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सिसरो

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मार्कस ट्यूलियस सिसरो (Marcus Tullius Cicero ; 3 जनवरी, 106 ईसापूर्व -- 7 दिसम्बर, 43 ईसपूर्व ) एक राजनीतिज्ञ, दार्शनिक, वकील तथा लेखक थे। वे रोम के महानतम लेखकों में से एक थे। उनके 900 से अधिक पत्र सुरक्षित हैं जो स्वयं सिसरो द्वारा लिखे गए हैं। सिसरो की सर्वप्रथम और सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण देन उसका प्राकृतिक कानून का सिद्धान्त है। उसकी प्राकृतिक कानून की धारणा स्टोइक विचारधारा पर निश्चित रूप से एक महत्त्वपूर्ण सुधार है।

सिसरो के राजदर्शन की कई आधारों पर आलोचना की जाती है। आलोचकों के अनुसार सिसरो में मौलिकता का अभाव था। जहाँ उसने मिश्रित संविधानों के ऐतिहासिक चक्र का सिद्धान्त पोलीबियस से ग्रहण किया था वहाँ स्टोइकों से प्राकृतिक कानून का विचार अपना लिया।

आलोचकों का यह भी कहना है कि उसके विचार इतने स्पष्ट नहीं जितनी प्रभावशाली उसकी भाषा है। वह राज्य की सत्ता ‘जनता’ के हाथों में रखना चाहता है, लेकिन जनता से उसका अर्थ क्या है, यह स्पष्ट नहीं है। उसके कानून सम्बन्धी विचारों से ऐसा लगता है कि वह राजनीतिक चिन्तक के बजाय आध्यात्मिक चिन्तक अधिक है।

सिसरो के विचारों में भौतिकता न होते हुए भी उसका राजनीतिक चिन्तन के क्षेत्र में असाधारण महत्त्व है। यह निर्विवाद है कि यदि सिसरो नहीं होता तो प्राचीन काल के चिन्तन के कुछ अमूल्य विचारकण विस्मृत हो जाते।

उक्तियाँ

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  • अन्यायपूर्ण शांति, युद्ध से बेहतर है।
  • जहाँ आशा है वहीं जीवन है।
  • जो व्यक्ति साहसी है वह विश्वास से भरा होता है।
  • सम्मान के बिना योग्यता किसी काम की नहीं।
  • महान चीजें शारारिक बल से नहीं बल्कि प्रतिबिंब, चरित्र और निर्णय के बल से होती हैं।
  • वो चीज़े जो प्रकृति द्वारा कलात्मक तरीके से पूरी की जाती हैं बेहतर होती हैं।
  • जिस प्रकार शरीर के लिए भोजन की जरूरत है उसी प्रकार मन के लिए साधना की।
  • कोई भी आपको समझदार सलाह नहीं दे सकता है जैसी आप अपने आप को।
  • यह केवल कर्म है जो सद्गुण को सही मूल्य और प्रशंसा देता है।
  • जो व्यक्ति प्रतिकूल परिस्थितियों में भी नहीं बदलता वही यह एक बहादुर और दृढ़ आदमी का चरित्र है।
  • मजाक में भी दोस्त को आहत न करें।
  • कोई भी इतना बूढा नहीं है जो ये सोच सके कि वो एक वर्ष और नहीं जी सकता।
  • उतावलापन युवावस्था का है और वृद्धावस्था में विवेक।
  • मौन रहना वार्तालाव की श्रेष्ठ कलाओं में से एक है।
  • घृणा क्रोध का घर है।
  • प्रेम सौंदर्य से प्रेरित दोस्ती बनाने का प्रयास है।
  • व्यवहार में जो बन रहा है वह सम्मानजनक है, और जो सम्माननीय है वह बन रहा है।
  • पुस्तकों के बिना एक घर आत्मा के बिना एक शरीर है।
  • एक अव्यवस्थित शरीर और उलझन भरे मन में स्वास्थ्य की ध्वनि असंभव है।
  • समय मनुष्य के अनुमानों को खंडित करता है, लेकिन प्रकृति को प्रमाणित कर देता है।
  • यदि आपको स्वयं पर विश्वास नहीं है, तो आप जीवन की दौड़ में दो बार पराजित हुए हैं। आत्मविश्वास के साथ, आपने शुरुआत करने से पहले ही जीत हासिल कर ली है।
  • स्वतंत्रता का मूल्य निष्ठुर मूल्य है।
  • न्याय एक निर्धारित और स्थिर उद्देश्य के लिए है जो हर आदमी को उसका हक दिलाता है।
  • कानून की प्रस्तावनायें ईमानदारी से जीने की लिए हैं न की किसी को घायल करने के लिए और न ही बाकि सबको इसका हक़ देने के लिए।
  • भगवान के आगे हम कुछ नहीं हैं और भगवान के लिए हम सब कुछ हैं।
  • अगर हमें यह सोचने में शर्म नहीं आती, तो हमें यह कहने में शर्म नहीं करनी चाहिए।
  • एक गणतंत्र में इस नियम का पालन किया जाना चाहिए: कि बहुमत में प्रबल शक्ति नहीं होनी चाहिए।
  • प्रकृति द्वारा हमें दिया गया जीवन छोटा है; लेकिन अच्छी तरह से बिताए जीवन की स्मृति शाश्वत है।
  • जब तक कोई पागल नहीं होता वो नाचता नहीं है।
  • मृत्यु के बाद केवल कार्य को जीवित रखा जाता है। पूरी जिंदगी आपके द्वारा दिया गया प्यार लोगों को उनके समय से परे जीवित रखता है। वह हमेशा दूसरे के दिल में रहेगा।
  • यदि आपके पास एक बगीचा और एक पुस्तकालय है, तो आपके पास वह सब कुछ है जो आपको चाहिए।
  • कानूनों को जानना ही पर्याप्त नहीं है बल्कि उनकी पूरी ताकत और अर्थ को समझना जरूरी है।
  • भले ही एक अपराधी को छोड़ दिया जाए पर एक निर्दोश को सजा नहीं होनी चाहिए।
  • मैं रचना से आलोचना करता हूँ, गलती खोजने से नहीं।
  • आप जितनी अपनी वैल्यू करते हैं दूसरों के लिए भी आप उतनी वैल्यू रखते हैं।
  • आने वाला लंबा समय जब मेरे पास मौजूद नहीं होगा तो इस छोटे से वर्तमान समय की तुलना में मुझ पर अधिक प्रभाव पड़ेगा, जो फिर भी अंतहीन लगता है।
  • सच्चा वैभव जड़ की तरह होता है जो फैलता भी है। सभी झूठे बहाने, फूल की तरह, जमीन पर गिर जाते हैं और नकली दिखावा लंबे समय तक टिक सकता है।
  • जनसंख्या से अधिक अविश्वसनीय कुछ भी नहीं है, मानव इरादों से अधिक अस्पष्ट कुछ भी नहीं है, पूरे चुनावी तंत्र से अधिक भ्रामक कुछ भी नहीं है।
  • सदाचरता, मन की एक आदत है।
  • जो कभी-कभी कुछ नहीं करता वह मुझे एक आजाद आदमी नहीं लगता।
  • एक महान आदत में वो शक्ति है जो हमें थकान को सहन करने और घाव और दर्द को दूर करने के लिए सिखाता है।

सिसरो के बारे में अन्य लोगों के विचार

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  • उसका दर्शन स्टोइक दार्शनिकों के विचारों का संकलन मात्र है, पोलीबियस के सिद्धान्तों की उसने पुनरावृत्ति की है। -- सेबाइन
  • मध्ययुग के राजनीतिक चिन्तन पर तो उसके विचारों का प्रभाव सर्वाधिक रूप में पड़ा है। उसके सार्वभौम कानून तथा विश्व एकता की धारणाओं में समूचे मध्य युग के राजनीतिक चिन्तन के केन्द्रीभूत तत्त्व होने का यश प्राप्त किया है। -- गैटिल
  • वह पहला रोमन था जिसने दर्शन को विद्वानों के हाथ से लेकर उसे विदेशी भाषा के बोझ से मुक्त किया है। उसने दर्शन को विवेक की भाँति जनसाधारण की मिली-जुली सम्पत्ति बना दिया। -- मॉन्टेस्क्यू
  • सिसरो का महत्त्व अपने विचारों की मौलिकता में नहीं वरन् अभिव्यंजना की शैली में है। उसकी शैली ओजपूर्ण है और उसमें धाराप्रवाह है। -- सेबाइन