेक्षा की जाती है, किंतु जिसने सुभाषण की संपदा न अर्जित की हो यानी अपना स्वभाव तदनुरूप न ढाला हो वह ऐसे अवसरों पर औरों को क्या दे सकता है ?
- संसारकटुवृक्षस्य द्वे फले अमृतोपमे।
- सुभाषितरसास्वादः संगतिः सुजने जने॥ -- चाणक्य
- संसार रूपी कड़वे पेड़ से अमृत तुल्य दो ही फल उपलब्ध हो सकते हैं, एक है मीठे बोलों का रसास्वादन और दूसरा है सज्जनों की संगति।
- भाषासु मुख्या मधुरा दिव्या गीर्वाण-भारती।
- तस्माद्धि काव्यम् मधुरं तस्मादपि सुभाषितम्॥
- भाषाओं में मुख्य, मधुर और दिव्य भाषा संस्कृत है। उसमें भी काव्य मधुर है, और काव्य में भी सुभाषित।
- द्राक्षाम्लानमुखी जाता, शर्करा चाश्मगतां गता।
- सुभाषितरसस्याग्रे सुधा भीता दिवंगता॥
- सुभाषितरस के आगे द्राक्षा (अंगूर) का मुख म्लान (खट्टा) हो गया, शर्करा खड़ी हो गयी और अमृत डरकर स्वर्ग चली गयी।
- सुभाषितेन गीतेन युवतीनां च लीलया।
- मनो न भिद्यते यस्य सयोगी ह्यथवा पशुः॥ -- सुभाषितरत्नभाण्डागारम्
- जिस व्यक्ति का मन अच्छे भाषण से, मधुर गीत से और युवतियों की लीला से नहीं खिलता है, वह निश्चित रूप से एक योगी एक पशु होगा।
- सुभाषित वास्तविक जीवन से लिए गए हैं और अनुभव के तने पर रोपे गए दर्शन का फल देते हैं! -- लुडविक स्टर्नबैक, संस्कृत सुभाषितों के बारे में
- सही मायने में बुद्धिपूर्ण विचार हजारों दिमागों में आते रहे हैं । लेकिन उनको अपना बनाने के लिये हमको ही उन पर गहराई से तब तक विचार करना चाहिये जब तक कि वे हमारी अनुभूति में जड़ न जमा लें। -- गोथे
- मैं उक्तियों से घृणा करता हूँ । वह कहो जो तुम जानते हो। -- इमर्सन
- किसी कम पढे व्यक्ति द्वारा सुभाषित पढना उत्तम होगा। -- विंस्टन चर्चिल
- बुद्धिमानों की बुद्धिमता और बरसों का अनुभव सुभाषितों में संग्रह किया जा सकता है। -- आईजक दिसराली
- सुभाषितों की पुस्तक कभी पूरी नही हो सकती। -- राबर्ट हेमिल्टन
- विश्व के सर्वोत्कॄष्ट कथनों और विचारों का ज्ञान ही संस्कृति है। -- मैथ्यू अर्नाल्ड
- मैं अक्सर खुद को उद्धृत करता हूँ। इससे मेरे भाषण मसालेदार हो जाते हैं। -- जॉर्ज बर्नार्ड शॉ
- सुभाषितों की पुस्तक कभी पूरी नही हो सकती। -- राबर्ट हेमिल्टन
- समन्यतः, किसी विद्वत्तापूर्ण समालोचना को पढ़ते समय, उसके टिप्पणियों की अपेक्षा उसके उद्धरणों से अधिक लाभ मिलता है। -- W. H. Auden, The Dyer's Hand, and Other Essays (1962), "Reading", p. 9.
- जीवन स्वयं एक उद्धरण है। -- Jorge Luis Borges, quoted in Cool Memories (1987) by Jean Baudrillard, (trans. 1990) Ch. 5.
- सभी अवसरों पर, स्वयं प्रत्युत्पन्नमति (हाजिरजबाब) होना सबसे अच्छा है किन्तु वह न हो सके तो दूसरे की मति को उद्धृत करना भी अच्छा गुण है। -- Christian Nestell Bovee, Intuitions and Summaries of Thought (1826), Volume II, p. 124.
बाहरी कड़ियाँ
[सम्पादन]- बृहत् विश्व सूक्ति कोश, भाग-१
- महासुभाषितसंग्रह (१० हजार सुभाषित) (संस्कृत विकिबुक्स)
- संस्कृत सूक्तिमाला (हिन्दी अनुवाद - वासुदेव द्विवेदी शास्त्री)
- संस्कृत सुभाषित (संस्कृत डॉक्युमेन्ट्स पर)
- वृहद् विश्व सूक्ति कोश, भाग-२ (गूगल पुस्तक ; संकलन - श्याम बहादुर वर्मा)
- वृहद् विश्व सूक्ति कोश, भाग-३ (गूगल पुस्तक ; संकलन - श्याम बहादुर वर्मा)
- सुभाषित-अनुक्रमणी (जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय)
- संस्कृत सूक्तियाँ (अंग्रेजी अर्थ सहित)
- सुभाषितरत्नाकरः (कृष्णशास्त्री-भटवाडेकरः)
- सुभाषितम् (काव्ये विश्वास टिप्पन्यः)
- Universal Database of Sanskrit Subhashitas